रांची: अगर आपको इंसाफ के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी है और आपके पास वकील को देने के लिए पैसे नहीं है तो भी आप कानूनी लड़ाई लड़ सकते हैं. इसके लिए झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी और हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी हमेशा आपके साथ खड़ी है. गरीब आदमी जिनके पास पैसे नहीं है और उन्हें न्याय पाना है या उनके साथ अन्याय हो रहा है तो वह झालसा लीगल सर्विस अथॉरिटी या हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के पास आवेदन दें, उन्हें न्याय मिलेगा.
झालसा में दे सकते हैं आवेदन
झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी के सदस्य सचिव मो. शाकिर ने बताया कि ऐसे गरीब जिनके पास पैसे नहीं है या उन्हें इंसाफ नहीं मिल रहा है. अगर उन्हें इंसाफ के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी है तो वो रांची स्थित झालसा में अपना आवेदन दे सकते हैं या राज्य के सभी जिलों में बने जिला लीगल सर्विस अथॉरिटी में अपना आवेदन दे सकते हैं. राज्य के किसी भी जिला में अगर कानूनी लड़ाई लड़नी हो तो इसके लिए भी आवेदन दे सकते हैं. राज्य के एक जिला से दूसरे जिला में भी उन्हें अधिवक्ता उपलब्ध करवा दिए जाएंगे.
ऐप के माध्यम से भी मांग सकते हैं मदद
मो. शाकिर ने बताया कि इसके लिए झालसा और हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी ने भी एक ऐप तैयार किया है. उस ऐप के माध्यम से भी आप मदद मांग सकते हैं. इसके अलावा अगर स्मार्टफोन उनके पास नहीं है या इस तरह की सुविधाएं नहीं है तो इसके लिए भी एक पोर्टल बनाई गई है. आप अपने नजदीकी प्रज्ञा केंद्र जाकर पोर्टल के माध्यम से भी आवेदन दे सकते हैं, जिससे आपको कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए वकील मुहैया कराई जाएगी.
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बिना पैसा के वकील होगा उपलब्ध
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने बताया कि आरोपी या सजायाफ्ता जो जेल में है और उनके पास पैसे नहीं है, जिससे वो अदालत में अपील नहीं कर पा रहे हैं तो वह भी अगर झालसा या हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के समक्ष अपना आवेदन देते हैं, उन्हें भी वकील उपलब्ध कराया जाता है और उनके लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जाती है. उन्होंने हाई कोर्ट के ताजा उदाहरण देते हुए कहा कि पश्चिम सिंहभूम के एक कैदी जिसे उम्रकैद की सजा दी गई थी. पटना गोप एवं अन्य 3 कैदी गरीब थे उनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए वो अपील नहीं कर पा रहे थे, उनके घरवाले को वकीलों को देने के लिए पैसे नहीं थे, जब यह मामला झारखंड लीगल सर्विस कमेटी के समक्ष आया तो उन्होंने उन सजायाफ्ता कैदी को वकील उपलब्ध कराया. उस वकील ने उनकी ओर से अपील याचिका हाई कोर्ट में दायर की. हाई कोर्ट से उन सजायाफ्ता को जमानत दी गई.