रांची: 2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सत्ता से मोदी सरकार को बेदखल करने के लिए 26 पार्टियों का इंडिया गठबंधन बन तो गया, लेकिन झारखंड जैसे राज्य में, जहां सिर्फ 14 लोकसभा सीटें हैं, सीट बंटवारा आसान नहीं है. हालांकि, पार्टियां अलग-अलग तर्कों के सहारे अपने दावों को सही ठहरा रही हैं.
राज्य की तीन महत्वपूर्ण वामपंथी पार्टियों सीपीआई, सीपीआईएम और सीपीआई एमएल (एमएल) ने तीन लोकसभा सीटों क्रमश: हजारीबाग, राजमहल और कोडरमा पर दावा ठोका है. सीपीआई (एम) ने राजमहल लोकसभा सीट पर उम्मीदवार उतारने का न सिर्फ राज्य कमेटी से प्रस्ताव पारित कराया है, बल्कि यहां तक कह दिया है कि जरूरत पड़ने पर पार्टी दोस्ताना संघर्ष के लिए भी तैयार है.
क्या है सीपीएम का तर्क: राजमहल से सीपीएम और अन्य दो लोकसभा सीटों पर अन्य वाम दलों की दावेदारी के बारे में सीपीएम के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव कहते हैं कि हम 14 लोकसभा सीटों में से केवल 03 सीट की मांग कर रहे हैं. बाकी की 11 सीटें जेएमएम, कांग्रेस और राजद के लिए हैं ही, जहां वामपंथी उनका समर्थन करेंगे. वामपंथी नेताओं का कहना है कि सीपीएम का लक्ष्य भी केंद्र की सत्ता से बीजेपी को हटाना है लेकिन उसे अपना पार्टी संगठन और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी बचाना है. इसके लिए पार्टी को 06 फीसदी वोट तभी मिलेंगे जब वह चुनाव लड़ेगी.
राजमहल सीट पर अपने जनाधार और पिछले दो लोकसभा चुनाव में मिले अच्छे वोटों का हवाला देते हुए पूर्व प्रत्याशी गोपीन सोरेन का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम 36 हजार के करीब वोट मिले थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी सीपीएम प्रत्याशी ज्योतिन सोरेन को करीब 60 हजार वोट मिले थे. 1995 में सीपीएम ने राजमहल से जीत हासिल की थी. राजमहल लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में से तीन पर सीपीएम का मजबूत आधार है. इसीलिए सीपीएम ने मन बना लिया है कि वहां वह ही उम्मीदवार देगी.
वाममोर्चा द्वारा तीन लोकसभा सीट पर दावेदारी के सवाल पर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ने कहा कि यह स्वभाविक है कि राजनीतिक दल किसी न किसी सीट पर अपनी दावेदारी करेंगे. लेकिन जब लक्ष्य एक हो तो उस लक्ष्य को पाने में सीट शेयरिंग का मुद्दा आड़े नहीं आएगा. समय आने पर सब ठीक हो जाएगा.
लोकसभा सीट पर सभी ठोक रहे अपने-अपने दावे: लेफ्ट मोर्चा ने जहां खुल कर तीन लोकसभा सीटों पर दावेदारी की बात कहकर झामुमो और कांग्रेस को दुविधा में डाल दिया है. वहीं जदयू, राजद और आम आदमी पार्टी के प्रदेश स्तर के नेताओं ने भी अपनी-अपनी पकड़ और जीत की संभावना वाली लोकसभा सीट चिन्हित कर रखे हैं. यह और बात है कि इस मुद्दे पर वह मीडिया की जगह पार्टी आलाकमान से बातचीत करने की बात कहते हैं. राजद झारखंड ने भले ही लोकसभा सीट के लिए अंतिम फैसला लेने के लिए लालू प्रसाद को अधिकृत कर दिया है, लेकिन पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने पलामू, चतरा, कोडरमा और गोड्डा पर दावेदारी की इच्छा से व्यक्त कर दिया है.
इसी तरह कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग ने राजद की परंपरागत सीट पलामू पर दावेदारी का प्रस्ताव पारित कर रखा है तो कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष गीता कोड़ा की विनिंग सीट सिंहभूम पर झामुमो के स्थानीय नेताओं ने दावा कर रखा है. ऐसे में महज 14 लोकसभा सीट वाले झारखंड में इंडिया गठबंधन के दलों को एक बनाये रखना तभी संभव है जब कांग्रेस और झामुमो अपने सहयोगी दलों के लिए सीटों का त्याग करने को तैयार हो. अन्यथा, लोकसभा चुनाव से पहले ही इंडिया गठबंधन पर ग्रहण लगने की संभावना बनी हुई है.