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महागठबंधन पर जल्द साफ होंगी तस्वीरें, महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव के बाद हटेंगे असमंजस के बादल

झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच किसी भी दल की तरफ से अभी तक गठबंधन को लेकर कुछ साफ नहीं हो पाया है. हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद गठबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति दूर हो जाएगी.

प्रदेश कांग्रेस
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Published : Oct 14, 2019, 8:51 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सभी पार्टी जुट गई है लेकिन अभी तक किसाी भी दल की तरफ से महागठबंधन को लेकर कुछ भी साफ नहीं हो पाया है. हालांकि कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने दावा किया है कि महागठबंधन को लेकर बनी असमंजस की स्थिति एक हफ्ते में साफ हो जाएगी.

देखें पूरी खबर

21 अक्टूबर के बाद साफ होंगी तस्वीरें
अंदरूनी सूत्रों की माने तो महागठबंधन के घटक दलों की नजर महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है. दरअसल, इन दोनों राज्यों में 21 अक्टूबर को चुनाव होने हैं और 24 को नतीजे सामने आएंगे. लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में महागठबंधन के घटक दल बहुत फूंक-फूंक कर अपने कदम उठा रहे हैं.

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कांग्रेस महागठबंधन के लिए है तैयार
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा कि कांग्रेस लोगों के बीच जाकर अपना काम कर रही है और दिखावे में विश्वास नहीं करती है. वहीं महागठबंधन के सवाल पर कहा कि जहां तक कांग्रेस की तरफ से महागठबंधन का सवाल है पार्टी पूरी तरह से सभी के साथ तालमेल बैठाकर अपने सहयोगियों के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेगी. उन्होंने दावा किया कि महागठबंधन की तस्वीर एक हफ्ते में साफ हो जाएगी. अभी सबके साथ बैठकर इस बात पर चर्चा हो रही है कि किसे कौन सी विधानसभा सीट दी जाए ताकि महागठबंधन के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित हो सके.

जेएमएम ने लोकसभा चुनाव में किया था सेक्रीफाइस
इधर जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के बयान से लगता है कि जेएमएम इस बार महागठबंधन के लिए किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं है. उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने सैक्रिफाइस किया था और अब सैक्रिफाइस करने की बारी कांग्रेस की है. पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि ग्राउंड रियलिटी यह है कि नेशनल पॉलिटिक्स में जेएमएम उतनी ताकतवर नहीं है लेकिन राज्य में तस्वीर दूसरी है. इस वजह से कांग्रेस पार्टी को तय करना चाहिए महागठबंधन के प्रमुख घटक के रुप में जेएमएम को किस तरह का रोल दिया जाए क्योंकि पार्टी लोकसभा चुनाव में समझौता कर चुकी है.

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जेएमएम 40 सीटों पर पेश कर रहा है दावेदारी
बता दें कि प्रदेश में जेएमएम मेजर शेयर सीट क्लेम करने के मूड में है. सूत्रों की मानें तो पार्टी मौजूदा विधानसभा की 81 सीटों की क्षमता में 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है. वहीं कांग्रेस की तरफ से 35 सीटों पर दावा पेश किया जा रहा है, जिस पर पार्टी अपना उम्मीदवार उतारेगी. इसके अलावा घटक दलों के हिस्से में भी कुछ सीटें जानी है. हालांकि इस फार्मूले पर अभी तक कोई मुहर नहीं लगी है लेकिन दिल्ली में इसको लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. उम्मीद की जा रही है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में होंनेवाले विधानसभा चुनाव के बाद महागठबंधन की तस्वीर साफ हो जाएगी.

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सभी पार्टी जुट गई है लेकिन अभी तक किसाी भी दल की तरफ से महागठबंधन को लेकर कुछ भी साफ नहीं हो पाया है. हालांकि कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने दावा किया है कि महागठबंधन को लेकर बनी असमंजस की स्थिति एक हफ्ते में साफ हो जाएगी.

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21 अक्टूबर के बाद साफ होंगी तस्वीरें
अंदरूनी सूत्रों की माने तो महागठबंधन के घटक दलों की नजर महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है. दरअसल, इन दोनों राज्यों में 21 अक्टूबर को चुनाव होने हैं और 24 को नतीजे सामने आएंगे. लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में महागठबंधन के घटक दल बहुत फूंक-फूंक कर अपने कदम उठा रहे हैं.

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कांग्रेस महागठबंधन के लिए है तैयार
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा कि कांग्रेस लोगों के बीच जाकर अपना काम कर रही है और दिखावे में विश्वास नहीं करती है. वहीं महागठबंधन के सवाल पर कहा कि जहां तक कांग्रेस की तरफ से महागठबंधन का सवाल है पार्टी पूरी तरह से सभी के साथ तालमेल बैठाकर अपने सहयोगियों के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेगी. उन्होंने दावा किया कि महागठबंधन की तस्वीर एक हफ्ते में साफ हो जाएगी. अभी सबके साथ बैठकर इस बात पर चर्चा हो रही है कि किसे कौन सी विधानसभा सीट दी जाए ताकि महागठबंधन के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित हो सके.

जेएमएम ने लोकसभा चुनाव में किया था सेक्रीफाइस
इधर जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के बयान से लगता है कि जेएमएम इस बार महागठबंधन के लिए किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं है. उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने सैक्रिफाइस किया था और अब सैक्रिफाइस करने की बारी कांग्रेस की है. पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि ग्राउंड रियलिटी यह है कि नेशनल पॉलिटिक्स में जेएमएम उतनी ताकतवर नहीं है लेकिन राज्य में तस्वीर दूसरी है. इस वजह से कांग्रेस पार्टी को तय करना चाहिए महागठबंधन के प्रमुख घटक के रुप में जेएमएम को किस तरह का रोल दिया जाए क्योंकि पार्टी लोकसभा चुनाव में समझौता कर चुकी है.

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जेएमएम 40 सीटों पर पेश कर रहा है दावेदारी
बता दें कि प्रदेश में जेएमएम मेजर शेयर सीट क्लेम करने के मूड में है. सूत्रों की मानें तो पार्टी मौजूदा विधानसभा की 81 सीटों की क्षमता में 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है. वहीं कांग्रेस की तरफ से 35 सीटों पर दावा पेश किया जा रहा है, जिस पर पार्टी अपना उम्मीदवार उतारेगी. इसके अलावा घटक दलों के हिस्से में भी कुछ सीटें जानी है. हालांकि इस फार्मूले पर अभी तक कोई मुहर नहीं लगी है लेकिन दिल्ली में इसको लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. उम्मीद की जा रही है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में होंनेवाले विधानसभा चुनाव के बाद महागठबंधन की तस्वीर साफ हो जाएगी.

Intro:रांची। प्रदेश में विपक्षी दलों के महागठबंधन को लेकर बनी असमंजस की स्थिति एक हफ्ते में साफ होने की उम्मीद की जा रही है। अंदरूनी सूत्रों की माने तो महागठबंधन के घटक दलों की नजर महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। दरअसल उन दोनों राज्यों में 21 अक्टूबर को चुनाव होने हैं और 24 को नतीजा सामने आएगा। लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में महागठबंधन के घटक दल बहुत फूंक फूंक कर अपना कदम उठा रहे हैं। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक दुबे की माने तो कि महागठबंधन प्रदेश में इंटैक्ट है। उन्होंने कहा कि बीजेपी से यह सवाल किया जाना चाहिए कि उनके घटक दल आपस में विवाद क्यों कर रहे हैं।


Body:उन्होंने कहा कि जहां तक कांग्रेस से गठबंधन का सवाल है पार्टी पूरी तरह से इंटैक्ट होकर सभी सहयोगियों के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोगों के बीच जाकर अपना काम कर रही है और दिखावे में विश्वास नहीं करती है। उन्होंने दावा किया कि महागठबंधन की तस्वीर एक हफ्ते में साफ हो जाएगी। दुबे ने कहा कि अभी इस बात पर चर्चा हो रही है कि किसे कौन सी विधानसभा सीट दी जाए ताकि महागठबंधन के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित हो सके। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साफ किया कि लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने सैक्रिफाइस किया था और अब सैक्रिफाइस करने की बारी कांग्रेस की है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि ग्राउंड रियलिटी यह है कि नेशनल पॉलिटिक्स में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रेजेंस उतनी नहीं है लेकिन राज्य में तस्वीर दूसरी है। इस वजह से कांग्रेस पार्टी को तय करना चाहिए महागठबंधन के प्रमुख घटक के रुप में झामुमो को किस रोल में रहना होगा।


Conclusion:दरअसल प्रदेश में झारखंड मुक्ति मोर्चा मेजर शेयर सीट क्लेम करने के मूड में है। झामुमो सूत्रों की माने तो पार्टी मौजूदा विधानसभा की 81 सीटों की क्षमता में 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रहा है। वहीं कांग्रेस की तरफ से 35 सीटें आईडेंटिफाई की गई हैं। जिस पर पार्टी अपना उम्मीदवार उतारने के मूड में है। इसके अलावा घटक दलों के हिस्से में भी कुछ सीटें जानी है। इस फार्मूले पर अभी तक कोई मुहर नहीं लगी है। हालांकि दिल्ली दरबार में इसको लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है। उम्मीद की जा रही है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में होंनेवाले विधानसभा चुनाव के बाद महागठबंधन की तस्वीर साफ होगी।
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