रांची: अप्रैल महीने में राजधानी रांची में पुलिसिंग के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. राजधानी में कानून व्यवस्था की स्थिति को संभाल रहे 14 थानेदार सहित दो दर्जन इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर एक साथ ट्रेनिंग के लिए चले जाएंगे. ट्रेनिंग लिस्ट में दर्जन भर ऐसे इंस्पेक्टर भी शामिल हैं, जो वर्तमान में रांची के प्रमुख थानों की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं.
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झारखंड पुलिस मुख्यालय ने डीएसपी के प्रमोशन और पुलिस निरीक्षक के पद पर प्रमोशन के लिए सभी जरूरी ट्रेनिंग को जल्द से जल्द पूरा करने का आदेश जारी किया है. ऐसे में 1994 इंस्पेक्टर डीएसपी के प्रमोशन के लिए ट्रेनिग पर जाएंगे. वहीं 2012 बैच के इंस्पेक्टर अपने प्रमोशन के लिए ट्रेनिंग के कोर्स को पूरा करेंगे.
ये थानेदार जाएंगे ट्रेनिंग में: रांची के नामकुम थानेदार सुनील तिवारी, डेली मार्केट थाना प्रभारी आलोक सिंह, बुंडू थाना प्रभारी राय सौमित्र, चुटिया थाना प्रभारी वेंकटेश कुमार, सदर थाना प्रभारी श्याम किशोर महतो, कांके थानेदार संजीव कुमार, सर्किल इंस्पेक्टर रमेश कुमार और राजकुमार यादव, तुपुदाना थाना प्रभारी मीरा सिंह, लालपुर थाना प्रभारी राजीव कुमार, खलारी थाना प्रभारी फरीद आलम, जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अरविंद कुमार सिंह, ट्रैफिक इंस्पेक्टर गोंदा नीरज, डोरंडा थानेदार रमेश सिंह ट्रेनिंग के लिए जाएंगे.
02 अप्रैल को योगदान देने का आदेश: डीएसपी में प्रमोशन से पूर्व इंस्पेक्टर स्तर के सभी अफसरों को 6 सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा. ऐसे में रांची जिला से 10 थानेदार और 17 इंस्पेक्टर को झारखंड पुलिस अकादमी ट्रेनिंग सेंटर में हर हाल में 02 अप्रैल को योगदान देने का निर्देश जारी किया गया है.
वहीं दूसरी तरफ राजधानी रांची के चार थानेदारों सहित आठ इंस्पेक्टर और सब इंपेक्टर पुलिस अवर निरीक्षक से पुलिस निरीक्षक के पद पर प्रमोशन के लिए 8 सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे. यह प्रशिक्षण 3 चरणों में होगा. पहले चरण में जमशेदपुर, दूसरे चरण में संबंधित पुलिस अधिकारियों की इकाई में और फिर तीसरे चरण में जमशेदपुर में ही ट्रेनिंग होगी. सभी थानेदार और इंस्पेक्टर रैंक के अफसरों को ट्रेनिंग में जाने से संबंधित आदेश भी जारी कर दिया गया है.
मुश्किल होगा थाना चलाना: राजधानी से एक साथ 14 से अधिक थानेदारों के ट्रेनिंग पर जाने से राजधानी की कानून व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ेगा. एक तो ऐसे ही राजधानी में इंस्पेक्टर रैंक के अफसरों की भारी कमी है. एक साथ ट्रेनिंग का समय निर्धारित होने की वजह से जिले में कानून संबंधित कई मुश्किलें आएंगी, वहीं कई ऐसे अफसरों को भी थानेदारी करने का मौका मिलेगा, जो अब तक पुलिस लाइन में ही पोस्टेड थे.