पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही एनडीए झारखंड चुनाव में बिखर गया है. बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू और एलजेपी झारखंड में दो-दो हाथ करने वाली है. दोनों दलों के नेता ने इसका ऐलान भी कर दिया है. जेडीयू और लोजपा के झारखंड में बीजेपी के खिलाफ चुनाव में उतरने पर सहयोगी दल की मुश्किल बढ़ने वाली है. वहीं इस चुनाव के परिणाम का असर बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है.
झारखंड में बीजेपी के सहयोगी दलों के बीच बिखराब से एनडीए की एकता पर सवाल खड़ा हो रहा है. जहां एक तरफ एलजेपी (LJP) 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला कर चुकी है. वहीं दूसरी तरफ जेडीयू सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है. एलजेपी प्रदेश प्रवक्ता मो. अशरफ ने ईटीवी भारत को बताया कि बीजेपी से गठबंधन करने की कोशिश की गई.
एलजेपी प्रदेश प्रवक्ता मो. अशरफ के मुताबिक चिराग पासवान ने बीजेपी से 6 सीट की मांग की. लेकिन गठबंधन नहीं हो सका. जिसके बाद प्रदेश के नेताओं के दबाव के कारण चुनाव लड़ने का फैसला लिया गया. एलजेपी रामविलास पासवान के विकास कार्यों पर झारखंड में वोट मांगेगी. हालांकि एलजेपी प्रवक्ता ने चुनाव का असर बिहार में गठबंधन पर नहीं पड़ने की बात भी कही.
राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए जेडीयू लड़ रही चुनाव
दूसरी तरफ बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू का अपना मत है. प्रवक्ता राजीव रंजन ने ईटीवी भारत को बताया कि बीजेपी के साथ गठबंधन सिर्फ बिहार में है. जेडीयू दूसरे राज्यों में पार्टी विस्तार के लिए चुनाव लड़ रही है. राजीव रंजन का कहना है कि उनकी पार्टी जेडीयू को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाना चाहती है. इस कारण दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ रहे हैं. हर पार्टी को चुनाव लड़ने का अधिकार है. उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी नीतीश कुमार के विकास कार्यों पर झारखंड में वोट मांगेगी.
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जेडीयू-एलजेपी के साथ बिहार में गठबंधन
वहीं बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया है कि लोजपा और जेडीयू से उसका गठबंधन सिर्फ बिहार में है. अगर दोंनों दल दूसरे राज्य में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का मानना है कि झारखंड चुनाव में अलग-अलग चुनाव लड़ने से इसका असर बिहार में नहीं होगा. हालांकि झारखंड चुनाव में अगर जेडीयू और एलजेपी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराती है. परिणाम दोंनों दलों के पक्ष में आते हैं. तो आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग में प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू हो जाएगी. ऐसे में बीजेपी के लिए दबाव वाली स्थिति रहेगी.