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SDRF के कमांडेंट बने IPS अनीश गुप्ता, आपदा से निपटने के लिए एसडीआरएफ को किया जाएगा मजबूत - एसडीआरएफ कमांडेंट अनीश गुप्ता

झारखंड में साल 2019 में एसडीआरएफ का गठन किया गया था. उस समय इसमें कुल 132 पदों पर प्रतिनियुक्ति का फैसला लिया गया था. लेकिन चुनाव और सरकार बदलने के कारण इस पर गंभीरता से काम नहीं हो पाया था. अब एक फिर से एसडीआरएफ के पुनर्गठन की कोशिश हो रही है. आईपीएस अनीश गुप्ता को एसडीआरएफ का कमांडेंट बनाया गया है.

IPS Anish Gupta
आईपीएस अनीश गुप्ता
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Published : Aug 28, 2021, 12:26 PM IST

रांची: राज्य में आपदा से निपटने के लिए एनडीआरएफ की तर्ज पर एसडीआरएफ के पुनर्गठन की कोशिशें तेज हो गई हैं. राज्य पुलिस के जैप 1 के कमांडेंट अनीश गुप्ता को अतिरिक्त प्रभार देते हुए एसडीआरएफ यानि राज्य आपदा मोचन बल का कमांडेंट बनाया गया है.



हर विंग से होगी पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग

राज्य में किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए राज्य पुलिस के अलग अलग बलों से जवानों की प्रतिनियुक्ति एसडीआरएफ में होगी. एसडीआरएफ में प्रतिनियुक्ति के बाद पुलिसकर्मियों की विशेष ट्रेनिंग होगी, ताकि वह आपदा से निपटने की क्षमता विकसित कर सकें. एसडीआरएफ में डॉक्टरों की भी प्रतिनियुक्ति होगी. इसके लिए भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- NDRF की तर्ज पर आपदा से निपटने के लिए झारखंड में बना SDRF, इन 132 पदों पर होगी प्रतिनियुक्ति

एनडीआरएफ से दिलायी जाएगी ट्रेनिंग

एसडीआरएफ में प्रतिनियुक्ति कर्मियों की विशेष ट्रेनिंग एनडीआरएफ से करायी जाएगी. एनडीआरएफ के प्रशिक्षक यहां प्रतिनियुक्ति कर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे, ताकि किसी तरह की आपदा में वह तत्काल कार्रवाई कर सकें. वर्तमान में राज्य में एनडीआरएफ की टीम ही प्रत्येक आपदा में अपनी भूमिका निभाती आयी है. एसडीआरएफ का गठन साल 2019 में ही किया गया था, लेकिन इसे अबतक क्रियाशील नहीं किया जा सका है.

132 पदों पर होनी थी नियुक्ति

झारखंड में प्राकृतिक या अप्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एनडीआरएफ की तर्ज पर एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) का गठन जून 2019 में किया गया था. राज्य में आपदा की स्थिति में बचाव और राहत कार्य के लिए गठन का प्रस्ताव पूर्व में तैयार किया गया था. एसडीआरएफ के लिए झारखंड सशस्त्र पुलिस (जैप) से 66 पदों की सेवा गृह कारा और आपदा प्रबंधन विभाग को सौंपे जाने की बात सामने आई थी. जैप और वायरलेस सर्विस दोनों ही से पांच निरीक्षक सशस्त्र, 03 एसआई सशस्त्र, 3 वायरलेस दरोगा, 3 वायरलेस आरक्षी, 18 परिवहन आरक्षी और 34 समान्य आरक्षियों की सेवा लेने की बात कही गई थी. गृह सचिव के आदेश के मुताबिक, एसडीआरएफ में पदस्थापन के बाद जैप और वायरलेस की उत्पन रिक्तियों के विरुद्ध कोई नियुक्ति नहीं होगी.

रांची: राज्य में आपदा से निपटने के लिए एनडीआरएफ की तर्ज पर एसडीआरएफ के पुनर्गठन की कोशिशें तेज हो गई हैं. राज्य पुलिस के जैप 1 के कमांडेंट अनीश गुप्ता को अतिरिक्त प्रभार देते हुए एसडीआरएफ यानि राज्य आपदा मोचन बल का कमांडेंट बनाया गया है.



हर विंग से होगी पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग

राज्य में किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए राज्य पुलिस के अलग अलग बलों से जवानों की प्रतिनियुक्ति एसडीआरएफ में होगी. एसडीआरएफ में प्रतिनियुक्ति के बाद पुलिसकर्मियों की विशेष ट्रेनिंग होगी, ताकि वह आपदा से निपटने की क्षमता विकसित कर सकें. एसडीआरएफ में डॉक्टरों की भी प्रतिनियुक्ति होगी. इसके लिए भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.

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एनडीआरएफ से दिलायी जाएगी ट्रेनिंग

एसडीआरएफ में प्रतिनियुक्ति कर्मियों की विशेष ट्रेनिंग एनडीआरएफ से करायी जाएगी. एनडीआरएफ के प्रशिक्षक यहां प्रतिनियुक्ति कर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे, ताकि किसी तरह की आपदा में वह तत्काल कार्रवाई कर सकें. वर्तमान में राज्य में एनडीआरएफ की टीम ही प्रत्येक आपदा में अपनी भूमिका निभाती आयी है. एसडीआरएफ का गठन साल 2019 में ही किया गया था, लेकिन इसे अबतक क्रियाशील नहीं किया जा सका है.

132 पदों पर होनी थी नियुक्ति

झारखंड में प्राकृतिक या अप्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एनडीआरएफ की तर्ज पर एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) का गठन जून 2019 में किया गया था. राज्य में आपदा की स्थिति में बचाव और राहत कार्य के लिए गठन का प्रस्ताव पूर्व में तैयार किया गया था. एसडीआरएफ के लिए झारखंड सशस्त्र पुलिस (जैप) से 66 पदों की सेवा गृह कारा और आपदा प्रबंधन विभाग को सौंपे जाने की बात सामने आई थी. जैप और वायरलेस सर्विस दोनों ही से पांच निरीक्षक सशस्त्र, 03 एसआई सशस्त्र, 3 वायरलेस दरोगा, 3 वायरलेस आरक्षी, 18 परिवहन आरक्षी और 34 समान्य आरक्षियों की सेवा लेने की बात कही गई थी. गृह सचिव के आदेश के मुताबिक, एसडीआरएफ में पदस्थापन के बाद जैप और वायरलेस की उत्पन रिक्तियों के विरुद्ध कोई नियुक्ति नहीं होगी.

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