रांचीः रविवार को झारखंड अभिभावक संघ की वर्चुअल बैठक अध्यक्ष अजय राय की अध्यक्षता में हुई. जिसमें प्रदेश पदाधिकारी और विभिन्न जिलों के अध्यक्ष और महासचिव शामिल हुए. बैठक में शामिल प्रतिनिधियों ने बताया कि बंद स्कूलों की ओर से अभिभावकों से लगातार सभी प्रकार की फीस की मांग की जा रही है और फीस न देने पर बच्चों की ऑनलाइन क्लास बाधित की जा रही है. वहीं ऑनलाइन पढ़ाई के चक्कर में बच्चे मोबाइल पर गेम खेल रहे हैं. उनकी आखों की रोशनी और मस्तिष्क पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
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आंदोलन का सोशल मीडिया पर प्रसारण
बैठक में आंदोलन चलाने को लेकर यह निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश की प्रति प्रत्येक जिला मुख्यालय में डिस्प्ले की जाएगी. स्कूल प्रबंधन को सरकार, सीबीएसई, आईसीएसई, राज्य बोर्ड की ओर से जारी आदेश की प्रति दी जाएगी. सभी जिलों में सोशल मीडिया और विभिन्न संचार माध्यम से अभिभावकों को गोलबंद कर आंदोलन को गति दी जाएगी. कोरोना और लॉकडाउन को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से प्ले कार्ड और अन्य माध्यम से वर्चुअल धरना दिया जाएगा. जिसका सीधा प्रसारण फेसबुक और अन्य माध्यम से होगा. आंदोलन की शुरुआत 26 मई से राज्य स्तर पर की जाएगी. 26 मई को प्ले कार्ड के माध्यम से वर्चुअल धरना, 28 मई को काला बिल्ला लगाकर फेसबुक लाइव करेंगे, 30 मई को ट्विटर के माध्यम से राज्य सरकार का ध्यान खीचेंगे.
आधी अधूरी तैयारी के साथ ऑनलाइन क्लास
अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि पिछले 14 महीने से निजी स्कूलों से कोई सुविधा अभिभावकों की ओर से नही लीं गई है. जिसमें साइंस लैब, कम्प्यूटर, सब-क्लास, स्मार्ट क्लास, क्लास रूम स्टडी, लैब, ग्राउंड, बिजली, पानी, मैगजीन, लाइब्रेरी आदि शामिल है. स्कूलों की ओर से बच्चों को बिना अनुमति के ऑनलाइन क्लास दी गई और वह भी आधी अधूरी तैयारी के साथ चल रही. ऑनलाइन क्लास के माध्यम से अभिभावकों को लगातार फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से 25 जून 2020 के जारी उस आदेश की भी धज्जिया उड़ाई जा रही हैं. जिस आदेश में साफ तौर पर कहा गया कि स्कूल कोरोना काल में सिर्फ ट्यूशन फीस के अलावा कोई दूसरा फीस नहीं लेंगे.
अभिभावकों की स्थिति खराब
अजय राय ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पिछले साल से लगातार लॉकडाउन और उद्योग धंधे बंद हो जाने से अभिभावक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. आज उनके हालात बद से बदतर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लगभग 70 से 80 प्रतिशत तक के लोग पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं. झारखंड में 21 मार्च के पूर्व से स्कूल बंद हुए. आज लगभग 14 महीने से भी ज्यादा हो गए हैं. ऐसी हालात में भी अभिभावक बच्चों के भविष्य को देखते हुए मंथली फीस जैसे-तैसे जमा करते आ रहे हैं. इस बात को स्कूल प्रबंधन को भी सोचना चाहिए, लेकिन वे संवेदनशील होने के बजाय आज हर तरह का शुल्क वसूलने में कही कोई कसर छोड़ नहीं रहे है.