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प्राइवेट प्रैक्टिस रोकने के तरीके पर सवाल, रिम्स के चिकित्सकों के समर्थन में आईएमए और झासा - jharkhand ima

रिम्स के डॉक्टरों के द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए डिटेक्टिव एजेंसी को लेकर विरोध तेज होता जा रहा है. आईएमए और झासा ने भी इसको लेकर विरोध किया है. आईएमए का साफ कहना है कि प्राइवेट प्रैक्टिस रोकने से सीधा नुकसान मरीजों को ही होगा.

RIMS doctors private practice
रिम्स के डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस
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Published : Oct 19, 2021, 10:38 PM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के डॉक्टरों के द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए डिटेक्टिव एजेंसी के चयन किए जाने को लेकर रिम्स के डॉक्टरों में खासा आक्रोश तो देखा ही जा रहा था, अब धीरे-धीरे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और झासा(झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ) ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

यह भी पढ़ें: रिम्स के डॉक्टर अब नहीं कर पाएंगे प्राइवेट प्रैक्टिस, प्रबंधन हुआ सख्त

प्राइवेट प्रैक्टिस रोकने से मरीजों को ही होगा नुकसान

आईएमए रांची के अध्यक्ष डॉ. शंभू प्रसाद सिंह ने विरोध जताते हुए कहा कि इस तरह के नियम निश्चित रूप से डॉक्टरों के मनोबल को कमजोर करता है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग की डॉक्टरों के प्रति अविश्वास की मानसिकता को दर्शाता है. सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर कभी भी और कहीं भी किसी मरीज का इलाज कर सकता है. लेकिन जिस प्रकार से पिछले दिनों रिम्स के शासी परिषद की बैठक में डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने को लेकर प्राइवेट डिटेक्टिव के चयन की बात की जा रही है, वह कहीं न कहीं मरीजों को ही नुकसान पहुंचाएगा. कई बार कुछ मरीज अस्पताल आकर इलाज नहीं कराना चाहते हैं. ऐसे में वे डॉक्टरों से निजी स्तर पर दिखाना चाहते हैं. यह प्राइवेट प्रैक्टिस किए बगैर संभव नहीं है. अगर सरकार प्राइवेट प्रैक्टिस को रोकना चाहती है तो इसका सीधा नुकसान मरीजों को ही होगा.

प्रतिक्रिया देते डॉ. शंभू प्रसाद सिंह और डॉ. बिमलेश सिंह.

डॉ. शंभू प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकारी व्यवस्था के अंतर्गत काम कर रहे चिकित्सकों के ऊपर सरकार को बस यह ध्यान रखना चाहिए कि वह सरकारी समय के अनुसार अस्पताल में समय देते हैं या नहीं. अगर वह सरकारी अस्पताल में मरीजों को देख रहे हैं, उसके बाद अपने फुर्सत के क्षणों में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं तो यह कहीं से भी गलत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले का आईएमए विरोध करती है. जल्द ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की झारखंड इकाई स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात करेगी और उनके द्वारा लिए गए इस फैसले को वापस लेने की बात कही जाएगी.

झासा ने भी जताया विरोध

झासा के सचिव बिमलेश सिंह ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि अगर सरकार अपने फैसले को वापस नहीं लेती है तो आने वाले समय में अन्य डॉक्टर एसोसिएशन के साथ मिलकर झासा इसका पुरजोर विरोध करेगी. बता दें कि 11 अक्टूबर को रिम्स के गवर्निंग बॉडी की हुई बैठक में स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया है. जिसके बाद से ही रिम्स के डॉक्टरों के द्वारा विरोध शुरू हो गया था. लेकिन अब यह विरोध धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. अब चिकित्सक संगठन भी रिम्स के डॉक्टरों के साथ खड़े दिख रहे हैं.

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के डॉक्टरों के द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए डिटेक्टिव एजेंसी के चयन किए जाने को लेकर रिम्स के डॉक्टरों में खासा आक्रोश तो देखा ही जा रहा था, अब धीरे-धीरे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और झासा(झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ) ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

यह भी पढ़ें: रिम्स के डॉक्टर अब नहीं कर पाएंगे प्राइवेट प्रैक्टिस, प्रबंधन हुआ सख्त

प्राइवेट प्रैक्टिस रोकने से मरीजों को ही होगा नुकसान

आईएमए रांची के अध्यक्ष डॉ. शंभू प्रसाद सिंह ने विरोध जताते हुए कहा कि इस तरह के नियम निश्चित रूप से डॉक्टरों के मनोबल को कमजोर करता है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग की डॉक्टरों के प्रति अविश्वास की मानसिकता को दर्शाता है. सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर कभी भी और कहीं भी किसी मरीज का इलाज कर सकता है. लेकिन जिस प्रकार से पिछले दिनों रिम्स के शासी परिषद की बैठक में डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने को लेकर प्राइवेट डिटेक्टिव के चयन की बात की जा रही है, वह कहीं न कहीं मरीजों को ही नुकसान पहुंचाएगा. कई बार कुछ मरीज अस्पताल आकर इलाज नहीं कराना चाहते हैं. ऐसे में वे डॉक्टरों से निजी स्तर पर दिखाना चाहते हैं. यह प्राइवेट प्रैक्टिस किए बगैर संभव नहीं है. अगर सरकार प्राइवेट प्रैक्टिस को रोकना चाहती है तो इसका सीधा नुकसान मरीजों को ही होगा.

प्रतिक्रिया देते डॉ. शंभू प्रसाद सिंह और डॉ. बिमलेश सिंह.

डॉ. शंभू प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकारी व्यवस्था के अंतर्गत काम कर रहे चिकित्सकों के ऊपर सरकार को बस यह ध्यान रखना चाहिए कि वह सरकारी समय के अनुसार अस्पताल में समय देते हैं या नहीं. अगर वह सरकारी अस्पताल में मरीजों को देख रहे हैं, उसके बाद अपने फुर्सत के क्षणों में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं तो यह कहीं से भी गलत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले का आईएमए विरोध करती है. जल्द ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की झारखंड इकाई स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात करेगी और उनके द्वारा लिए गए इस फैसले को वापस लेने की बात कही जाएगी.

झासा ने भी जताया विरोध

झासा के सचिव बिमलेश सिंह ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि अगर सरकार अपने फैसले को वापस नहीं लेती है तो आने वाले समय में अन्य डॉक्टर एसोसिएशन के साथ मिलकर झासा इसका पुरजोर विरोध करेगी. बता दें कि 11 अक्टूबर को रिम्स के गवर्निंग बॉडी की हुई बैठक में स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया है. जिसके बाद से ही रिम्स के डॉक्टरों के द्वारा विरोध शुरू हो गया था. लेकिन अब यह विरोध धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. अब चिकित्सक संगठन भी रिम्स के डॉक्टरों के साथ खड़े दिख रहे हैं.

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