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HEC की एक और कामयाबी, डीजल से चलने वाले हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर का किया आविष्कार

देश का मातृ उद्योग कहा जाने वाला एचइसी एक बार फिर अपने आविष्कार से सुर्खियों में आया है. डीजल से चलने वाली हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर के आविष्कार के बाद खनन में आने वाले परेशानियों को कम करने के लिए एचइसी का नया आविष्कार हर तरह से उपयोगी साबित होने वाला है.

हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर
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Published : Sep 22, 2019, 2:14 PM IST

रांचीः राजधानी के धुर्वा स्थित हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने एक बार फिर साबित किया है कि वो किसी से कम नहीं. अपने नए अविष्कार से यह साबित किया है कि भले ही एचइसी आर्थिक तंगी झेल रहा हो, इसके बावजूद एचइसी में काबिलियत और हुनर से भरे लोगों की कमी नहीं है.

देखें पूरी खबर


हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर का आविष्कार

कोल माइंस और दूसरे माइंस में उपयोगी साबित होने वाला डीजल से चलने वाले हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर के आविष्कार को लेकर एचइसी के सीएमडी एमके सक्सेना ने बताया कि जिस प्रकार से कोल माइंस और मिनरल माइंस में उपयोग आने वाले आधुनिक हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का निर्माण किया गया है, इससे बिजली की उपलब्धता नहीं रहने की स्थिति में कोयले या अन्य उर्वरक का खनन बिना किसी रुकावट के कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि अमूमन खनन के दौरान यह देखा जाता है खनन करने के दौरान जब हम ज्यादा गहराई में जाते हैं तो बिजली की उपलब्धता कम हो जाती है. ऐसी स्थिति में खनिजों और अन्य उत्पादों का खनन करने में कर्मचारी असमर्थ हो जाते हैं, लेकिन एचईसी द्वारा बनाए गए इस नए और नायाब हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर से बिजली की जगह डीजल के माध्यम से ज्यादा गहराई तक खनन की जा सकती है, जो निश्चित रूप से लाभप्रद होगा.

यह भी पढ़ें- 25 सितंबर को रांची में जेवीएम का कार्यकर्ता समागम, सरकार के खिलाफ खोलेंगे मोर्चा

उद्योग मंत्रालय ने एचइसी को 5 करोड़ रुपए की मदद की

इस अविष्कार को लेकर भारी उद्योग मंत्रालय ने एचइसी को कैपिटल गुड्स स्कीम के तहत लगभग 5 करोड़ रुपए की मदद राशि भी दी. इस राशि से खनन के क्षेत्र में बिना बिजली की मदद से ऐसे एक्सकेवेटर का निर्माण किया जा सकेगा, जिससे कि जमीन में खनन करने के दौरान ज्यादा गहराई में जाने के बावजूद बिजली के बिना भी अच्छे तरीके से काम होता रहे. एचइसी सीएमडी ने बताया कि जल्द ही वह अपने इस नए आविष्कार को बाजार में उतारेंगे और इसकी कीमत अन्य एक्सकेवेटर की तुलना में काफी कम होगी. फिलहाल सीसीएल को टेस्ट के तौर पर यह एक्सकेवेटर दिया गया है. सीसीएल की तरफ से बेहतर रिपोर्ट आते ही वो जल्द ही इस नये आविष्कार को बाजार में लॉन्च कर सके.

रांचीः राजधानी के धुर्वा स्थित हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने एक बार फिर साबित किया है कि वो किसी से कम नहीं. अपने नए अविष्कार से यह साबित किया है कि भले ही एचइसी आर्थिक तंगी झेल रहा हो, इसके बावजूद एचइसी में काबिलियत और हुनर से भरे लोगों की कमी नहीं है.

देखें पूरी खबर


हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर का आविष्कार

कोल माइंस और दूसरे माइंस में उपयोगी साबित होने वाला डीजल से चलने वाले हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर के आविष्कार को लेकर एचइसी के सीएमडी एमके सक्सेना ने बताया कि जिस प्रकार से कोल माइंस और मिनरल माइंस में उपयोग आने वाले आधुनिक हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का निर्माण किया गया है, इससे बिजली की उपलब्धता नहीं रहने की स्थिति में कोयले या अन्य उर्वरक का खनन बिना किसी रुकावट के कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि अमूमन खनन के दौरान यह देखा जाता है खनन करने के दौरान जब हम ज्यादा गहराई में जाते हैं तो बिजली की उपलब्धता कम हो जाती है. ऐसी स्थिति में खनिजों और अन्य उत्पादों का खनन करने में कर्मचारी असमर्थ हो जाते हैं, लेकिन एचईसी द्वारा बनाए गए इस नए और नायाब हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर से बिजली की जगह डीजल के माध्यम से ज्यादा गहराई तक खनन की जा सकती है, जो निश्चित रूप से लाभप्रद होगा.

यह भी पढ़ें- 25 सितंबर को रांची में जेवीएम का कार्यकर्ता समागम, सरकार के खिलाफ खोलेंगे मोर्चा

उद्योग मंत्रालय ने एचइसी को 5 करोड़ रुपए की मदद की

इस अविष्कार को लेकर भारी उद्योग मंत्रालय ने एचइसी को कैपिटल गुड्स स्कीम के तहत लगभग 5 करोड़ रुपए की मदद राशि भी दी. इस राशि से खनन के क्षेत्र में बिना बिजली की मदद से ऐसे एक्सकेवेटर का निर्माण किया जा सकेगा, जिससे कि जमीन में खनन करने के दौरान ज्यादा गहराई में जाने के बावजूद बिजली के बिना भी अच्छे तरीके से काम होता रहे. एचइसी सीएमडी ने बताया कि जल्द ही वह अपने इस नए आविष्कार को बाजार में उतारेंगे और इसकी कीमत अन्य एक्सकेवेटर की तुलना में काफी कम होगी. फिलहाल सीसीएल को टेस्ट के तौर पर यह एक्सकेवेटर दिया गया है. सीसीएल की तरफ से बेहतर रिपोर्ट आते ही वो जल्द ही इस नये आविष्कार को बाजार में लॉन्च कर सके.

Intro:Note:- यह खबर पहले(शुक्रवार को) भी भेजी गई है,लेकिन राजेश सर के आदेश पर अपडेट के साथ दोबारा से भेजी जा रही है,कृप्या कर देख लें।

देश का मातृ उद्योग कहा जाने वाला एचइसी एक बार फिर अपने आविष्कार से सुर्खियों में आया है।

राजधानी रांची के धुर्वा स्थित हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने अपने नए अविष्कार से यह साबित किया है कि भले ही एचईसी आर्थिक तंगी झेल रहा हो, लेकिन इसके बावजूद भी एचईसी में काबिलियत और हुनर से भरे लोगों की कमी नहीं है।

कोल माइंस और ओर माइंस में उपयोगी साबित होने वाला डीज़ल से चलने वाली हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का आविष्कार करने के बाद खनन में आने वाले परेशानियों को कम करने के लिए एचईसी का यह नया आविष्कार हर तरह से उपयोगी साबित होने वाला है।Body:इसको लेकर एचईसी के सीएमडी एमके सक्सेना बताते हैं कि जिस प्रकार से कोल माइंस और ओर माइंस में उपयोग आने वाले आधुनिक हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का निर्माण किया गया है,इससे बिजली की उपलब्धता नहीं रहने की स्थिति में हम कोयले या अन्य उर्वरक का खनन बिना किसी रुकावट के कर सकते।

सीएमडी एम के सक्सेना बताते हैं कि अमूमन खनन के दौरान यह देखा जाता है खनन करने के दरमियान जब हम ज्यादा गहराई में जाते हैं तो बिजली की उपलब्धता कम हो जाती है ऐसी स्थिति में हम खनिजों और अन्य उत्पादों का खनन करने में असमर्थ हो जाते हैं, लेकिन एचईसी द्वारा बनाए गए इस नए एवं नायाब हाइड्रोलिक एक्सकैवेटर से बिजली की जगह डीजल के माध्यम से ज्यादा गहराई तक खनन कर सकते हैं जो निश्चित रूप से लाभप्रद है।

इस अविष्कार को लेकर भारी उद्योग मंत्रालय ने एचईसी को कैपिटल गुड्स स्कीम के तहत लगभग 5 करोड़ रुपए कि मदद राशि भी दी, ताकि खनन के क्षेत्र में बिना बिजली की मदद से ऐसे एक्सकेवेटर का निर्माण किया जा सके ताकि जमीन में खनन करने के दौरान ज्यादा गहराई में जाने के बावजूद बिजली के बिना भी अच्छे तरीके से काम करता रहे।Conclusion:वहीं सीएमडी ने बताया कि जल्द ही हम अपने इस नए आविष्कार को बाजार में उतारेंगे और इसकी कीमत अन्य एक्सकैवेटर की तुलना में काफी कम होगा, फिलहाल सीसीएल को टेस्ट के तौर पर यह एक्सकैवेटर दिया गया है गई है ताकि सीसीएल की तरफ से बेहतर रिपोर्ट आते ही हम लोग जल्द ही इस नये आविष्कार को बाज़ार में लांच कर सके।

एचईसी और उद्योग क्षेत्र से जुड़े जानकार लोगों का कहना है कि वर्तमान में आर्थिक तंगी से जूझ रहा हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड इस नायाब अविष्कार के बाद एक बार फिर अपने पुराने आर्थिक ताकत को पाने में सफल हो सकता है और अपने कर्मचारियों के पुराने सुनहरे पल को दोबारा वापस ला सकता है।


बाइट-एम के सेक्सेना,सीएमडी,एचइसी।
बाइट- रमाशंकर, कर्मचारी।
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