रांची: झारखंड में डीजीपी नीरज सिन्हा की सेवानिवृति के बाद भी पुलिस विभाग के प्रमुख के पद को लेकर संशय बरकरार है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि 12 फरवरी तक झारखण्ड में नए डीजीपी की नियुक्ति कर दी जाएगी. डीजीपी का नाम यूपीएससी के पैनल में आए तीन नामों में से एक को चुनना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे को भी दरकिनार कर दिया.
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सपथ पत्र से मुकरी सरकार, संशय बरकरार: झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए सपथ पत्र से भी किनारा कर लिया है. 12 फरवरी तक नए डीजीपी की नियक्ति नहीं हुई, जबकि सरकार ने बकायदा शपथ पत्र देकर नए डीजीपी के नियुक्ति की बात कही थी, लेकिन अब तक डीजीपी के नाम पर कोई फैसला नहीं हो पाया. झारखंड में यूपीएससी के पैनल से आए तीन नामों में से डीजीपी का पद भरा जाएगा या किसी अन्य अधिकारी को प्रभारी डीजीपी बनाया जाएगा इसे लेकर भी चर्चाएं आम हैं. अंदेशा यह भी जताया जा रहा है कि पैनल में भेजे गए नाम में से वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नियमित डीजीपी बनाने के बजाय प्रभारी डीजीपी के तौर पर ही तैनात किया जाए.
बाबूलाल मरांडी ने सरकार को घेरा: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने डीजीपी नियुक्ति को लेकर फिर राज्य सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि पूर्णकालिक डीजीपी नियुक्त करने के बजाय सीएम हेमंत सोरेन अपनी बुद्धि का दुरुपयोग सुप्रीम कोर्ट को धोखा देने और अवमानना करने में लगा रहे हैं. आज 13 फरवरी है और झारखंड पुलिस डीजीपी विहीन है. भाजपा हेमंत जी के इस दुरभसन्धि को बेनकाब करेगी, थोड़ा इंतजार करिये.