रांची: राजधानी के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर नई इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) मशीन लग रही (ILS machine installed at Ranchi Birsa Munda Airport) है. इसके बाद विमानों के डायवर्ट और समय पर लैंड नहीं होने की समस्या कम हो जायेगी. मशीन की वजह से विजिबिलिटी हजार मीटर तक ज्यादा हो जाएगी. बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के निदेशक के एल अग्रवाल ने यह जानकारी दी है.
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आईएलएस मशीन से विजिबिलिटी बढ़ेगी: एयरपोर्ट के निदेशक के.एल अग्रवाल बताते हैं कि आईएलएस मशीन (Instrument landing system machine) नहीं होने के कारण वर्तमान में जब तक ढाई हजार मीटर तक विजिबिलिटी नहीं होती, तब तक विमान को लैंड करना मुश्किल होता है. लेकिन जब नई आईएलएस मशीन पूर्ण रूप से लग जाएगी तो 1300 मीटर तक की विजिबिलिटी में भी विमान को लैंड कराया जा सकेगा.
आईएलएस कुहासे में विमान लैंडिंग में मददगार: मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद बताते हैं कि आईएलएस मशीन में लोकलाइजर और गाइडर पाथ (LOCALISER AND GLIDER PATH) नाम के दो यंत्र होते हैं. जिसमे सेंसर लगा होता है. कुहासे के दौरान यह सेंसर एरोप्लेन को लैंड कराने में मदद करता है. यदि विजिबिलिटी कम होती है, वैसे समय में आईएलएस मशीन काफी महत्वपूर्ण होती है.
कुहासा के कारण एयरलाइंस का डायवर्ट होना: वहीं एयरपोर्ट निदेशक के एल अग्रवाल ने बताया कि ठंड के मौसम में कुहासा के कारण एयरलाइंस का डायवर्ट होना साधारण बात है. इसीलिए बिरसा मुंडा एयरपोर्ट ने ठंड के मौसम में यात्रियों के लिए विशेष सुविधा का इंतजाम किया है. ताकि यदि विमान की उड़ान में निर्धारित समय से देरी हो तो यात्रियों को इंतजार करने में परेशानियों का सामना ना करना पड़े.
प्रतिदिन हजारों यात्रियों का आवागमन: बता दें कि राजधानी रांची का बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर प्रतिदिन हजारों यात्रियों का आवागमन होता है. ऐसे में कई बार प्लेन डायवर्ट या फिर समय पर लैंड नहीं होने के कारण यात्रियों और एयरपोर्ट प्रबंधन के बीच कहासुनी होते देखने को मिलती है. इसीलिए इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (INSTRUMENT LANDING SYSTEM) की शुरुआत जल्द से जल्द कर दी जाए. ताकि ठंड के मौसम में कुहासे के कारण विमान के डाइवर्ट और समय पर लैंडिंग नहीं होने की समस्या कम हो जाएगी.
गौरतलब है कि राजधानी का बिरसा मुंडा एयरपोर्ट देश के बेहतरीन एयरपोर्ट में शुमार है. उसके बावजूद यहां पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) की व्यवस्था अब तक मौजूद नहीं थी. जरूरत है ऐसे आधुनिक इंस्ट्रूमेंट या मशीनों को जल्द से लगाया जाने की ताकि यात्रियों को समस्याओं का सामना ना करना पड़े.