रांची: दुर्गा बाड़ी का दुर्गापूजा परंपराओं के लिए जाना जाता है. 138 वर्ष पुरानी यहां की परंपरा है. लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष दुर्गा पूजा के दौरान दुर्गा बाड़ी में भी कई परंपराओं को रोकना पड़ा. लेकिन मां की प्रतिमा का विसर्जन पुरानी परंपराओं के तहत ही किया गया. कम संसाधनों में कंधों पर उठाकर ही मां को विसर्जन स्थल तक लाया गया.
प्रत्येक वर्ष दुर्गा बाड़ी में बड़ा प्रतिमा होने के कारण हजारों श्रद्धालु मां की प्रतिमा को कंधों पर उठाकर घाट तक ले जाते हैं और फिर विसर्जन किया जाता है. इस वर्ष हालत और हालात दोनों अलग है. इस वजह से सरकारी गाइडलाइन के तहत मां की प्रतिमा की साइज 4 फीट ही रखी गई. किसी तरह परंपरा का निर्वहन करने के लिए पूजा पाठ का आयोजन हुआ.
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श्रद्धालुओं के प्रवेश वर्जित
हालांकि, दुर्गा बाड़ी में श्रद्धालुओं के प्रवेश पूरी तरह वर्जित रखी गई. किसी भी श्रद्धालु को दुर्गाबाड़ी में आने की इजाजत नहीं थी. लेकिन सीमित सदस्यों ने मिलकर मां की प्रतिमा को अपने कंधों पर उठाकर विसर्जन स्थल तक ले गए, फिर नम आंखों से मां को विदाई दी गई.
नम आंखों से मां को विदाई
तमाम लोग दुर्गाबाड़ी के ऑफिशियल वेबसाइट पेज पर पुष्पांजलि तक इस बार मां के चरणों पर अर्पित की. वहीं भोग भी श्रद्धालुओं के बीच वितरित नहीं हुई. ढाक बाजाने बाहर से मात्र दो ही ढाकी इस वर्ष पहुंचे थे, जबकि विगत वर्षों में 8 से 10 ढाकी यहां ढाक बजाने आए थे. इसके अलावा सिंदूर खेला का आयोजन भी दुर्गाबाड़ी में इस वर्ष नहीं हुआ.