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CM ने लॉन्च किया कोरोना सहायता एप, रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रवासी मजदूरों के खाते में भेजे जाएंगे पैसे

झारखंड से बाहर फंसे राज्य के प्रवासी मजदूरों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए झारखंड सरकार ने एक मोबाइल एप लॉन्च किया है. इस एप के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को कम से कम 1 हजार रूपये की आर्थिक मदद दी जाएगी, जो डीबीटी के माध्यम से हफ्ते भर में मजदूरों तक पहुंचाया जाएगा.

CM हेमंत सोरेन ने लॉन्च किया कोरोना सहायता एप
jharkhand CM launched corona support app
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Published : Apr 16, 2020, 8:15 PM IST

Updated : Apr 17, 2020, 10:36 AM IST

रांची: कोरोना महामारी के मद्देनजर हुए लॉकडाउन में झारखंड से बाहर फंसे राज्य के प्रवासी मजदूरों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के मकसद से झारखंड सरकार ने गुरुवार को एक मोबाइल एप लॉन्च किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड कोरोना सहायता एप लॉन्च करते हुए कहा कि इस एप में रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रवासी मजदूरों को कम से कम 1 हजार रूपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्रेशन होने वाली संख्या बल के बाद राशि बढ़ाई भी जा सकती है. ये सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से हफ्ते भर में मजदूरों तक पहुंचाया जाएगा.

देखें पूरी खबर

लॉकडाउन 2.0 के बाद बना यह एप
स्टेट सेक्रेटेरिएट में इस बाबत आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि झारखंड सीमित संसाधनों के साथ लगातार कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. राज्य में गरीबों, दलितों और आदिवासियों की संख्या ज्यादा है इसलिए वह काम की तलाश में दूसरे राज्य जाते हैं और लॉकडाउन की वजह से वहां फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि जैसे ही लॉकडाउन 2.0 की घोषणा हुई, अधिकारियों को इस तरह के एप बनाने का निर्देश दिया गया.

हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

ये भी पढ़ें-हिंदपीढी में लॉकडाउन तोड़ने के मामले पर हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान, मुख्य सचिव, डीसी और एसएसपी मांगा जवाब

लगभग 7 लाख मजदूर हैं फंसे हुए
सोरेन ने कहा कि वैसे तो राज्य सरकार अपने दो कॉल सेंटर की मदद से बाहर फंसे लोगों की सहायता कर रही है, लेकिन इस एप की मदद से वैसे लोगों को आर्थिक सहायता पहुंचाई जा सकेगी, जिनके पास राशन पहुंचाना पूरी तरह से संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि बाहर फंसे मजदूरों का सब्र अब टूटता जा रहा है. ऐसे में हालात गंभीर हैं. उन्हें अपने परिवार की भी चिंता है. सीएम ने स्वीकार किया कि समस्याओं का 100% समाधान संभव नहीं है. फिर भी सरकार अंतिम क्षण तक प्रयास करेगी. एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत लोगों के कई खाते खुलवाए गए थे. सरकार इस बात का भी ध्यान रखेगी कि अगर किसी मजदूर का बैंक खाता नहीं हो फिर भी उसे आर्थिक मदद मिले. उन्होंने कहा कि मूल समस्याएं फिलहाल बनी हुई हैं. सरकार के पास उपलब्ध आंकड़े के हिसाब से लगभग 7 लाख लोग झारखंड से बाहर फंसे हुए हैं.

2 दिनों में तैयार किया गया यह एप
एप की जानकारी देते हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे ने कहा कि एप को इस तरह से तैयार किया गया है कि लोगों को जानकारी देने में सहूलियत हो. एप में नाम, फोन नंबर और आधार कार्ड का विवरण देना होगा, साथ ही एक सेल्फी खींच कर सबमिट करनी होगी जो आधार कार्ड से मैच कराई जाएगी. उसके बाद उन्हें उस राज्य और जिले की डिटेल मांगी जाएगी, जहां वो फंसे हैं. उन्होंने कहा कि फोन नंबर ओटीपी भेजा जाएगा, जिससे वेरिफिकेशन आसान हो सके. उन्होंने कहा कि वेरिफिकेशन के बाद संबंधित जिला प्रशासन से जानकारी ली जाएगी. सफलतापूर्वक रजिस्ट्रेशन के बाद लाभुक का अकाउंट डिटेल सबमिट कराया जाएगा. इसके लिए लाभुक का बैंक खाता झारखंड के किसी जिले में होना चाहिए. एक सवाल के जवाब में यह भी बात सामने आई है कि लोग सामूहिक रूप से फंसे हुए हैं. ऐसे में एक एंड्रॉयड फोन से कई लोग रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं बशर्ते कि उनके फोन नंबर अलग अलग हो.

रांची: कोरोना महामारी के मद्देनजर हुए लॉकडाउन में झारखंड से बाहर फंसे राज्य के प्रवासी मजदूरों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के मकसद से झारखंड सरकार ने गुरुवार को एक मोबाइल एप लॉन्च किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड कोरोना सहायता एप लॉन्च करते हुए कहा कि इस एप में रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रवासी मजदूरों को कम से कम 1 हजार रूपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्रेशन होने वाली संख्या बल के बाद राशि बढ़ाई भी जा सकती है. ये सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से हफ्ते भर में मजदूरों तक पहुंचाया जाएगा.

देखें पूरी खबर

लॉकडाउन 2.0 के बाद बना यह एप
स्टेट सेक्रेटेरिएट में इस बाबत आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि झारखंड सीमित संसाधनों के साथ लगातार कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. राज्य में गरीबों, दलितों और आदिवासियों की संख्या ज्यादा है इसलिए वह काम की तलाश में दूसरे राज्य जाते हैं और लॉकडाउन की वजह से वहां फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि जैसे ही लॉकडाउन 2.0 की घोषणा हुई, अधिकारियों को इस तरह के एप बनाने का निर्देश दिया गया.

हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

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लगभग 7 लाख मजदूर हैं फंसे हुए
सोरेन ने कहा कि वैसे तो राज्य सरकार अपने दो कॉल सेंटर की मदद से बाहर फंसे लोगों की सहायता कर रही है, लेकिन इस एप की मदद से वैसे लोगों को आर्थिक सहायता पहुंचाई जा सकेगी, जिनके पास राशन पहुंचाना पूरी तरह से संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि बाहर फंसे मजदूरों का सब्र अब टूटता जा रहा है. ऐसे में हालात गंभीर हैं. उन्हें अपने परिवार की भी चिंता है. सीएम ने स्वीकार किया कि समस्याओं का 100% समाधान संभव नहीं है. फिर भी सरकार अंतिम क्षण तक प्रयास करेगी. एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत लोगों के कई खाते खुलवाए गए थे. सरकार इस बात का भी ध्यान रखेगी कि अगर किसी मजदूर का बैंक खाता नहीं हो फिर भी उसे आर्थिक मदद मिले. उन्होंने कहा कि मूल समस्याएं फिलहाल बनी हुई हैं. सरकार के पास उपलब्ध आंकड़े के हिसाब से लगभग 7 लाख लोग झारखंड से बाहर फंसे हुए हैं.

2 दिनों में तैयार किया गया यह एप
एप की जानकारी देते हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे ने कहा कि एप को इस तरह से तैयार किया गया है कि लोगों को जानकारी देने में सहूलियत हो. एप में नाम, फोन नंबर और आधार कार्ड का विवरण देना होगा, साथ ही एक सेल्फी खींच कर सबमिट करनी होगी जो आधार कार्ड से मैच कराई जाएगी. उसके बाद उन्हें उस राज्य और जिले की डिटेल मांगी जाएगी, जहां वो फंसे हैं. उन्होंने कहा कि फोन नंबर ओटीपी भेजा जाएगा, जिससे वेरिफिकेशन आसान हो सके. उन्होंने कहा कि वेरिफिकेशन के बाद संबंधित जिला प्रशासन से जानकारी ली जाएगी. सफलतापूर्वक रजिस्ट्रेशन के बाद लाभुक का अकाउंट डिटेल सबमिट कराया जाएगा. इसके लिए लाभुक का बैंक खाता झारखंड के किसी जिले में होना चाहिए. एक सवाल के जवाब में यह भी बात सामने आई है कि लोग सामूहिक रूप से फंसे हुए हैं. ऐसे में एक एंड्रॉयड फोन से कई लोग रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं बशर्ते कि उनके फोन नंबर अलग अलग हो.

Last Updated : Apr 17, 2020, 10:36 AM IST
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