रांचीः झारखंड में एक बार फिर से कृषि बाजार शुल्क लागू करने की राज्य सरकार की तैयारी पर फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (Federation of Jharkhand Chamber of Commerce and Industries) ने नाराजगी जताई है. सरकार के द्वारा पिछले बजट सत्र में लाए गए विधेयक पर लगातार एतराज जता रहे राज्यभर के कर्मचारियों ने रविवार को बैठक कर जिस तरह से अल्टीमेटम दिया है, उससे साफ लग रहा है कि यह मामला तूल पकड़ेगा.
कृषि बाजार शुल्क का विरोध शुरू हो गया है. सरकार के फैसले पर झारखंड चैंबर नाराज नजर आ रहा है. झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष दीनदयाल ने सरकार के निर्णय की आलोचना करते हुए कहा है कि अगर सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो राज्य में 16 मई से खाद्यान्न व्यापार नहीं होगा, जिसका सीधा असर पड़ेगा. उन्होंने इस संबंध में मंत्री से लेकर राज्यपाल तक चैंबर द्वारा ज्ञापन दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री से काफी कोशिश के बावजूद व्यवसायियों को समय नहीं मिलने पर नाराजगी जताई है.
इधर व्यवसायियों के अल्टीमेटम को सत्ताधारी दल कांग्रेस शांत करने में जुट गयी है. कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने चैंबर ऑफ कॉमर्स को इस मुद्दे पर पुर्नविचार करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि दो वर्ष के बाद कोरोना से अभी सरकार और आम जनता उबरा है. ऐसे में अभी थोड़ी बहुत परेशानी जरुर होगी मगर सबकुछ ठीक हो जाएगा. उन्होंने कहा कि जो कुछ भी मांग चैंबर की है उसे सरकार ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ेगी.
सरकार के फैसले से नाराज व्यवसाय जगतः रविवार को हुई बैठक के दौरान सभी जिलों के चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं संबद्ध संस्थाओं के पदाधिकारियों ने एकस्वर में राज्य सरकार के निर्णय का विरोध किया है. व्यवसायियों ने कहा है कि एक गैर जरूरी शुल्क जिसमें हो रही अनियमितता को देखते हुए ही तत्कालीन राज्य सरकार ने वर्ष 2015 में समाप्त कर दिया था. दोबारा इस शुल्क को बिना व्यापारिक संगठनों से वार्ता किए, विधानसभा में पारित करने का निर्णय ना सिर्फ अव्यवहारिक बल्कि अप्रासंगिक भी है. झारखंड में अधिकांश कृषि उत्पादित वस्तुएं अन्य राज्यों से आयातित होती हैं, ऐसे में बाहर से आयातित वस्तुओं पर शुल्क लगाने से हर वर्ग के लोग प्रभावित होंगे क्योंकि इससे महंगाई बढ़ेगी.