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Shaurya Murder Case: शौर्य के अपहरण और हत्या की इनसाइड स्टोरी, कर्ज में डूबे एक हैवान की साजिश का शिकार हुआ मासूम

रांची का मासूम शौर्य की मौत के जिम्मेदार शख्स संजीव पांडा को पुलिस ने पकड़ लिया है. कर्ज लेकर अय्याशी करने वाले संजीव पर जब लेनदारों ने दबाव बनाया तो इस जंजाल से बाहर निकलने के लिए उसने अपहरण की साजिश रच डाली. जिसका शिकार मासूम शौर्य बना.

Inside story of Shaurya kidnapping and murder case
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Published : Mar 9, 2023, 6:43 PM IST

रांचीः राजधानी के बरियातू थाना क्षेत्र के एदलहातु का रहने वाला आठ वर्षीय मासूम शौर्य एक हैवान की महत्वाकांक्षा का शिकार हो गया. कर्ज लेकर शादी, कर्ज लेकर हनीमून पर जाना और फिर जब पैसे देने वाले अपने पैसे वापस मांगने लगे तब मासूम शौर्य को चारा के तौर पर इस्तेमाल कर दौलत हासिल करने की कोशिश करने वाले हैवान संजीव पांडा उर्फ संजू ने शौर्य के अपहरण की साजिश रची और पहचाने जाने के बाद मासूम को बेरहमी से मार डाला. शौर्य के अपहरण और फिर हत्या की कहानी इंसान का इंसान पर भरोसा तोड़ने वाला है.

ये भी पढ़ेंः Shaurya Murder Case: करीबी ही निकला मासूम शौर्य का हत्यारा, अपहरण के एक घंटे बाद ही मार डाला था

कैसे बनी शौर्य के अपहरण की प्लानिंगः रांची के डीएवी गांधीनगर में पढ़ने वाला मासूम शौर्य यह नहीं जानता था कि एक दरिंदा अपने पैसे की हवस को मिटाने के लिए उसे अपना शिकार बनाने वाला है. अपने खिलाफ होने वाली एक खौफनाक साजिश से अंजान शौर्य अपने फाइनल एग्जाम की तैयारियो में जुटा हुआ थाय वहीं दूसरी ओर उसके ही घर में किरदार के तौर पर डेढ़ साल तक रह चुके कर्ज में घिरा संजीव पांडा उर्फ संजू शौर्य के अपहरण की प्लानिंग कर रहा था. ताकि शौर्य के पिता से उसकी जान बख्शने के बदले एक मोटी रकम वसूल कर सके.

20 फरवरी से शुरू की प्लानिंग, 3 मार्च को किया अगवाः इसकी प्लानिंग संजू ने 20 फरवरी से शुरू कर दी थी. फिरौती की रकम मांगने के लिए सबसे पहले संजू ने 25 फरवरी को एक नया सिम कार्ड खरीदा, जो एक फर्जी नाम पर था. इस दौरान कई बार शौर्य के घर में किराएदार के रूप में रहने वाले अपने बहनोई के घर भी वह गया ताकि शौर्य के घर के बाहर आने जाने का समय जान सके. पूरी प्लानिंग करने के बाद 1 मार्च को सबसे पहले संजू ने बिना ड्राइवर की एक कार किराए पर ली. कार झारखंड में रजिस्टर्ड था लेकिन संजू ने सबसे पहले पुलिस को चकमा देने के लिए कार में बिहार का नंबर लगा दिया.

उसी कार से वह अगले दो दिनों तक शौर्य की रेकी करता रहा.आखिरकार उसे 3 मार्च की रात मौका मिला गया, जब शौर्य चिप्स खरीदने के लिए घर से अकेला निकल गया. संजीव को मौका मिला और उसने बातों में फुसलाकर शौर्य को अपने साथ कार में बिठा लिया. उस दौरान संजू पांडा ने शौर्य को बताया कि वह उसके पिता के दफ्तर जा रहा है. लेकिन जब वह ऑफिस के उलट दूसरे रास्ते से जाने लगा तो शौर्य ने शोर मचाना शुरू कर दिया. हड़बड़ी में और पकड़े जाने के डर से कार में ही संजू ने शौर्य का गला दबा दिया.

क्यों किया था अपहरणः पूरे मामले का खुलासा करते हुए रांची के सीनियर एसपी किशोर कौशल ने बताया कि संजीव पांडा उर्फ संजू के ऊपर काफी कर्ज हो गया था. कोविड-19 संक्रमण के दौरान संजू बेंगलुरु में नौकरी किया करता था. लेकिन उसकी नौकरी छूट गई, जिसके बाद वह रांची आ गया और पुंदाग इलाके में किराए का मकान लेकर रहने लगा. इस दौरान उसकी शादी हो गई. शादी के लिए और बाइक खरीदने के लिए यहां तक कि हनीमून पर जाने के लिए भी अपने दोस्तों के साथ साथ बैंक से भी संजू ने लाखों रुपए उधार ले लिए.

जब समय बीतने के बाद उसके दोस्त और बैंक की तरफ से पैसे की मांग की जाने लगी तो वह परेशान हो गया और उसने मासूम शौर्य के अपहरण की साजिश रची. अपहरण से पहले तक संजू ने यह तय भी नहीं किया था कि वह फिरौती के लिए कितनी रकम मांगेगा, हालांकि वह जानता था कि 15 से 20 लाख रुपए शौर्य के एवज में उसके पिता उसे जरूर दे देंगे.

बाइक गिरवी रख ली अपहरण के लिए कारः अपहरण की साजिश को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए सबसे पहले संजू ने अपनी बाइक को गिरवी रखकर कार भाड़े पर लिया. 17 सौ रुपये उसे हर दिन कार का किराया देना था.

ओएलएक्स पर पुरानी कार देख बदल दिया नंबरः अपहरण कांड को अंजाम देने के लिए संजू को कार का नंबर प्लेट भी बदलना था, ताकि वह पुलिस को गुमराह कर सके. इसमें संजू सफल भी हुआ. उसने ओएलएक्स पर एक पुराने कार का नंबर प्लेट देखा और उसी नंबर प्लेट को अपहरण में प्रयोग किए गए कार में लगा दिया. नकली नंबर बिहार के पटना का था, जैसे ही नंबर की जानकारी पुलिस को मिली थी. पुलिस की 2 टीम पटना में छापेमारी करने चली गई थी. पटना पहुंचने के बाद संजू की इस चालाकी की सूचना पुलिस को हासिल हुई.

क्यों मार डाला मासूम कोः रांची एसएसपी किशोर कौशल ने बताया कि अपहरण के लगभग 45 मिनट बाद ही संजू ने मासूम शौर्य को मार डाला था. अपहरण की प्लानिंग संजू ने अकेले ही की थी. कार में ले जाने के दौरान शौर्य उसके काबू में नहीं रहा. जिसके बाद उसने उसका गला दबा दिया. लगातार गला दबाए जाने की वजह से शौर्य अचेत हो गया. इसके बाद संजू ने उसे बोरे में बंद कर तालाब में फेंक दिया.

कैसे हुई गिरफ्तारीः रांची पुलिस यह पहले ही दिन जान चुकी थी कि इस अपहरण कांड में किसी नजदीकी का हाथ है. यही वजह है कि शौर्य के पिता के घर जितने भी किराएदार थे, उन सबकी भी कुंडली खंगाली जा रही थी. इसी कड़ी में टेक्निकल टीम को यह जानकारी मिली कि घटना वाले दिन से लेकर जहां जहां से उजले रंग की कार गुजरी थी, वहां हर जगह संजू का नंबर एक्टिव था. जिसके बाद पुलिस ने कोडरमा में छापेमारी कर संजू को गिरफ्तार किया. संजू ने पुलिस के सामने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है.

रांचीः राजधानी के बरियातू थाना क्षेत्र के एदलहातु का रहने वाला आठ वर्षीय मासूम शौर्य एक हैवान की महत्वाकांक्षा का शिकार हो गया. कर्ज लेकर शादी, कर्ज लेकर हनीमून पर जाना और फिर जब पैसे देने वाले अपने पैसे वापस मांगने लगे तब मासूम शौर्य को चारा के तौर पर इस्तेमाल कर दौलत हासिल करने की कोशिश करने वाले हैवान संजीव पांडा उर्फ संजू ने शौर्य के अपहरण की साजिश रची और पहचाने जाने के बाद मासूम को बेरहमी से मार डाला. शौर्य के अपहरण और फिर हत्या की कहानी इंसान का इंसान पर भरोसा तोड़ने वाला है.

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कैसे बनी शौर्य के अपहरण की प्लानिंगः रांची के डीएवी गांधीनगर में पढ़ने वाला मासूम शौर्य यह नहीं जानता था कि एक दरिंदा अपने पैसे की हवस को मिटाने के लिए उसे अपना शिकार बनाने वाला है. अपने खिलाफ होने वाली एक खौफनाक साजिश से अंजान शौर्य अपने फाइनल एग्जाम की तैयारियो में जुटा हुआ थाय वहीं दूसरी ओर उसके ही घर में किरदार के तौर पर डेढ़ साल तक रह चुके कर्ज में घिरा संजीव पांडा उर्फ संजू शौर्य के अपहरण की प्लानिंग कर रहा था. ताकि शौर्य के पिता से उसकी जान बख्शने के बदले एक मोटी रकम वसूल कर सके.

20 फरवरी से शुरू की प्लानिंग, 3 मार्च को किया अगवाः इसकी प्लानिंग संजू ने 20 फरवरी से शुरू कर दी थी. फिरौती की रकम मांगने के लिए सबसे पहले संजू ने 25 फरवरी को एक नया सिम कार्ड खरीदा, जो एक फर्जी नाम पर था. इस दौरान कई बार शौर्य के घर में किराएदार के रूप में रहने वाले अपने बहनोई के घर भी वह गया ताकि शौर्य के घर के बाहर आने जाने का समय जान सके. पूरी प्लानिंग करने के बाद 1 मार्च को सबसे पहले संजू ने बिना ड्राइवर की एक कार किराए पर ली. कार झारखंड में रजिस्टर्ड था लेकिन संजू ने सबसे पहले पुलिस को चकमा देने के लिए कार में बिहार का नंबर लगा दिया.

उसी कार से वह अगले दो दिनों तक शौर्य की रेकी करता रहा.आखिरकार उसे 3 मार्च की रात मौका मिला गया, जब शौर्य चिप्स खरीदने के लिए घर से अकेला निकल गया. संजीव को मौका मिला और उसने बातों में फुसलाकर शौर्य को अपने साथ कार में बिठा लिया. उस दौरान संजू पांडा ने शौर्य को बताया कि वह उसके पिता के दफ्तर जा रहा है. लेकिन जब वह ऑफिस के उलट दूसरे रास्ते से जाने लगा तो शौर्य ने शोर मचाना शुरू कर दिया. हड़बड़ी में और पकड़े जाने के डर से कार में ही संजू ने शौर्य का गला दबा दिया.

क्यों किया था अपहरणः पूरे मामले का खुलासा करते हुए रांची के सीनियर एसपी किशोर कौशल ने बताया कि संजीव पांडा उर्फ संजू के ऊपर काफी कर्ज हो गया था. कोविड-19 संक्रमण के दौरान संजू बेंगलुरु में नौकरी किया करता था. लेकिन उसकी नौकरी छूट गई, जिसके बाद वह रांची आ गया और पुंदाग इलाके में किराए का मकान लेकर रहने लगा. इस दौरान उसकी शादी हो गई. शादी के लिए और बाइक खरीदने के लिए यहां तक कि हनीमून पर जाने के लिए भी अपने दोस्तों के साथ साथ बैंक से भी संजू ने लाखों रुपए उधार ले लिए.

जब समय बीतने के बाद उसके दोस्त और बैंक की तरफ से पैसे की मांग की जाने लगी तो वह परेशान हो गया और उसने मासूम शौर्य के अपहरण की साजिश रची. अपहरण से पहले तक संजू ने यह तय भी नहीं किया था कि वह फिरौती के लिए कितनी रकम मांगेगा, हालांकि वह जानता था कि 15 से 20 लाख रुपए शौर्य के एवज में उसके पिता उसे जरूर दे देंगे.

बाइक गिरवी रख ली अपहरण के लिए कारः अपहरण की साजिश को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए सबसे पहले संजू ने अपनी बाइक को गिरवी रखकर कार भाड़े पर लिया. 17 सौ रुपये उसे हर दिन कार का किराया देना था.

ओएलएक्स पर पुरानी कार देख बदल दिया नंबरः अपहरण कांड को अंजाम देने के लिए संजू को कार का नंबर प्लेट भी बदलना था, ताकि वह पुलिस को गुमराह कर सके. इसमें संजू सफल भी हुआ. उसने ओएलएक्स पर एक पुराने कार का नंबर प्लेट देखा और उसी नंबर प्लेट को अपहरण में प्रयोग किए गए कार में लगा दिया. नकली नंबर बिहार के पटना का था, जैसे ही नंबर की जानकारी पुलिस को मिली थी. पुलिस की 2 टीम पटना में छापेमारी करने चली गई थी. पटना पहुंचने के बाद संजू की इस चालाकी की सूचना पुलिस को हासिल हुई.

क्यों मार डाला मासूम कोः रांची एसएसपी किशोर कौशल ने बताया कि अपहरण के लगभग 45 मिनट बाद ही संजू ने मासूम शौर्य को मार डाला था. अपहरण की प्लानिंग संजू ने अकेले ही की थी. कार में ले जाने के दौरान शौर्य उसके काबू में नहीं रहा. जिसके बाद उसने उसका गला दबा दिया. लगातार गला दबाए जाने की वजह से शौर्य अचेत हो गया. इसके बाद संजू ने उसे बोरे में बंद कर तालाब में फेंक दिया.

कैसे हुई गिरफ्तारीः रांची पुलिस यह पहले ही दिन जान चुकी थी कि इस अपहरण कांड में किसी नजदीकी का हाथ है. यही वजह है कि शौर्य के पिता के घर जितने भी किराएदार थे, उन सबकी भी कुंडली खंगाली जा रही थी. इसी कड़ी में टेक्निकल टीम को यह जानकारी मिली कि घटना वाले दिन से लेकर जहां जहां से उजले रंग की कार गुजरी थी, वहां हर जगह संजू का नंबर एक्टिव था. जिसके बाद पुलिस ने कोडरमा में छापेमारी कर संजू को गिरफ्तार किया. संजू ने पुलिस के सामने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है.

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