रांची: झारखंड चेंबर अध्यक्ष कुणाल आजमानी ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जेबीवीएनएल पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है पिछले कुछ दिनों से लगातार डीवीसी से विवाद चल रहा है, जो खत्म नहीं हो रहा है. पूरे देश में झारखंड के कोयले से बिजली उत्पन्न होती है, लेकिन चिराग तले अंधेरा की स्थिति झारखंड में बनी हुई है. उन्होंने कहा कि 2015 में डीवीसी का बकाया लगभग खत्म हो गया था, लेकिन इसके बाद लगातार बकाया बढ़ता जा रहा है और 5 हजार करोड़ तक पहुंच गया है. साथ ही बिजली टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव भी है. जिस पर अध्ययन भी किया गया है.
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उन्होंने कहा कि चेंबर ही ऐसी संस्था है, जो सभी की बातों को तथ्यों के साथ रखने का काम करती है. ऐसे में डिपार्टमेंट की गलतियों का खामियाजा आम जनता क्यों भुगतें. उन्होंने कहा कि जेबीवीएनएल ब्लैक होल बनता जा रहा है. चेंबर की ओर से सरकार को कई सुझाव भी दिए गए हैं. इसके बाद भी न ही सरकार और न ही जेबीवीएनएल ने उन बातों पर ध्यान दिया है. वहीं, उन्होंने कहा कि 31 जून के बाद राज्य सरकार इस पर निर्णय लेने वाली थी, लेकिन निर्णय नहीं लिया जा सका. इसको लेकर मुख्यमंत्री से भी बात की गई थी. उन्होंने कहा कि पिछले 3 महीने से उद्योग बंद हैं. ऐसे में सरकार को फिक्स्ड चार्जेस में छूट देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस पर निर्णय नहीं लेती है तो उद्योग जगत की मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
नए बिजली टैरिफ के लिए भेजा प्रपोजल
बता दें कि जेबीवीएनएल ने नए बिजली टैरिफ के लिए आयोग को प्रपोजल भेजा है. जिसमें साल 2016 से तीगुनी बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी देखी जा रही है. साल 2016-17 में घरेलू बिजली 1.60 से 3.20 रूपये थे. वर्तमान में ये सात रुपये से 7.50 रुपये हो गया है. जो बताता है कि बिजली दरों में जमीन आसमान का फर्क है. फिलहाल जो प्रपोजल दिया गया है, उसमें साल 2018-19 के ऑडिट में खुद जेबीवीएनएल के ऑडिटर ने प्रश्न खड़े किये है. ऑडिटर ने इन आंकड़ों को विश्वसनीय नहीं बताया है. वर्तमान प्रपोजल में लघु उद्योगों के लिए 100 से 300 प्रति केवी बिजली दर है. ये फिक्सड चार्जेस के है. वहीं एनर्जी चार्जेज 575 से 675 प्रति केवी है.