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झारखंड कोल आवंटन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, SC ने केंद्र को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

झारखंड कोल आवंटन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई इस सुनवाई में सभी ने अपना-अपना पक्ष रखा. सुनवाई के बाद कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूरे मामले पर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.

Jharkhand coal allocation case: SC seeks reply from center for 4 weeks
झारखंड कोल आवंटन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
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Published : Jul 14, 2020, 5:27 PM IST

Updated : Jul 14, 2020, 7:14 PM IST

रांची: केंद्र सरकार के द्वारा झारखंड में कोल ब्लॉक की कमर्शियल माइनिंग नीलामी करने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायाधीश आर एस रेड्डी और न्यायाधीश ए एस बोपन्ना की बेंच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन और अभिषेक मनु सिंधवी सहित झारखंड हाई कोर्ट के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा. सभी पक्ष के अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने मामले में सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

झारखंड सरकार के वकील महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग को लेकर झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सूट दायर की है. उसी मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की बेंच में सुनवाई हुई. राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने कहा कि मामले की सुनवाई 4 सप्ताह से पहले किया जाए. क्योंकि 18 अगस्त को इसको लेकर नीलामी शुरु होगी. लेकिन तारीखें बढ़ाई जा सकती हैं और अटॉर्नी जनरल इस पर गौर करेंगे.

ये भई पढ़ें-देवघर: गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे और उनकी पत्नी पर सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ का मामला दर्ज

उन्होंने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा कुल नीलामी की प्रक्रिया एकतरफा की गई है. यह उचित नहीं है. राज्य सरकार के द्वारा इसमें किसी भी तरह का कोई परामर्श नहीं लिया गया है. राज्य सरकार के द्वारा दायर याचिका में यह कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के समय केंद्र सरकार द्वारा इस तरह का कदम उठाना उचित नहीं है. संविधान की पांचवी अनुसूची का हवाला देते हुए कहा है कि जो अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है. झारखंड के 9 कोयला आवंटन में से 6, चकला, चितरपुर, उत्तर दादू, राजहरा उत्तर, शेरघड़ा और उरमा पहरी टोला जो अनुसूचित क्षेत्रों के भीतर है. उन्हें भी नीलामी में रखा गया है. जो उचित नहीं है. केंद्र सरकार के इस कदम से स्थानीय लोग को वहां से विस्थापित होना होगा. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के यह फैसले वन एवं पर्यावरण के मानदंड का भी उल्लंघन करता है. राज्य में पर्यावरण और वन भूमि क्षेत्र में अपूरणीय क्षति होगी इसलिए केंद्र सरकार के इस फैसले को रद्द करने की मांग की गई है.झारखंड के जनसंख्या का हवाला देते हुए बताया गया कि झारखंड में 3,29,88,133 की आबादी है जिसमें से 1,60,10,448 अनुसूचित क्षेत्र में रहते हैं.

रांची: केंद्र सरकार के द्वारा झारखंड में कोल ब्लॉक की कमर्शियल माइनिंग नीलामी करने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायाधीश आर एस रेड्डी और न्यायाधीश ए एस बोपन्ना की बेंच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन और अभिषेक मनु सिंधवी सहित झारखंड हाई कोर्ट के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा. सभी पक्ष के अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने मामले में सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

झारखंड सरकार के वकील महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग को लेकर झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सूट दायर की है. उसी मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की बेंच में सुनवाई हुई. राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने कहा कि मामले की सुनवाई 4 सप्ताह से पहले किया जाए. क्योंकि 18 अगस्त को इसको लेकर नीलामी शुरु होगी. लेकिन तारीखें बढ़ाई जा सकती हैं और अटॉर्नी जनरल इस पर गौर करेंगे.

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उन्होंने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा कुल नीलामी की प्रक्रिया एकतरफा की गई है. यह उचित नहीं है. राज्य सरकार के द्वारा इसमें किसी भी तरह का कोई परामर्श नहीं लिया गया है. राज्य सरकार के द्वारा दायर याचिका में यह कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के समय केंद्र सरकार द्वारा इस तरह का कदम उठाना उचित नहीं है. संविधान की पांचवी अनुसूची का हवाला देते हुए कहा है कि जो अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है. झारखंड के 9 कोयला आवंटन में से 6, चकला, चितरपुर, उत्तर दादू, राजहरा उत्तर, शेरघड़ा और उरमा पहरी टोला जो अनुसूचित क्षेत्रों के भीतर है. उन्हें भी नीलामी में रखा गया है. जो उचित नहीं है. केंद्र सरकार के इस कदम से स्थानीय लोग को वहां से विस्थापित होना होगा. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के यह फैसले वन एवं पर्यावरण के मानदंड का भी उल्लंघन करता है. राज्य में पर्यावरण और वन भूमि क्षेत्र में अपूरणीय क्षति होगी इसलिए केंद्र सरकार के इस फैसले को रद्द करने की मांग की गई है.झारखंड के जनसंख्या का हवाला देते हुए बताया गया कि झारखंड में 3,29,88,133 की आबादी है जिसमें से 1,60,10,448 अनुसूचित क्षेत्र में रहते हैं.

Last Updated : Jul 14, 2020, 7:14 PM IST
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