रांचीः झारखंड में उद्योग को बढावा देने के लिए राज्य सरकार ने भले ही नई औद्योगिक नीति लाकर व्यवसायिक माहौल देने की कोशिश की गई. मगर इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और समुचित औद्योगिक माहौल नहीं होने की वजह से व्यवसायियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. व्यवसाय जगत से जुड़े लोगों की कठिनाइयों का समाधान करने के उद्देश्य से गुरुवार को चैंबर भवन में उद्योग विभाग की बैठक हुई. जिसमें व्यवसायियों ने सरकारी सिस्टम की खामियों को उजागर किया.
व्यवसायियों ने रखी समस्याः व्यवसायियों से सीधा संवाद कार्यक्रम में उद्योग सचिव वंदना डाडेल, उद्योग निदेशक जितेंद्र कुमार सिंह, सहित उद्योग विभाग के तमाम पदाधिकारी मौजूद थे. इस मौके पर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष किशोर मंत्री ने पदाधिकारियों का स्वागत करते हुए जहां इस तरह के आयोजन की सराहना की वहीं अजय भंडारी ने व्यवसायियों को हो रही परेशानी से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि व्यवसायियों को सरकार द्वारा जमीन अलॉटमेंट के बावजूद हैंडओवर होने में काफी परेशानी होती है. सीएनटी के तहत उद्योग के लिए जमीन मिलने में प्रशासनिक अड़चनें काफी हैं. बदलते समय के साथ नई टेक्नोलॉजी को अपनाना होगा. जो उद्योग पहले से चल रहे हैं वो यदि भविष्य में अपने हिस्से की जमीन को बेचना चाहते हैं तो इसमें सरकार को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. इससे उद्योग का विस्तार होगा.
इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या से व्यापारियों ने अधिकारियों को अवगत कराते हुए कहा कि कभी व्यापारियों से यह नहीं पूछा गया कि आपकी आवश्यकता क्या है. बिजली, पानी और नाली की परेशानी जियाडा के इंडस्ट्रियल एरिया में आम है. तुपुदाना जैसे इंडस्ट्रियल एरिया को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है. व्यवसायी विनोद कुमार अग्रवाल ने झारखंड सरकार से पोस्ता की खेती का लाइसेंस किसानों को देश के अन्य राज्यों के तर्ज पर देने की मांग की. उन्होंने कहा कि झारखंड में इमली बड़े पैमाने पर होती है मगर यह ट्रांसपोर्ट हो जाता है, जिस वजह से कोई लाभ झारखंड को नहीं मिल पाता है. बार बार पॉलिसी में बदलाव की वजह से उद्योग प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि यही स्थिति रही तो छोटे छोटे उद्योग आने वाले समय में बंद हो जाएंगे.
व्यवसायी रंजीत टिबरेवाल ने कहा कि एक्सपोर्ट सब्सिडी समय से नहीं मिल पा रहा है. विभागीय उलझनों के कारण व्यवसायी इससे परेशान हैं. व्यवसायी पी के गर्ग ने सिंगल विंडो सिस्टम को दुरुस्त करने की मांग करते हुए कहा कि इससे व्यवसायियों की परेशानी अपने आप कम हो जायेगी. स्थानीय समस्या की वजह से उद्योगों का कामकाज प्रभाव हो रहा है. जिला प्रशासन भी इसे स्वीकार करता है. व्यवसायी विनोद कुमार अग्रवाल ने अधिकारियों के समक्ष बिजली की लचर स्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि यहां बिजली की स्थिति हरि अनंत हरि कथा अनंता जैसी है. इस वजह से उद्योग जगत को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. नई औद्योगिक नीति में पीपीपी मोड का प्रावधान नहीं होने की वजह से राज्य को हो रही क्षति की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए इंडस्ट्रलिस्ट अविनाश चंद्रा ने कहा कि इससे राज्य में औद्योगिक माहौल नहीं बन पा रहा है.
व्यवसायियों की परेशानी होगी दूरः व्यवसायियों से संवाद को सही बताते हुए उद्योग सचिव वंदना डाडेल ने कहा कि इससे इनकी समस्या को दूर करने में सहुलियत होगी. उन्होंने कहा कि जो भी बातें सामने रखी गई हैं, उसमें कुछ में एक कमिटी सरकार द्वारा बनाकर इसका समाधान किया जाएगा. वहीं इस तरह का संवाद आगे भी जारी रहेगा, जिससे औद्योगिक रुप से झारखंड और आगे बढ़ सके. उन्होंने कहा कि भूमि विवाद संबंधी समस्याओं का निदान करने के लिए विभाग द्वारा कमिटी बनाकर परेशानी दूर करने की कोशिश की जायेगी.
सरकार व्यवसायियों से सुझाव चाहती है कि गवर्नमेंट लैंड किस तरफ एक्सपेंड करें जिससे नये इंडस्ट्रियल एरिया विकसित किया जा सके. बोकारो और संथाल क्षेत्र से कुछ सुझाव आये हैं. एमएसएमई को बढ़ावा देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है. सिंगल विंडो सिस्टम में लग रहे समय को कम करके इसमें होने वाले काम में तेजी लाई जायेगी. प्रोक्यूरमेंट पॉलिसी को सरकार द्वारा प्रभावी बनाने की कोशिश की जायेगी.
इंफ्रास्ट्रक्चर पर व्यवसायियों द्वारा उठाए गए सवाल पर सचिव वंदना डाडेल ने कहा कि इंडस्ट्रियल एरिया का डीपीआर तैयार हो रहा है, जो स्टेट ऑफ आर्ट के रुप में विकसित होगा. व्यवसायियों के साथ उद्योग विभाग का लगातार संवाद जारी रहेगा, जिससे समस्या का समाधान होगा. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उद्योग निदेशक जितेंद्र सिंह ने कहा कि विभाग उद्यमियों की कठिनाइयों को दूर करने में तत्पर है. राज्य में पहली औद्योगिक नीति 2001 में आई थी जो 2011 तक चली. यह तीसरी औद्योगिक नीति है जिसमें पुराने उद्यमियों और नये इंडस्ट्री के लिए प्रावधान किए गए हैं. झारखंड देश का नंबर वन स्टील निर्माता है. जो कुल उत्पादन का करीब 25 फीसदी प्रोडक्शन करता है.