रांची: झारखंड देश के उन राज्यों में से एक है जहां डॉक्टरों की घोर कमी है. उसमें भी अगर सरकारी सेवा में विशेषज्ञ डॉक्टरों की बात करें तो स्थिति और भी ज्यादा खराब है. झासा के महासचिव डॉ. विमलेश सिंह की मानें तो राज्य में 1,210 विशेषज्ञ डॉक्टरों का पद सृजित है, उसके मुकाबले 15% भी विशेषज्ञ डॉक्टर सरकारी स्वास्थ्य सेवा में नहीं है.
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झारखंड में सरकारी स्वास्थ सेवा में विशेषज्ञ डॉक्टर के नहीं आने की वजह जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की. राजधानी रांची के सिविल सर्जन सहित कई विशेषज्ञ डॉक्टरों से बात की. डॉक्टरों ने कहा कि बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों जैसा पैसा नहीं मिलता है और ना ही सुविधा.
रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक और हड्डी रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर सव्यसाची ने कहा कि अब समय पहले वाला नहीं रह गया. युवा डॉक्टर जिसने पीजी या सुपर स्पेशलिटी की पढ़ाई की है उनके सपने भी बड़े-बड़े होते हैं. सरकारी सेवा में आने पर उन्हें ज्यादा से ज्यादा एक लाख प्रति महीने वेतन मिलता है, तो निजी संस्थानों में दो से ढाई लाख रुपए की शुरुआती वेतन आसानी से मिल जाती है.
रांची के सिविल सर्जन ने कहा कि सुविधा के मामले में हम पिछड़ जाते हैं, विशेषज्ञ डॉक्टरों को सरकारी नौकरी की ओर रुचि बढ़ाने के लिए सुविधा बढ़ानी होगी. राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों को सरकारी सेवा की ओर आकर्षित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने इश्तिहार निकाल कर लोगों से राय मांगी है.
सरकार ने विशेषज्ञ डॉक्टरों को आकर्षित करने के लिए डॉक्टर समुदाय के साथ-साथ आम लोगों से भी सलाह या सुझाव मांगे है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में मेडिकल कॉलेज से पीजी और विशेषज्ञता हासिल करने वाले डॉक्टरों के लिए सरकार ऐसी नीति बनाएगी, जिससे वह आकर्षित हो सकें और राज्य में स्वास्थ्य सेवा बेहतरीन हो सके.