रांचीः रांची में निजी अस्पताल संचालकों के संगठन हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया की झारखंड इकाई (HBIJ ) और IMA ने अखबारों में इश्तेहार देकर आयुष्मान भारत योजना से इलाज के पैसे के भुगतान की मांग की है. दोनों संगठनों ने विज्ञापन में बताया है कि 22 सितंबर 2021 के बाद से इलाज के बदले भुगतान नहीं होने या आंशिक भुगतान की वजह से आयुष्मान भारत से जुड़े निजी अस्पतालों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है.
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करोड़ों रुपये बकायाः IMA रांची के अध्यक्ष डॉ. शंभु ने बताया कि झारखंड में आयुष्मान भारत योजना का लोगों को लाभ मिल रहा था, पिछले 3 साल में कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन सितंबर 2021 के बाद से अभी तक निजी अस्पतालों को इलाज में खर्च होनेवाली राशि का भुगतान नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि लगभग 03 लाख मरीजों का प्रति वर्ष आयुष्मान भारत योजना के तहत राज्य के निजी अस्पतालों में इलाज होता है. ऐसे में करोड़ों रुपये निजी अस्पतालों के बकाये हैं. डॉ. शंभु का कहना है कि इसी के कारण गोड्डा, धनबाद, गिरिडीह और गढ़वा जिलों में कई अस्पतालों में आयुष्मान योजना से मरीजों का इलाज बंद कर दिया है.
23 अप्रैल को आगे की रणनीति का खुलासा करेगा IMA: आईएमए रांची के अध्यक्ष डॉ. शंभु कहते हैं कि IMA झारखंड और HBIJ अगले 23 अप्रैल को इस समस्या को लेकर आगे की रणनीति का खुलासा करेगा. कई स्थानीय लोगों का कहना है कि IMA भले की 07 दिनों की मोहलत देने की बात कर रहा है पर राजधानी के ही कई मझले और छोटे निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना से इलाज और डायलिसिस करना बंद कर दिया है.
170 करोड़ की राशि सरकार ने बीमा कंपनी को दीः इधर आयुष्मान भारत योजना झारखंड के कार्यकारी निदेशक का कहना है कि 170 करोड़ रुपये की राशि बीमा कंपनियों को दी गई है. उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों ने भी इलाज के बदले अभी तक के 30 करोड़ की राशि अस्पताल को इलाज के एवज में दे दी है.