रांची: राज्य सरकार के एक पत्र ने उपभोक्ता फोरम की नींद उड़ा दी है. पहले से ही अध्यक्ष और सदस्य की कमी से जूझ रही उपभोक्ता फोरम अब कर्मचारियों की कमी से जूझने जा रही है. कर्मचारियों की कमी ऐसे ही नहीं बल्कि पूरे सिस्टम पर भारी पड़ेगी, जिसके कारण जनवरी 2024 के बाद कोर्ट की सुनवाई पूरी तरह से बंद हो जाएगी.
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दरअसल, राज्य सरकार ने आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे कर्मचारियों की सेवाएं जनवरी 2024 के बाद खत्म करने का फैसला लिया है. सरकार के इस फैसले से राज्य उपभोक्ता आयोग और जिलों में बनी उपभोक्ता फोरम में कार्यरत 216 कर्मचारी एक साथ बाहर हो जायेंगे. राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष बसंत कुमार गोस्वामी सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहते हैं कि अगर इसे लागू किया गया तो व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी. जिला उपभोक्ता न्यायालय से लेकर राज्य उपभोक्ता आयोग में ये लंबे समय से कार्यरत हैं जो प्यून, स्टेनो और लिपिकीय कार्य को करते हैं.
पूरी व्यवस्था चरमरा जायेगी-बसंत कुमार गोस्वामी: राज्य सरकार के इस फैसले के बाद खलबली मची हुई है. उपभोक्ता न्यायालय के अलावा सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत आउटसोर्सिंग पर ऐसे कर्मियों की संख्या हजारों में है. राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष बसंत कुमार गोस्वामी कहते हैं कि अगर रास्ता नहीं निकला तो पूरी व्यवस्था चरमरा जायेगी. उन्होंने कहा कि सरकार को आगाह करने के लिए जल्द ही विभागीय सचिव से मुलाकात कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया जायेगा. जिससे समय रहते कोई रास्ता निकाल लिया जाय.
सभी जिलों में हैं उपभोक्ता न्यायालय: गौरतलब है कि राज्य के सभी जिलों में उपभोक्ता न्यायालय है, जहां तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 9-9 पद सृजित किए गए हैं. इन उपभोक्ता न्यायालयों में पिछले दिनों झारखंड कर्मचारी चयन आयोग से चयनित 40 लिपिकों को जिलों में पदस्थापित किया गया है. इस तरह से वर्तमान समय में हर जिले में 2-2 लिपिक पदस्थापित हैं. इसके अलावे स्टेनो, पेशकार, प्यून जैसे पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मियों की सेवा ली जा रही है.