रांची: झारखंड शिक्षा परियोजना ने राज्य के 3508 अनट्रेंड शिक्षकों को हटाने का आदेश जारी कर दिया है, जबकि राज्य में कुल 7578 अप्रशिक्षित शिक्षक हैं. इस संबंध में राज्य परियोजना ने पत्र जारी करके राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला शिक्षा अधीक्षक को सूचित किया है. वहीं, निजी स्कूल प्रबंधकों को भी इसे लेकर हिदायत दी गई है.
राज्य में कुल 7578 अनट्रेंड शिक्षक हैं
राज्य के 3508 अप्रशिक्षित शिक्षकों को हटाने का आदेश जारी किया गया है. जिसको लेकर झारखंड शिक्षा परियोजना ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और शिक्षा अधीक्षकों को पत्र के माध्यम से इस संबध में कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है. पत्र में आदेश है कि झारखंड के किसी भी सरकारी और निजी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षक स्कूलों में ना पढ़ाएं, नहीं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं, निजी स्कूल प्रबंधकों को भी इसको लेकर शख्त हिदायत दी गई है. दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को एक पत्र लिखा गया था. जिसमें कहा गया था कि सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को ट्रेंड कराए अन्यथा उन्हें हटा दे. फिलहाल, राज्य में 7578 अप्रशिक्षित शिक्षक हैं, जिनमें 3508 शिक्षकों को झारखंड शिक्षा परिषद से पत्र जारी कर हटा दिया गया है.
पारा शिक्षकों ने मांगी एक साल की मोहलत
केंद्रीय स्कूली शिक्षा और साक्षरता मंत्रालय ने पहले ही सभी शिक्षकों को ट्रेंड करने के लिए D.L.Ed जैसी व्यवस्था की गई थी और उस दौरान कहा गया था कि सरकारी और निजी स्कूलों के शिक्षकों को कम से कम प्रशिक्षित होना जरूरी है. इसको लेकर शिक्षा परिषद ने सभी प्राथमिक शिक्षकों को D.E.Ed की डिप्लोमा डिग्री को आवश्यक बताया था, नहीं तो उन्हें स्कूलों से हटाने को लेकर आगाह भी किया था. यह नियम पारा शिक्षकों के साथ-साथ सभी निजी स्कूलों के शिक्षकों पर भी लागू होगा. इसी के तहत अप्रैल माह से ही कई अनट्रेंड पारा शिक्षकों का मानदेय बंद है. यह वैसे पारा शिक्षक हैं जो नेशनल स्कूल ऑफ ओपन स्कूलिंग की ओर से ली गई परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सके थे. इधर पारा शिक्षकों ने कहा है कि सरकार एक साल की और मोहलत दे, नहीं तो पारा शिक्षक मामले को लेकर कोर्ट के शरण में जाएंगे.
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बता दें कि केंद्र ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि 31 मार्च 2019 के बाद स्कूलों में कोई भी अप्रशिक्षित शिक्षक नहीं पढ़ाएंगे. वहीं, राज्य में पारा शिक्षकों के आग्रह पर राज्य सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा था कि अप्रशिक्षित शिक्षकों को डीएलएड करने के लिए एक साल की मोहलत दी जाए, ताकि वे प्रशिक्षित हो सकें. लेकिन, केंद्र सरकार ने इस से इनकार कर दिया.