ETV Bharat / state

झारखंड के मेडिकल छात्रों को भारी पड़ रही है जुर्माने की राशि, डॉक्टरों ने भी बॉन्ड में ढील देने की लगाई गुहार

author img

By

Published : Jan 26, 2021, 7:21 PM IST

Updated : Jan 27, 2021, 8:17 PM IST

झारखंड में पीजी के मेडिकल छात्रों के लिए एक नियम है कि डिग्री पूरी करने के बाद उन्हें राज्य में एक साल की सेवा देनी होगी. बॉन्ड तोड़ने के एवज में उन्हें 30 से 60 लाख का जुर्माना देना पड़ता है. इसको लेकर कई छात्र परेशान हैं. छात्रों का कहना है कि हम नियम के खिलाफ नहीं हैं लेकिन सरकार आगे की पढ़ाई करने के लिए नियम में ढील दे.

bond for medical students of jharkhand
झारखंड में मेडिकल छात्रों को बॉन्ड से परेशानी

रांची: झारखंड सरकार में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बनाए गए एक नियम को लेकर मेडिकल छात्र काफी परेशान हैं. मेधावी छात्रों के लिए डॉक्टरों ने भी राज्य सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था की गुहार लगाई है. दरअसल, 2016 में स्वास्थ्य विभाग ने एक नियम बनाया जिसके अंतर्गत यह अनिवार्य किया गया है राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज से पीजी पास करने के बाद छात्रों को राज्य में एक साल की सेवा देनी होगी. 2018 में इसे बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया.

देखिये स्पेशल रिपोर्ट

नियम तोड़ने पर 30 से 60 लाख तक का जुर्माना

अगर कोई छात्र इस नियम को तोड़ता है तो उसे 30 से लेकर 60 लाख रुपए तक का जुर्माना देना होगा. ऐसे में कई छात्र जो आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन जुर्माने की वजह से कॉलेज नहीं छोड़ पाते. छात्रों का कहना है कि उन्हें सेवा देने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन सरकार पहले आगे की पढ़ाई पूरी करने दे. रिम्स के सीनियर डॉक्टर निशित एक्का भी इस नियम के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इस जुर्माने की वजह से झारखंड के चिकित्सक बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए आगे नहीं बढ़ पाएंगे. इससे झारखंड को बेहतर डॉक्टर मिलना मुश्किल हो जाएगा. यह जरूरी है कि छात्रों को आगे की पढ़ाई करने के लिए जुर्माना देने वाले नियम में ढिलाई बरती जाए.

मेडिकल छात्रों के लिए ऐसी बाध्यता गलत

रांची के सीनियर डॉक्टर शंभू का कहना है कि मेडिकल छात्रों के लिए इस तरह की बाध्यता गलत है. ऐसी बाध्यता लागू नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा ही रहा तो झारखंड को बेहतर डॉक्टर नहीं मिल पाएंगे. इस नियम में ढील देने की जरूरत है. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अनितेश का कहना है कि राज्य सरकार के इन नियमों के चलते कई छात्र आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते. हम इस नियम के खिलाफ नहीं हैं बशर्ते राज्य सरकार इसमें ढिलाई बरते और छात्रों को आगे पढ़ने की अनुमति दे. डिग्री पूरी करने के बाद छात्र सेवा देने के लिए राजी हैं. छात्र हायर एजुकेशन लेंगे तो इससे राज्य को भी फायदा होगा और भविष्य में झारखंड को अच्छे डॉक्टर मिल पाएंगे.

उत्तर प्रदेश समेत कई ऐसे राज्यों में नियम लागू हैं जहां पीजी की डिग्री लेने के बाद छात्रों को मेडिकल कॉलेज में सेवा देना अनिवार्य है. लेकिन, उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए भी समय दिया जाता है. झारखंड में पीजी के बाद कई छात्र आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन सरकार के नियम और बॉन्ड की राशि ज्यादा होने के चलते आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते. ऐसे में मेडिकल छात्रों के इस मांग पर राज्य सरकार को विचार करने की जरूरत है.

रांची: झारखंड सरकार में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बनाए गए एक नियम को लेकर मेडिकल छात्र काफी परेशान हैं. मेधावी छात्रों के लिए डॉक्टरों ने भी राज्य सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था की गुहार लगाई है. दरअसल, 2016 में स्वास्थ्य विभाग ने एक नियम बनाया जिसके अंतर्गत यह अनिवार्य किया गया है राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज से पीजी पास करने के बाद छात्रों को राज्य में एक साल की सेवा देनी होगी. 2018 में इसे बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया.

देखिये स्पेशल रिपोर्ट

नियम तोड़ने पर 30 से 60 लाख तक का जुर्माना

अगर कोई छात्र इस नियम को तोड़ता है तो उसे 30 से लेकर 60 लाख रुपए तक का जुर्माना देना होगा. ऐसे में कई छात्र जो आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन जुर्माने की वजह से कॉलेज नहीं छोड़ पाते. छात्रों का कहना है कि उन्हें सेवा देने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन सरकार पहले आगे की पढ़ाई पूरी करने दे. रिम्स के सीनियर डॉक्टर निशित एक्का भी इस नियम के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इस जुर्माने की वजह से झारखंड के चिकित्सक बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए आगे नहीं बढ़ पाएंगे. इससे झारखंड को बेहतर डॉक्टर मिलना मुश्किल हो जाएगा. यह जरूरी है कि छात्रों को आगे की पढ़ाई करने के लिए जुर्माना देने वाले नियम में ढिलाई बरती जाए.

मेडिकल छात्रों के लिए ऐसी बाध्यता गलत

रांची के सीनियर डॉक्टर शंभू का कहना है कि मेडिकल छात्रों के लिए इस तरह की बाध्यता गलत है. ऐसी बाध्यता लागू नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा ही रहा तो झारखंड को बेहतर डॉक्टर नहीं मिल पाएंगे. इस नियम में ढील देने की जरूरत है. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अनितेश का कहना है कि राज्य सरकार के इन नियमों के चलते कई छात्र आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते. हम इस नियम के खिलाफ नहीं हैं बशर्ते राज्य सरकार इसमें ढिलाई बरते और छात्रों को आगे पढ़ने की अनुमति दे. डिग्री पूरी करने के बाद छात्र सेवा देने के लिए राजी हैं. छात्र हायर एजुकेशन लेंगे तो इससे राज्य को भी फायदा होगा और भविष्य में झारखंड को अच्छे डॉक्टर मिल पाएंगे.

उत्तर प्रदेश समेत कई ऐसे राज्यों में नियम लागू हैं जहां पीजी की डिग्री लेने के बाद छात्रों को मेडिकल कॉलेज में सेवा देना अनिवार्य है. लेकिन, उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए भी समय दिया जाता है. झारखंड में पीजी के बाद कई छात्र आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन सरकार के नियम और बॉन्ड की राशि ज्यादा होने के चलते आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते. ऐसे में मेडिकल छात्रों के इस मांग पर राज्य सरकार को विचार करने की जरूरत है.

Last Updated : Jan 27, 2021, 8:17 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.