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सीएमओ ने ट्वीटर से की एक वीडियो क्लिप को हटाने की अपील, प्रदीप यादव की टिप्पणी पर बोलने से निशिकांत का इनकार - रांची न्यूज

लोकसभा में सांसद निशिकांत दूबे (MP Nishikant Dubey) के एक बयान पर झारखंड की राजनीति पूरे दिन गरमाई रही. विधानसभा में प्रदीप यादव भी उनके बयान को लेकर हमलावर दिखे. वहीं, दोपहर बाद सीएमओ ने ट्विटर से वीडियो हटाने की अपील की. (Appeal to remove video from Twitter)

appeal to remove video from Twitter
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Published : Dec 20, 2022, 10:04 PM IST

रांची: लोकसभा में गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे (MP Nishikant Dubey) की सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ एक व्यक्तिगत टिप्पणी की गूंज झारखंड विधानसभा में भी सुनाई दी. हालाकि लोकसभा में निशिकांत दूबे के असंसदीय शब्द को रिकॉर्ड से EXPUNGE यानी हटा दिया गया था. लेकिन यह जाने बगैर या अनजाने में इस मामले को लेकर झारखंड विधानसभा में शब्दों की मर्यादा तार-तार हो गई.

ये भी पढ़ें- लोकसभा में सीएम को दुष्कर्मी कहने पर सदन में बवाल, निंदा प्रस्ताव पर विधि सम्मत राय लेंगे स्पीकर

प्रश्नकाल शुरू होते हुए विपक्ष के हंगामे के बीच विधायक प्रदीप यादव (MLA Pradeep Yadav) ने सांसद निशिकांत दूबे के लोकसभा में दिए गये बयान पर आपत्ति जताते हुए निंदा प्रस्ताव लाने की मांग रख दी. उनके प्रस्ताव का झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने भी समर्थन कर दिया. इस दौरान प्रदीप यादव ने भी निशिकांत दूबे के खिलाफ अमर्यादित व्यक्तिगत टिप्पणी कर दी. इस मसले पर आसन से नियमन जारी करने का आग्रह किया जाने लगा. दबाव बढ़ा तो स्पीकर ने कहा कि वह इसपर राय मशविरा के बाद फैसला लेंगे. लेकिन 12.45 बजे दोबारा कार्यवाही शुरू होते ही तीन बिल को वापस लेने और अनुपूरक बजट के पेश किए जाने के बाद सदन की कार्यवाही बुधवार तक स्थगित हो गई.

खास बात है कि सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद झारखंड सीएमओ की तरफ से जारी एक ट्वीट से पता चला कि सांसद निशिकांत दूबे ने लोकसभा में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ जो असंसदीय शब्द का इस्तेमाल किया था, उसे रिकॉर्ड से हटा दिया गया था. चूकि सांसद निशिकांत दूबे का वह वीडियो ट्वीटर पर था, इसलिए सीएमओ ने @TwitterSupport और @Twitter को टैग कर संबंधित वीडियो क्लिप को अविलंब साइट से हटाने की मांग की (Appeal to remove video from Twitter). लेकिन खबर लिखे जाने तक ट्वीटर ने संबंधित वीडियो को नहीं हटाया. इस बीच ईटीवी भारत ने गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे से फोन पर उनके खिलाफ प्रदीप यादव की टिप्पणी पर पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वह इसपर कुछ नहीं बोलेंगे. जो बोलना था लोकसभा में बोल चुके हैं. गौर करने वाली यह है कि झारखंड विधानसभा के स्पीकर सदन के हर सेशन से पहले माननीयों से आग्रह करते हैं कि सदन सुचारू रूप से चले. वह हमेशा व्यक्तिगत टिप्पणी से बचने की सलाह देते हैं. लेकिन इसका ख्याल नहीं रखा गया.

रांची: लोकसभा में गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे (MP Nishikant Dubey) की सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ एक व्यक्तिगत टिप्पणी की गूंज झारखंड विधानसभा में भी सुनाई दी. हालाकि लोकसभा में निशिकांत दूबे के असंसदीय शब्द को रिकॉर्ड से EXPUNGE यानी हटा दिया गया था. लेकिन यह जाने बगैर या अनजाने में इस मामले को लेकर झारखंड विधानसभा में शब्दों की मर्यादा तार-तार हो गई.

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प्रश्नकाल शुरू होते हुए विपक्ष के हंगामे के बीच विधायक प्रदीप यादव (MLA Pradeep Yadav) ने सांसद निशिकांत दूबे के लोकसभा में दिए गये बयान पर आपत्ति जताते हुए निंदा प्रस्ताव लाने की मांग रख दी. उनके प्रस्ताव का झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने भी समर्थन कर दिया. इस दौरान प्रदीप यादव ने भी निशिकांत दूबे के खिलाफ अमर्यादित व्यक्तिगत टिप्पणी कर दी. इस मसले पर आसन से नियमन जारी करने का आग्रह किया जाने लगा. दबाव बढ़ा तो स्पीकर ने कहा कि वह इसपर राय मशविरा के बाद फैसला लेंगे. लेकिन 12.45 बजे दोबारा कार्यवाही शुरू होते ही तीन बिल को वापस लेने और अनुपूरक बजट के पेश किए जाने के बाद सदन की कार्यवाही बुधवार तक स्थगित हो गई.

खास बात है कि सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद झारखंड सीएमओ की तरफ से जारी एक ट्वीट से पता चला कि सांसद निशिकांत दूबे ने लोकसभा में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ जो असंसदीय शब्द का इस्तेमाल किया था, उसे रिकॉर्ड से हटा दिया गया था. चूकि सांसद निशिकांत दूबे का वह वीडियो ट्वीटर पर था, इसलिए सीएमओ ने @TwitterSupport और @Twitter को टैग कर संबंधित वीडियो क्लिप को अविलंब साइट से हटाने की मांग की (Appeal to remove video from Twitter). लेकिन खबर लिखे जाने तक ट्वीटर ने संबंधित वीडियो को नहीं हटाया. इस बीच ईटीवी भारत ने गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे से फोन पर उनके खिलाफ प्रदीप यादव की टिप्पणी पर पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वह इसपर कुछ नहीं बोलेंगे. जो बोलना था लोकसभा में बोल चुके हैं. गौर करने वाली यह है कि झारखंड विधानसभा के स्पीकर सदन के हर सेशन से पहले माननीयों से आग्रह करते हैं कि सदन सुचारू रूप से चले. वह हमेशा व्यक्तिगत टिप्पणी से बचने की सलाह देते हैं. लेकिन इसका ख्याल नहीं रखा गया.

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