रांची: सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात ने कई समसामयिक मसलों पर ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की है. चाहे बात एचईसी के वर्तमान हालात की हो या यूपीए को लेकर ममता बनर्जी के बयान की. रांची में बृंदा करात ने झारखंड की हेमंत सरकार के कामकाज के साथ-साथ कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की जीत और सीडीएस जनरल विपीन रावत समेत अन्य शूरवीरों के असमय निधन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
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क्या बंद हो जाएगा एचईसी?
बृंदा करात से पूछा गया कि क्या देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन यानी एचईसी जैसे प्लांट में हमेशा के लिए ताला लटक जाएगा. मजदूरों और कर्मचारियों को पिछले सात माह से पैसा नहीं मिला है. उनके हक के लिए सीपीएम क्या करेगी. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी एचईसी के मजदूरों और अफसरों के साथ खड़ी है. उनकी पार्टी न सिर्फ संघर्ष करेगी बल्कि इस मसले को संसद में भी जोरशोर से उठाएगी . उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि एचईसी के विस्थापितों को मुआवजा देने बजाए हेमंत सरकार भी उनके झोपड़ों पर बुलडोजर चलाने पर अड़ी है. यह समझ से परे है.
चौपर दुर्घटना की जांच रिपोर्ट का इंतजार
सीडीएस विपीन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और अन्य शूरवीरों के असमय निधन पर बृंदा करात ने दुख जताते हुए कहा कि अभी जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए. दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि जनरल रावत की दोनों बेटियों के अलावा अन्य शूरवीरों के परिवार वालों ने ऐसे दुखदायी समय में देश के सामने जिस तरह से सहनशीलता और धैर्यता दिखायी, उन तस्वीरों ने पूरे देश को प्रभावित किया है.
ममता बनर्जी पर बृंदा करात का बयान
पिछले दिनों यूपीए के अस्तित्व और कांग्रेस की भूमिका पर ममता बनर्जी ने सवाल खड़े किए थे. इस सवाल के जवाब में बृंदा करात ने कहा कि ममता बनर्जी का क्या कहें. कभी एनडीए के साथ थी. कभी यूपीए के हिस्से में थी. कभी वाजपेयी जी के हाथ पकड़कर रहीं या मनमोहन जी और सोनिया जी की छत्रछाया में. उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस को रोकने के लिए एक उसूल आधारित संघर्ष की जरूरत है. वृंदा करात ने कहा कि 23 और 24 फरवरी को ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी हड़ताल है. लेकिन ममता बनर्जी ने तो पश्चिम बंगाल में हड़ताल पर पाबंदी लगा रखी है. इसलिए अब दोहरी नीति नहीं चल सकती है.
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हेमंत सोरेन पर बृंदा करात का बयान
बृंदा करात ने कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जब सरकार बनी तो उन्होंने झारखंड को सांप्रदायिक हालात से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभायी. लेकिन समय के साथ झारखंड सरकार रास्ता भटकती दिख रही है. उन्होंने कहा कि एचईसी क्षेत्र समेत अन्य जिलों के विस्थापितों के मसले नहीं सुलझाये जा रहे हैं. सरकार आपके द्वार शिविर में सिर्फ दिखावा हो रहा है. रघुवर सरकार में भ्रष्टाचार हावी था लेकिन इस सरकार में भ्रष्टाचार कम हो गया है, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिख रहा है. फॉरेस्ट राइट एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. ड्रोन से सेटेलाइट मेपिंग कर लोगों को जमीन से बेदखल किया जा रहा है. यह गलत है.
कृषि कानूनों की वापसी, किसानों की जीत
बृंदा करात ने कहा कि तीन काले कृषि कानूनों की वापसी के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने जिस तरह से आंदोलन चलाया, उसकी जीतनी भी तारीफ की जाए कम है. उन्होंने कहा कि किसानों ने खुद अपनी लड़ाई लड़ी है. इस जीत का पूरा श्रेय एसकेएम को जाता है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस जीत का देश की राजनीति पर दूरगामी असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने बता दिया कि किसान खुद अपने हक के लिए पॉलिटिक्स कर सकते हैं और जीत भी सकते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से सार्वजनिक उपक्रमों को प्राइवेट की तरफ ले जा रही है, उसके खिलाफ देश में जबरदस्त संघर्ष देखने को मिलेगा.