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रांची रेल मंडल में आइसोलेशन ट्रेन बनकर तैयार, नहीं हो रहा उपयोग - रांची रेल मंडल

रांची रेल मंडल ने करोड़ों रुपए की लागत से 60 कोच वाली ट्रेन को आइसोलेशन ट्रेन में तब्दील कर दिया, लेकिन इस ट्रेन का उपयोग अब तक राज्य सरकार ने और न ही रेल मंडल किया है. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने संबंधित अधिकारी नीरज कुमार से बातचीत की.

रांची रेल मंडल में करोड़ों की लागत से आइसोलेशन ट्रेन बनकर है तैयार
Isolation train waiting for green flag of Ranchi Rail Division
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Published : Jul 4, 2020, 5:46 PM IST

रांची: रेल मंत्रालय के निर्देश पर रांची रेल मंडल ने करोड़ों रुपए खर्च कर हटिया यार्ड में 60 कोच वाली एक ट्रेन को आइसोलेशन ट्रेन में तब्दील किया है, लेकिन अब तक इस आइसोलेशन ट्रेन का उपयोग नहीं हुआ है. रांची रेल मंडल की योजना इस ट्रेन को अन्य तरीके से उपयोग करने की है. इस ट्रेन को पटरी पर चलाने को लेकर मंडल विचार कर रही है.

देखें पूरी खबर

कुछ ट्रेनें आइसोलेशन वार्ड में तब्दील

कोरोना वायरस को देखते हुए देश भर के तमाम जगह पर आइसोलेशन वार्ड का निर्माण करवाया गया है. बड़े-बड़े अस्पतालों को राज्य और केंद्र सरकार ने कोविड-19 के लिए अलग से अस्पताल बनाया है. कई मिशनरी अस्पताल के अलावा निजी अस्पताल और सरकारी अस्पतालों में भी कोविड-19 का वार्ड बनाया गया है. इसी कड़ी में रेल मंत्रालय भी केंद्र सरकार को सहयोग करने के उद्देश्य से अपने तमाम रेल मंडलों को निर्देश दिया था कि वह भी अपने-अपने स्तर से कुछ ट्रेनों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करें.

इसे देखते हुए रांची रेल मंडल ने करोड़ों रुपए की लागत से 60 कोच वाली ट्रेन को आइसोलेशन ट्रेन में तब्दील कर दिया है, लेकिन इस ट्रेन का उपयोग अब तक राज्य सरकार ने नहीं किया और न ही रेल मंडल ने इसका उपयोग किया है.

मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब संबंधित अधिकारी नीरज कुमार से बातचीत की तो उन्होंने कहा की इस ट्रेन को अब पटरी पर दौड़ाने को लेकर विचार किया जा रहा है. वरीय अधिकारियों के साथ लगातार विचार-विमर्श का दौर जारी है. हरी झंडी मिलते ही ट्रेन को श्रमिक स्पेशल ट्रेन के रूप में भी चलाया जा सकता है. हालांकि मेडिकल की दृष्टि से लगाए गए उन तमाम उपकरणों को रेलवे अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ेगा. फिलहाल मामले को लेकर चर्चा हो रही है.

ये भी पढ़ें-एक सादे समारोह में माही ने रचाई थी साक्षी संग शादी, आज मना रहे हैं 10वीं मैरेज एनिवर्सरी

आइसोलेशन ट्रेन का निर्माण

राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस को देखते हुए इस आइसोलेशन ट्रेन का निर्माण कराया गया था, लेकिन राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इस ट्रेन का उपयोग करने से इसलिए मना कर दिया कि रेलवे की ओर से सिर्फ आइसोलेशन ट्रेन को ही मुहैया कराया जा रहा था. इसमें काम करने वाले मेडिकल स्टाफ, चिकित्सक और राज्य सरकार को ही देना था. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने अपना हाथ खड़े कर दिए और अब इस ट्रेन का कोई उपयोग नहीं हो रहा है.

प्राइवेट यात्री ट्रेन से रांची रेल मंडल को भी उम्मीद

रांची रेल मंडल में इन दिनों एक चर्चा जोरों पर है. देश में प्राइवेट यात्री ट्रेन के परिचालन शुरू होने पर यह उम्मीद जतायी जा रही है कि रांची रेल मंडल को भी 4 प्राइवेट ट्रेन मिल सकती हैं. प्राइवेट ट्रेनों का परिचालन एक राज्य की राजधानी से दूसरा राज्य की राजधानी तक के लिए किया जाना है.

रांची रेल मंडल के एक अधिकारी ने कहा कि प्राइवेट ट्रेनें उन्हीं रूटों पर चलाई जा सकेंगी, जिनमें उद्योग, शिक्षा और व्यवसाय के लोग अधिक आना-जाना करते हैं. हालांकि प्राइवेट ट्रेनों की प्रतिस्पर्धा के लिए पहले से ही रांची-हावड़ा क्रिया योगा, रांची-नई दिल्ली एक्सप्रेस, पटना-जनशताब्दी रांची जैसे ट्रेनें रांची रेल मंडल में परिचालित हो रहीं हैं.

रांची: रेल मंत्रालय के निर्देश पर रांची रेल मंडल ने करोड़ों रुपए खर्च कर हटिया यार्ड में 60 कोच वाली एक ट्रेन को आइसोलेशन ट्रेन में तब्दील किया है, लेकिन अब तक इस आइसोलेशन ट्रेन का उपयोग नहीं हुआ है. रांची रेल मंडल की योजना इस ट्रेन को अन्य तरीके से उपयोग करने की है. इस ट्रेन को पटरी पर चलाने को लेकर मंडल विचार कर रही है.

देखें पूरी खबर

कुछ ट्रेनें आइसोलेशन वार्ड में तब्दील

कोरोना वायरस को देखते हुए देश भर के तमाम जगह पर आइसोलेशन वार्ड का निर्माण करवाया गया है. बड़े-बड़े अस्पतालों को राज्य और केंद्र सरकार ने कोविड-19 के लिए अलग से अस्पताल बनाया है. कई मिशनरी अस्पताल के अलावा निजी अस्पताल और सरकारी अस्पतालों में भी कोविड-19 का वार्ड बनाया गया है. इसी कड़ी में रेल मंत्रालय भी केंद्र सरकार को सहयोग करने के उद्देश्य से अपने तमाम रेल मंडलों को निर्देश दिया था कि वह भी अपने-अपने स्तर से कुछ ट्रेनों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करें.

इसे देखते हुए रांची रेल मंडल ने करोड़ों रुपए की लागत से 60 कोच वाली ट्रेन को आइसोलेशन ट्रेन में तब्दील कर दिया है, लेकिन इस ट्रेन का उपयोग अब तक राज्य सरकार ने नहीं किया और न ही रेल मंडल ने इसका उपयोग किया है.

मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब संबंधित अधिकारी नीरज कुमार से बातचीत की तो उन्होंने कहा की इस ट्रेन को अब पटरी पर दौड़ाने को लेकर विचार किया जा रहा है. वरीय अधिकारियों के साथ लगातार विचार-विमर्श का दौर जारी है. हरी झंडी मिलते ही ट्रेन को श्रमिक स्पेशल ट्रेन के रूप में भी चलाया जा सकता है. हालांकि मेडिकल की दृष्टि से लगाए गए उन तमाम उपकरणों को रेलवे अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ेगा. फिलहाल मामले को लेकर चर्चा हो रही है.

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आइसोलेशन ट्रेन का निर्माण

राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस को देखते हुए इस आइसोलेशन ट्रेन का निर्माण कराया गया था, लेकिन राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इस ट्रेन का उपयोग करने से इसलिए मना कर दिया कि रेलवे की ओर से सिर्फ आइसोलेशन ट्रेन को ही मुहैया कराया जा रहा था. इसमें काम करने वाले मेडिकल स्टाफ, चिकित्सक और राज्य सरकार को ही देना था. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने अपना हाथ खड़े कर दिए और अब इस ट्रेन का कोई उपयोग नहीं हो रहा है.

प्राइवेट यात्री ट्रेन से रांची रेल मंडल को भी उम्मीद

रांची रेल मंडल में इन दिनों एक चर्चा जोरों पर है. देश में प्राइवेट यात्री ट्रेन के परिचालन शुरू होने पर यह उम्मीद जतायी जा रही है कि रांची रेल मंडल को भी 4 प्राइवेट ट्रेन मिल सकती हैं. प्राइवेट ट्रेनों का परिचालन एक राज्य की राजधानी से दूसरा राज्य की राजधानी तक के लिए किया जाना है.

रांची रेल मंडल के एक अधिकारी ने कहा कि प्राइवेट ट्रेनें उन्हीं रूटों पर चलाई जा सकेंगी, जिनमें उद्योग, शिक्षा और व्यवसाय के लोग अधिक आना-जाना करते हैं. हालांकि प्राइवेट ट्रेनों की प्रतिस्पर्धा के लिए पहले से ही रांची-हावड़ा क्रिया योगा, रांची-नई दिल्ली एक्सप्रेस, पटना-जनशताब्दी रांची जैसे ट्रेनें रांची रेल मंडल में परिचालित हो रहीं हैं.

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