रांची: झारखंड के अलग-अलग जिलों से लंपी स्किन डिजीज जैसे लक्षण से बड़ी संख्या में पशुओं के ग्रसित होने और मरने की खबरों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने लंपी डिजीज को लेकर सरकार पर तथ्य छुपाने का आरोप लगाया है. भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आरती कुजूर ने कहा कि नामकुम प्रखंड के कई इलाकों में लंपी स्किन डिजीज का संक्रमण जानवरों में फैला है. उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग और सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है. मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आरती कुजूर ने कहा कि जानवरों की मौत हो रही है. उन्होंने कहा कि वे खुद ग्रामीण इलाकों का दौरा कर रही हैं. पशुपालक परेशान हैं लेकिन पशुपालन विभाग मौन है.
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निदेशक डॉ. सनत कुमार ने क्या कहा: पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के निदेशक डॉ सनत कुमार पंडित ने कहा कि राज्य में लंपी जैसी बीमारी की सूचना तो कई जिलों से मिली है. इसके बाद लंपी स्किन डिजीज के संदिग्ध पशुओं का सैंपल साहिबगंज, गोड्डा, लोहरदगा, गुमला, लातेहार और कोडरमा से लेकर कुल 95 सैंपल जांच के लिए भोपाल के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी डिजीज को भेजा गया है. पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान में लंपी स्किन डिजीज कंट्रोल के नोडल अधिकारी डॉ मृत्युंजय कुमार ने बताया कि 28 अगस्त 2023 को 52 सैंपल, 05 सितंबर को 31 सैंपल और 22 सितम्बर को 12 सैंपल लंपी जांच के लिए भोपाल भेजा गया है.
लंपी से मौत की कोई सूचना नहीं: डॉ सनत कुमार पंडित कहते हैं कि कई जिलों में पशुओं में बीमारी फैलने की सूचना है. कहा कि लंपी स्किन डिजीज से मौत की सूचना नहीं है. अभी तक राज्य में कोई भी मौत लंपी की वजह से नहीं हुई है.
इस वजह से होती लंपी स्किन डिजीज: पशु चिकित्सक डॉ संजय कुमार के अनुसार लंपी स्किन डिजीज मुख्य रूप से गोवंशीय पशुओं में होने वाली विषाणु जनित बीमारी है. यह मुख्य रूप से संक्रमित मक्खियां, मच्छर और चमोकन के काटने से पशुओं में फैलती है. लंपी से ग्रसित बीमार पशुओं के आंख-नाक के स्राव, लार, घाव के स्राव के संपर्क में आने से स्वस्थ पशुओं में भी संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. बीमार दुधारू पशुओं (गाय-भैंस) के थन के आसपास घाव होने की वजह से दूध पीने वाले बाछा-बछियों में भी इस बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है. राज्य के पशुपालन विभाग की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार संक्रमित गर्भवती गाय-भैस से नवजात बच्चे में भी बीमारी फैल जाती है. संक्रमित सांढ़, भैंसे से भी गर्भाधान के समय यह बीमारी स्वस्थ पशु को हो सकती है.
ये हैं लंपी बीमारी के लक्षण: पशु चिकित्सक डॉ संजय कुमार ने बताया कि वायरल बीमारी लंपी स्किन डिजीज से ग्रसित पशुओं के संक्रमण के प्रारंभ में आंख एवं नाक से स्राव होता है. तेज बुखार और दूध में कमी आना भी इसके लक्षण है. बाद में लंपी संक्रमण के शिकार पशुओं की त्वचा पर गांठदार घाव का उभरना शुरू होता है. जो पूरे शरीर पर फैल जाता है. मादा पशुओं में आमतौर पर थनैला भी इस दौरान हो जाता है. उन्होंने बताया कि वहीं कुछ पशुओं में लंपी स्किन डिजीज की वजह से निमोनिया के लक्षण भी उभरते हैं. लंपी स्किन डिजीज में मृत्यु दर 10% तक है.
बीमारी पता चलने पर करें ये काम: पशु चिकित्सक डॉ संजय कुमार ने बताया कि बीमारी होने पर नजदीकी पशु चिकित्सक को पूरी जानकारी दें. कहा कि इसके साथ प्रखंड पशुपालन अधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी को अविलंब इस बात से परिचित कराएं. कहा कि इस दौरान बीमार पशुओं को आइसोलेट कर देने से संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है. पशुओं के रहने के स्थान की साफ सफाई और उसे मच्छर मक्खी से बचाने की बात कही. कहा कि इस दौरान नीम के पत्ते का धुआं कारगर होता है. संक्रमित पशुओं के जख्म पर एलोवेरा और हल्दी का मलहम लगाना भी फायदेमंद बताया.