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झारखंड में बिजली संकट: बेबस हुआ जेबीवीएनएल, लगातार बजते रहे अधिकारियों के फोन - load shedding in Jharkhand

झारखंड में बिजली संकट पर जेबीवीएनएल अधिकारी बेबस नजर आ रहे हैं. मांग के अनुरूप बिजली की आपूर्ति नहीं होने से पावर स्टेशन और सब स्टेशनों में कर्मियों और अधिकारियों के फोन कॉल आते रहे.

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झारखंड में बिजली संकट
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Published : Apr 29, 2022, 10:51 PM IST

Updated : Apr 29, 2022, 11:01 PM IST

रांचीः झारखंड में पिछले एक सप्ताह से जारी बिजली संकट शुक्रवार को भी जारी रहा. बिजली की आपूर्ति नहीं होने से पावर स्टेशन और सब स्टेशनों में कर्मियों और अधिकारियों के फोन कॉल आते रहे. चिलचिलाती गर्मी के बीच जारी बिजली किल्लत के आगे विभागीय अधिकारी भी बेबस दिखे. गुरुवार रात राज्यभर में करीब 600 मेगावाट की कटौती रही. जिस वजह से रातभर राजधानी रांची सहित विभिन्न जिलों में लोड शेडिंग होता रहा. सबसे खराब स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में दिखा जहां करीब पांच से छह घंटे बिजली कटी रहती है.

इसे भी पढ़ें- बिजली संकट: कोयला ढुलाई में आयेगी तेजी, सरकार ने रद्द कीं 657 ट्रेनें



इस बार देशभर में जारी बिजली की किल्लत ने झारखंड को सबक देने का काम किया है. अपनी बिजली उत्पादन नहीं के बराबर होने के वजह से झारखंड बिजली सेंट्रल पूल के भरोसे रहता है. इस बार सेंट्रल पूल में भी बिजली की किल्लत है, इस वजह से झारखंड को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. अनुमान के मुताबिक मांग के अनुरूप पूरे देशभर में करीब दस हजार मेगावाट बिजली की किल्लत है यानी उत्पादन नहीं हो पा रहा है. झारखंड को औसतन दिन के समय 1800 मेगावाट की आवश्यकता होती है जिसमें शुक्रवार को भी कमी बनी रही.

जानकारी देते राज्य भार प्रेषण केन्द्र के महाप्रबंधक मुकेश कुमार सिंह

राज्य भार प्रेषण केन्द्र के महाप्रबंधक मुकेश कुमार सिंह के अनुसार राज्य में बिजली उत्पादन बहुत ही कम मात्रा में है. जिसमें टीटीपीएस से करीब 320 मेगावाट, आधुनिक से 180 मेगावाट और सौर ऊर्जा से दिन में विद्युत आपूर्ति करने की कोशिश की गई. इसके बाबजूद करीब 270 मेगावाट का शॉर्टेज दिन में बना रहा. रात में मांग बढ़ने से लोड शेडिंग का दायरा स्वभाविक रुप से बढेगा. उन्होंने कहा कि सिकिदरी हाइडल में पानी की कमी के कारण प्लांट में उत्पादन नहीं हो पा रहा है. अगर यह चालू रहता तो 130 मेगावाट बिजली मिल सकती थी. इस प्लांट में जल संसाधन विभाग पानी की आपूर्ति करता है.

उन्होंने कहा कि डीवीसी कमांड एरिया में मुख्यमंत्री के अपील पर अभी तक 150 मेगावाट अतिरिक्त बिजली आपूर्ति नहीं की जा सकी है, जिससे इन क्षेत्रों में परेशानी बढ़ी हुई है. जेबीवीएनएल महाप्रबंधक ने कहा कि विभाग के द्वारा मांग के अनुरूप बिजली खरीदने की तैयारी की जा चुकी है, जिससे जल्द ही स्थिति सामान्य होने की संभावना है. इधर राजधानी में विद्युत आपूर्ति सामान्य बनाने के लिए रांची प्रक्षेत्र के महाप्रबंधक पीके श्रीवास्तव ने सभी ग्रिडों और राज्य भार प्रेषण केन्द्र में एक्सक्यूटिव इंजीनियर एवं अन्य पदाधिकारियों को प्रतिनियुक्ति की है.

रांचीः झारखंड में पिछले एक सप्ताह से जारी बिजली संकट शुक्रवार को भी जारी रहा. बिजली की आपूर्ति नहीं होने से पावर स्टेशन और सब स्टेशनों में कर्मियों और अधिकारियों के फोन कॉल आते रहे. चिलचिलाती गर्मी के बीच जारी बिजली किल्लत के आगे विभागीय अधिकारी भी बेबस दिखे. गुरुवार रात राज्यभर में करीब 600 मेगावाट की कटौती रही. जिस वजह से रातभर राजधानी रांची सहित विभिन्न जिलों में लोड शेडिंग होता रहा. सबसे खराब स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में दिखा जहां करीब पांच से छह घंटे बिजली कटी रहती है.

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इस बार देशभर में जारी बिजली की किल्लत ने झारखंड को सबक देने का काम किया है. अपनी बिजली उत्पादन नहीं के बराबर होने के वजह से झारखंड बिजली सेंट्रल पूल के भरोसे रहता है. इस बार सेंट्रल पूल में भी बिजली की किल्लत है, इस वजह से झारखंड को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. अनुमान के मुताबिक मांग के अनुरूप पूरे देशभर में करीब दस हजार मेगावाट बिजली की किल्लत है यानी उत्पादन नहीं हो पा रहा है. झारखंड को औसतन दिन के समय 1800 मेगावाट की आवश्यकता होती है जिसमें शुक्रवार को भी कमी बनी रही.

जानकारी देते राज्य भार प्रेषण केन्द्र के महाप्रबंधक मुकेश कुमार सिंह

राज्य भार प्रेषण केन्द्र के महाप्रबंधक मुकेश कुमार सिंह के अनुसार राज्य में बिजली उत्पादन बहुत ही कम मात्रा में है. जिसमें टीटीपीएस से करीब 320 मेगावाट, आधुनिक से 180 मेगावाट और सौर ऊर्जा से दिन में विद्युत आपूर्ति करने की कोशिश की गई. इसके बाबजूद करीब 270 मेगावाट का शॉर्टेज दिन में बना रहा. रात में मांग बढ़ने से लोड शेडिंग का दायरा स्वभाविक रुप से बढेगा. उन्होंने कहा कि सिकिदरी हाइडल में पानी की कमी के कारण प्लांट में उत्पादन नहीं हो पा रहा है. अगर यह चालू रहता तो 130 मेगावाट बिजली मिल सकती थी. इस प्लांट में जल संसाधन विभाग पानी की आपूर्ति करता है.

उन्होंने कहा कि डीवीसी कमांड एरिया में मुख्यमंत्री के अपील पर अभी तक 150 मेगावाट अतिरिक्त बिजली आपूर्ति नहीं की जा सकी है, जिससे इन क्षेत्रों में परेशानी बढ़ी हुई है. जेबीवीएनएल महाप्रबंधक ने कहा कि विभाग के द्वारा मांग के अनुरूप बिजली खरीदने की तैयारी की जा चुकी है, जिससे जल्द ही स्थिति सामान्य होने की संभावना है. इधर राजधानी में विद्युत आपूर्ति सामान्य बनाने के लिए रांची प्रक्षेत्र के महाप्रबंधक पीके श्रीवास्तव ने सभी ग्रिडों और राज्य भार प्रेषण केन्द्र में एक्सक्यूटिव इंजीनियर एवं अन्य पदाधिकारियों को प्रतिनियुक्ति की है.

Last Updated : Apr 29, 2022, 11:01 PM IST
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