रांची: साइबर अपराधियों और साइबर क्राइम ब्रांच के बीच तू डाल डाल मैं पात पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. एक तरफ जहां साइबर क्राइम ब्रांच की टीम साइबर अपराधियों के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए है. वहीं दूसरी तरफ साइबर अपराधी अपने पुराने ठगी के तरीकों को छोड़कर हर दिन नया तरीका इजाद कर ले रहे हैं. साइबर अपराध के लिए बदनाम झारखंड के जामताड़ा से अब बैंकों के एपीके फाइल बनाकर ग्राहकों के डाटा को चुराकर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है.
यह भी पढ़ें: बैंक प्रबंधक से ही ठगों ने कर ली लाखों रुपए की ठगी, साइबर अपराधी को पकड़ने जामताड़ा पहुंची ओडिशा पुलिस
दरअसल, अब जामताड़ा के साइबर अपराधियों ने अपने ठगी के तरीके को बदल लिया है. अब वे फोन ना करते हैं और ना ही ओटीपी पूछते हैं. सीधे बैंकों के फर्जी एपीके फाइल बनाकर लोगों के खातों से पैसे उड़ा लेते हैं.
हूबहू बैंक के जैसे मैसेज भेज रहे साइबर अपराधी: झारखंड सीआईडी के एसपी एस कार्तिक ने बताया कि जामताड़ा के साइबर अपराधी छोटे से लेकर बड़े बैंकों को टारगेट कर रहे हैं. इन बैंकों के एपीके फाइल के जरिए बैंकों के हूबहू एप और वेबसाइट तैयार कर लिया जा रहे हैं, जो देखने में बिल्कुल असली लगते हैं. जिस तरह से लोगों के मोबाइल में बैंकों के मैसेज आते हैं, उसी तरह के मैसेज साइबर अपराधी भी भेज रहे हैं.
जैसे ही आप उस मैसेज को क्लिक करते हैं या फिर वेबसाइट को खोलने की कोशिश करते हैं, आपके मोबाइल को साइबर अपराधी हैक कर लेते हैं और फिर उसमें से निजी जानकारियां जैसे बैंक का डिटेल निकालकर ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं. साइबर अपराधियों का नया तरीका इसी साल फरवरी महीने में प्रभाव में आया है, जिसके बाद लगातार साइबर क्राइम ब्रांच एपीके फाइल को लेकर रिसर्च कर रही है ताकि लोगों को इस ठगी की वारदात से बचाया जा सके.
लगातार बैंकों से आ रही है शिकायत: दरअसल, हाल में आईसीआईसीआई बैंक के द्वारा साइबर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. बैंक के द्वारा बताया गया था कि उनके खाता धारकों को अज्ञात साइबर अपराधी फिशिंग के जरिए एसएमएस भेज रहे हैं, उस एसएमएस में लोगों को खाता, पैन कार्ड, डेबिट कार्ड से जुड़ी फर्जी जानकारी के साथ-साथ एक फर्जी एपीके फाइल भी भेजा जा रहा है. फाइल एक नजर में देखने में आईसीआईसी बैंक के इंटरनेट बैंकिंग से मिलता जुलता एप जैसा ही दिखता है.
इसे जैसे ही किसी मोबाइल में इनस्टॉल किया जाता है, उस मोबाइल का सभी संवेदनशील डाटा, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, एटीएम खाता नंबर, आईडी पासवर्ड, साइबर अपराधियों तक पहुंच जाता है. इसके माध्यम से आसानी से उस व्यक्ति के खाते में सेंधमारी कर पैसे उड़ा लिए जा रहे हैं. साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार, बड़े से लेकर छोटे बैंकों को इसी तर्ज पर साइबर अपराधी निशाना बना रहे हैं.
अब तक आठ गिरफ्तार: एपीके फाइल के जरिए ठगी की घटनाएं झारखंड में ही नहीं बल्कि देश भर में लगातार घट रही है. फरवरी महीने से लेकर अब तक झारखंड साइबर क्राइम ब्रांच की टीम इसमें जुड़े आठ साइबर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है. लेकिन साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार, इसके पीछे एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है, जो सीधे तौर पर जामताड़ा से जुड़ा हुआ है.
रिसर्च कर रही है साइबर टीम: जामताड़ा साइबर गैंग्स के इस नए पैंतरे को लेकर साइबर क्राइम ब्रांच की टीम अलर्ट हो चुकी है. साइबर क्राइम ब्रांच की रिसर्च टीम वैसे तमाम बैंकों के संपर्क में है, जिनके एपीके मैसेज ग्राहकों तक भेजे जा रहे हैं. साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने आम लोगों से भी अपील की है कि वे भले ही ठगी के शिकार ना हो, लेकिन अगर उनके साथ भी इस तरह की कोशिश होती है तो वे जरूर साइबर सुरक्षा पोर्टल पर जाकर उस नंबर के बारे में जानकारी शेयर करें ताकि रिसर्च टीम उस नंबर पर भी रिसर्च कर उसकी जानकारी हासिल कर सके.
सावधानियां भी बताई गई: साइबर क्राइम ब्रांच के द्वारा आम लोगों से अपील की गई है कि वह 1903 में फोन कर साइबर ठगी की जानकारी दें. सिर्फ ठगी की ही नहीं, अगर उनके साथ ठगी की कोशिश भी होती है, तब भी वह जानकारी जरूर दें. साइबर अपराधी अब तो फोन कर रहे हैं और ना ही ओटीपी पूछ रहे हैं. ऐसे में मोबाइल में आने वाले हर मैसेज और लिंक को लेकर सावधान रहें.
बैंक से जुड़े मैसेज अगर लगातार आपके मोबाइल में आते हैं तो आप एक बार नजदीकी बैंक जाकर उसकी पड़ताल जरूर कर ले. बैंकों से संबंधित किसी भी एप पर अगर आपको संदेह हो तो तुरंत बैंक और साइबर क्राइम ब्रांच दोनों को सूचना दें. इंटरनेट सर्च इंजन गूगल और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिए गए कस्टमर केयर, हेल्पलाइन नंबर पर भरोसा ना करें. कस्टमर केयर नंबर के लिए हमेशा अधिकृत वेबसाइट से ही संपर्क करें. किसी भी अज्ञात व्यक्ति के भेजे गए अज्ञात लिंक या यूआरएल पर क्लिक ना करें और ना ही किसी अन्य नंबर पर फॉरवर्ड करें.