रांची: राजधानी के मोरहाबादी स्थित गेस्ट हाउस में झारखंड समन्वय समिति की बैठक हुई. राज्य के सभी 24 जिले के आंदोलनकारी प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए. इस बैठक में 1932 की खतियान के आधार पर स्थानीय नीति, नियोजन नीति और झारखंडी भाषाओं को राजभाषा की मान्यता प्रदान करने के लिए खतियानी आंदोलन और आगे की रणनीति बनाई गई.
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हेमंत सरकार ने साफ की अपनी नीति: वहीं, पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि विगत दो-तीन महीने से खतियानी आंदोलन शुरू हुआ है. उन्बोंने कहा कि 25 फरवरी से 25 मार्च तक चले बजट सत्र में हेमंत सरकार ने अपनी नीयत और नीति साफ कर दी है कि सरकार 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाने के पक्ष में नहीं है. सरकार ने जनता की आशा और आकांक्षा को ठुकराते हुए यह स्प्ष्ट कर दिया है कि खतियान के आधार पर कभी भी स्थानीय नीति नहीं बन सकती है.
सरकार को जवाब देते हुए पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा 1982 में अविभाजित बिहार में भी स्थानीय नीति बनाई गई थी. उस समय झारखंड अलग नहीं हुआ था. देश के सभी राज्यों में स्थानीय नीति है. स्थानीय भाषा में कार्य होते हैं, लेकिन विडंबना यह है कि झारखंड राज्य को बने 22 साल हो चुके है और लेकिन अभी तक यहां स्थानीय कौन है, इसकी पहचान नहीं हो सकी है.