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ब्लैक फंगस का खतराः जानिए कैसे करें बचाव?

कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस का खतरा है. ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है. इससे संक्रमितों की मृत्यु दर 50% है, यानि आधे मरीज ही बच पा रहे हैं. ऐसे में इस बीमारी को विस्तार से समझने के लिए ईटीवी भारत ने मेडिका अस्पताल की आई सर्जन डॉ. अनुराधा से बात की.

How to avoid the danger of black fungus
ब्लैक फंगस का खतरा
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Published : May 10, 2021, 7:20 PM IST

Updated : May 10, 2021, 10:48 PM IST

रांची: कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस ने झारखंड में भी दस्तक दे दी है. झारखंड में ऐसे तीन मामले सामने आए जब कोरोना से जंग जीतने के बाद व्यक्ति ब्लैक फंगस का शिकार हुआ. ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डॉक्टरों को रामगढ़ के 38 साल के एक युवक की जान बचाने के लिए उसकी एक आंख निकालनी पड़ी. अगर डॉक्टर ऐसा नहीं करते तो यह फंगस ब्रेन तक पहुंच जाता और युवक की तुरंत जान जा सकती थी.

डॉ. अनुराधा से एक्सक्लूसिव बातचीत.

यह भी पढ़ें: कोरोना काल में गर्भवती महिलाएं कैसे रखें अपना ध्यान, क्या सावधानियां हैं जरूरी?

क्या है ब्लैक फंगस?

मेडिका अस्पताल की नेत्र सर्जन डॉ. अनुराधा ने ही ब्लैक फंगस से पीड़ित रामगढ़ के युवक की ऑपरेशन कर जान बचाई है. डॉ. अनुराधा के मुताबिक यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टर हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ा, आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

Exclusive conversation with Dr. Anuradha
ब्लैक फंगस के बारे में पूरी जानकारी.

ब्लैक फंगस के क्या हैं लक्षण?

कोरोना से उबर चुके मरीजों को 15 दिनों के अंदर आंखों के चारों तरफ सूजन, पुतलियों के मूवमेंट में परेशानी, थूक के साथ काला पदार्थ निकलना, नाक से खून बहने जैसे लक्षण हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों की आंखें भी अगर ज्यादा लाल हो जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

Exclusive conversation with Dr. Anuradha
ये है ब्लैक फंगस के लक्षण.

ब्लैक फंगस केस में मृत्यु दर 50%

डॉ. अनुराधा के मुताबिक ब्लैक फंगस शरीर को तेजी से संक्रमित करता है और ज्यादा समय नहीं देता है. ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है इससे संक्रमितों की मृत्यु दर 50% है, यानि आधे मरीज ही बच पा रहे हैं. इस बीमारी से दो से तीन दिनों में ही हालात बेकाबू हो सकते हैं और मरीज की जान जा सकती है. ब्लैक फंगस के कोई भी लक्षण दिखे तो ऐसे अस्पताल जाएं जहां नेत्र सर्जन, ईएनटी और न्यूरो के एक्सपर्ट डॉक्टर हों, तीनों से ही इस मामले में सलाह लें.

Exclusive conversation with Dr. Anuradha
ऐसे कम करें ब्लैक फंगस का खतरा

यह भी पढ़ें: कोरोना वॉरियर डॉ. परिमलः सास-ससुर संक्रमित हुए फिर भी जारी रखा इलाज, जानें दूसरी लहर से कैसे बचें?

कैसे कम करें ब्लैक फंगस का खतरा?

कोरोना संक्रमित मरीज का घर पर इलाज चल रहा है तो खुद से स्टेरॉयड का इस्तेमाल ना करें. अगर डॉक्टर ब्लड शुगर की जांच ना लिखे तो खुद से इसकी जांच कराएं. शरीर में शुगर बढ़ा हो तो उसे नियंत्रित करने की दवा डॉक्टरों की सलाह पर लें. जो मरीज कोरोना से ऊबरकर घर लौटे हों वे दो से तीन हफ्ते विशेष सावधानी बरतें. पोस्ट कोविड में कई तरह की दिक्कत हो सकती है.

रांची: कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस ने झारखंड में भी दस्तक दे दी है. झारखंड में ऐसे तीन मामले सामने आए जब कोरोना से जंग जीतने के बाद व्यक्ति ब्लैक फंगस का शिकार हुआ. ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डॉक्टरों को रामगढ़ के 38 साल के एक युवक की जान बचाने के लिए उसकी एक आंख निकालनी पड़ी. अगर डॉक्टर ऐसा नहीं करते तो यह फंगस ब्रेन तक पहुंच जाता और युवक की तुरंत जान जा सकती थी.

डॉ. अनुराधा से एक्सक्लूसिव बातचीत.

यह भी पढ़ें: कोरोना काल में गर्भवती महिलाएं कैसे रखें अपना ध्यान, क्या सावधानियां हैं जरूरी?

क्या है ब्लैक फंगस?

मेडिका अस्पताल की नेत्र सर्जन डॉ. अनुराधा ने ही ब्लैक फंगस से पीड़ित रामगढ़ के युवक की ऑपरेशन कर जान बचाई है. डॉ. अनुराधा के मुताबिक यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टर हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ा, आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

Exclusive conversation with Dr. Anuradha
ब्लैक फंगस के बारे में पूरी जानकारी.

ब्लैक फंगस के क्या हैं लक्षण?

कोरोना से उबर चुके मरीजों को 15 दिनों के अंदर आंखों के चारों तरफ सूजन, पुतलियों के मूवमेंट में परेशानी, थूक के साथ काला पदार्थ निकलना, नाक से खून बहने जैसे लक्षण हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों की आंखें भी अगर ज्यादा लाल हो जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

Exclusive conversation with Dr. Anuradha
ये है ब्लैक फंगस के लक्षण.

ब्लैक फंगस केस में मृत्यु दर 50%

डॉ. अनुराधा के मुताबिक ब्लैक फंगस शरीर को तेजी से संक्रमित करता है और ज्यादा समय नहीं देता है. ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है इससे संक्रमितों की मृत्यु दर 50% है, यानि आधे मरीज ही बच पा रहे हैं. इस बीमारी से दो से तीन दिनों में ही हालात बेकाबू हो सकते हैं और मरीज की जान जा सकती है. ब्लैक फंगस के कोई भी लक्षण दिखे तो ऐसे अस्पताल जाएं जहां नेत्र सर्जन, ईएनटी और न्यूरो के एक्सपर्ट डॉक्टर हों, तीनों से ही इस मामले में सलाह लें.

Exclusive conversation with Dr. Anuradha
ऐसे कम करें ब्लैक फंगस का खतरा

यह भी पढ़ें: कोरोना वॉरियर डॉ. परिमलः सास-ससुर संक्रमित हुए फिर भी जारी रखा इलाज, जानें दूसरी लहर से कैसे बचें?

कैसे कम करें ब्लैक फंगस का खतरा?

कोरोना संक्रमित मरीज का घर पर इलाज चल रहा है तो खुद से स्टेरॉयड का इस्तेमाल ना करें. अगर डॉक्टर ब्लड शुगर की जांच ना लिखे तो खुद से इसकी जांच कराएं. शरीर में शुगर बढ़ा हो तो उसे नियंत्रित करने की दवा डॉक्टरों की सलाह पर लें. जो मरीज कोरोना से ऊबरकर घर लौटे हों वे दो से तीन हफ्ते विशेष सावधानी बरतें. पोस्ट कोविड में कई तरह की दिक्कत हो सकती है.

Last Updated : May 10, 2021, 10:48 PM IST
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