ETV Bharat / state

हवा में घुल गई सब्जियों की एमएसपी तय करने की घोषणा, खामियाजा भुगत रहे किसान

हेमंत सोरेन की सरकार की घोषणाओं और हकीकत में काफी फर्क है. घोषणाएं तो बड़ी-बड़ी की गई हैं, लेकिन उसे अमलीजामा कितना पहनाया गया, यह भी देखना पड़ेगा. दो साल पहले सब्जियों की एमएसपी तय करने की घोषणा तो हवा घुल चुकी है. जिसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं.

government could not fix MSP of vegetables
खेत में किसान
author img

By

Published : Jan 25, 2023, 8:16 PM IST

Updated : Jan 25, 2023, 9:06 PM IST

जानकारी देते संवाददाता उपेंद्र

रांचीः केरल में किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए 21 तरह के कृषि उत्पादों का वहां की सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर रखा है. जिसके तहत 16 प्रकार की सब्जियां भी शामिल हैं. झारखंड में भी जब हेमंत सोरेन की सरकार सत्ता में आई तब कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने यहां के सब्जी उत्पादक किसानों को नुकसान से बचाने के लिए केरल की तर्ज पर सब्जियों की MSP तय करने की घोषणा की थी. राज्य में सब्जियों की एमएसपी के लिए क्या क्या तैयारियां करनी होगी, इसके लिए एक कमिटी भी बनाई गई थी. दो वर्ष से ज्यादा समय बीत गए. कृषि विभाग सब्जियों की एमएसपी तय करने की योजना को धरातल पर नहीं उतार पाई है.

ये भी पढ़ेंः Pearl Farming in Ranchi: संजू देवी ने शुरू किया स्टार्ट अप, थोड़ी लागत में मोटी कमाई की है उम्मीद

आज अगर सब्जियों की एमएसपी तय होती तो किसान बदहाल होने से बच जातेः झारखंड में आज सब्जियों का उत्पादन करने वाले किसान, सब्जियों के भाव गिरने से बदहाली की कगार पर पहुंच गए हैं, किसानों का दर्द जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम शहर से दूर कांके के होचर गांव पहुंची. वहां कुछ महिला किसान मिलीं, उन्होंने कहा कि 10 रुपया में चार बंदगोभी, 10 रुपया में 03 गोभी, 10 रुपया में एक किलो धनिया, 06-08 रुपया किलो बैंगन, 05 से 07 रुपया किलो पालक का दाम किसानों को मिल रहा है. जिस आलू के बीज 45 रु किलो खरीद कर खेतों में लगाया, जुताई, निकाई से लेकर खाद-पानी में खर्च के अलावा पूरा परिवार मेहनत किया. वह आलू थोक में 05 से 07 रुपया किलो बिक रहा है, जबकि खुदरा बाजार में वह 10 से 15 ₹ किलो है.

आइये एक नजर डाले रांची में सब्जियों की कीमत परः रांची में खुदरा सब्जी बाजार और बड़े सब्जी दुकानों में भी सब्जियों के दाम बेहद कम हैं. रांची के अरगोड़ा सब्जी बाजार में टमाटर 10 रुपया में एक किलो और 15 रुपया में दो किलो बिक रहा है. किसानों को टमाटर का दाम 04 से 05 रुपये किलो मिल0 रहा है. लाल आलू 10 से 12 रुपया किलो तो सफेद आलू की कीमत 08 से 10 रुपये किलो किलो है. किसानों से व्यवसायी 05 से 07 रुपया किलो खरीद रहे हैं. इसी तरह खुदरा बाजार में बंदगोभी 15 रुपया में दो बिक रहा है तो किसानों से व्यवसायी 10 रुपये में 03-04 की खरीद कर रहे हैं. यही हाल फूलगोभी का है. किसान पालक का साग 10 रुपया में डेढ़ से दो किलो बेचने को मजबूर हैं. धनिया पत्ता 10 से 15 रुपया किलो का भाव मिल रहा है. बैंगन 7 से 10 रुपये किलो तक अन्नदाता बेचने को मजबूर हैं. यही हाल अन्य सब्जियों का भी है.

नेताओं के बयान

पूंजी और मेहनत लगाकर भी आर्थिक नुकसान उठने वाली कांके प्रखंड के होचर गांव की महिला किसान शांति देवी, नेहा देवी कहती हैं कि खेत खाली नहीं छोड़ सकते. क्या करें नुकसान तो उठाना ही पड़ रहा है लेकिन और कोई रास्ता भी नहीं है. सब्जियों की एमएसपी को लेकर शांति देवी कुछ नहीं कह पाती लेकिन इंटर पास युवा महिला किसान नेहा कहती हैं कि किसानों को अभी तक सरकार की घोषणा का कोई लाभ नहीं मिला है.

सिर्फ घोषणाएं करने वाली किसान विरोधी सरकारः झारखंड की हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार को किसान विरोधी और सिर्फ घोषणाओं की सरकार बताते हुए सीपीआई ने सब्जियों की एमएसपी जल्द घोषित करने की मांग की है. सीपीआई के प्रदेश सचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि यहां की सरकार ने किसानों को हाशिये पर छोड़ दिया है. किसान बदहाल हो रहे हैं और सरकार बेपरवाह है.

राजद और कांग्रेस सब्जियों के एमएसपी पर अर्थशास्त्र बताने लगते हैंः दो वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकार सब्जियों की एमएसपी क्यों नहीं तय कर पाई, इस पर विभागीय मंत्री कुछ भी कहने से बचते दिखे. वहीं सत्ताधारी कांग्रेस और राजद के नेताओं ने जो बयान दिया वह आर्थिक नुकसान झेल रहे किसानों के लिए जले पर नमक जैसा है. राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि औने पौने दाम पर सब्जियों को बेचने के लिए किसान ही जिम्मेवार हैं, क्योंकि वह थोक में सब्जी बेच देते हैं, खुदरा में खुद बाजार में जाकर बेचना चाहिये. कांग्रेस ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार की किसान के लिए बनाई गई योजनाओ की वजह से उत्पादन इतना अधिक हुआ है कि सब्जियों के दाम गिर गए हैं. किसान आंदोलन के समय दिल्ली तक जाकर किसानों के प्रति समर्थन देने वाले और खुद को किसान का बेटा कहने वाले कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के कृषि मंत्री रहते सब्जी उत्पादक किसान कंगाल हो रहे हैं.

जानकारी देते संवाददाता उपेंद्र

रांचीः केरल में किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए 21 तरह के कृषि उत्पादों का वहां की सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर रखा है. जिसके तहत 16 प्रकार की सब्जियां भी शामिल हैं. झारखंड में भी जब हेमंत सोरेन की सरकार सत्ता में आई तब कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने यहां के सब्जी उत्पादक किसानों को नुकसान से बचाने के लिए केरल की तर्ज पर सब्जियों की MSP तय करने की घोषणा की थी. राज्य में सब्जियों की एमएसपी के लिए क्या क्या तैयारियां करनी होगी, इसके लिए एक कमिटी भी बनाई गई थी. दो वर्ष से ज्यादा समय बीत गए. कृषि विभाग सब्जियों की एमएसपी तय करने की योजना को धरातल पर नहीं उतार पाई है.

ये भी पढ़ेंः Pearl Farming in Ranchi: संजू देवी ने शुरू किया स्टार्ट अप, थोड़ी लागत में मोटी कमाई की है उम्मीद

आज अगर सब्जियों की एमएसपी तय होती तो किसान बदहाल होने से बच जातेः झारखंड में आज सब्जियों का उत्पादन करने वाले किसान, सब्जियों के भाव गिरने से बदहाली की कगार पर पहुंच गए हैं, किसानों का दर्द जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम शहर से दूर कांके के होचर गांव पहुंची. वहां कुछ महिला किसान मिलीं, उन्होंने कहा कि 10 रुपया में चार बंदगोभी, 10 रुपया में 03 गोभी, 10 रुपया में एक किलो धनिया, 06-08 रुपया किलो बैंगन, 05 से 07 रुपया किलो पालक का दाम किसानों को मिल रहा है. जिस आलू के बीज 45 रु किलो खरीद कर खेतों में लगाया, जुताई, निकाई से लेकर खाद-पानी में खर्च के अलावा पूरा परिवार मेहनत किया. वह आलू थोक में 05 से 07 रुपया किलो बिक रहा है, जबकि खुदरा बाजार में वह 10 से 15 ₹ किलो है.

आइये एक नजर डाले रांची में सब्जियों की कीमत परः रांची में खुदरा सब्जी बाजार और बड़े सब्जी दुकानों में भी सब्जियों के दाम बेहद कम हैं. रांची के अरगोड़ा सब्जी बाजार में टमाटर 10 रुपया में एक किलो और 15 रुपया में दो किलो बिक रहा है. किसानों को टमाटर का दाम 04 से 05 रुपये किलो मिल0 रहा है. लाल आलू 10 से 12 रुपया किलो तो सफेद आलू की कीमत 08 से 10 रुपये किलो किलो है. किसानों से व्यवसायी 05 से 07 रुपया किलो खरीद रहे हैं. इसी तरह खुदरा बाजार में बंदगोभी 15 रुपया में दो बिक रहा है तो किसानों से व्यवसायी 10 रुपये में 03-04 की खरीद कर रहे हैं. यही हाल फूलगोभी का है. किसान पालक का साग 10 रुपया में डेढ़ से दो किलो बेचने को मजबूर हैं. धनिया पत्ता 10 से 15 रुपया किलो का भाव मिल रहा है. बैंगन 7 से 10 रुपये किलो तक अन्नदाता बेचने को मजबूर हैं. यही हाल अन्य सब्जियों का भी है.

नेताओं के बयान

पूंजी और मेहनत लगाकर भी आर्थिक नुकसान उठने वाली कांके प्रखंड के होचर गांव की महिला किसान शांति देवी, नेहा देवी कहती हैं कि खेत खाली नहीं छोड़ सकते. क्या करें नुकसान तो उठाना ही पड़ रहा है लेकिन और कोई रास्ता भी नहीं है. सब्जियों की एमएसपी को लेकर शांति देवी कुछ नहीं कह पाती लेकिन इंटर पास युवा महिला किसान नेहा कहती हैं कि किसानों को अभी तक सरकार की घोषणा का कोई लाभ नहीं मिला है.

सिर्फ घोषणाएं करने वाली किसान विरोधी सरकारः झारखंड की हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार को किसान विरोधी और सिर्फ घोषणाओं की सरकार बताते हुए सीपीआई ने सब्जियों की एमएसपी जल्द घोषित करने की मांग की है. सीपीआई के प्रदेश सचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि यहां की सरकार ने किसानों को हाशिये पर छोड़ दिया है. किसान बदहाल हो रहे हैं और सरकार बेपरवाह है.

राजद और कांग्रेस सब्जियों के एमएसपी पर अर्थशास्त्र बताने लगते हैंः दो वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकार सब्जियों की एमएसपी क्यों नहीं तय कर पाई, इस पर विभागीय मंत्री कुछ भी कहने से बचते दिखे. वहीं सत्ताधारी कांग्रेस और राजद के नेताओं ने जो बयान दिया वह आर्थिक नुकसान झेल रहे किसानों के लिए जले पर नमक जैसा है. राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि औने पौने दाम पर सब्जियों को बेचने के लिए किसान ही जिम्मेवार हैं, क्योंकि वह थोक में सब्जी बेच देते हैं, खुदरा में खुद बाजार में जाकर बेचना चाहिये. कांग्रेस ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार की किसान के लिए बनाई गई योजनाओ की वजह से उत्पादन इतना अधिक हुआ है कि सब्जियों के दाम गिर गए हैं. किसान आंदोलन के समय दिल्ली तक जाकर किसानों के प्रति समर्थन देने वाले और खुद को किसान का बेटा कहने वाले कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के कृषि मंत्री रहते सब्जी उत्पादक किसान कंगाल हो रहे हैं.

Last Updated : Jan 25, 2023, 9:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.