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झारखंड में महिला मुखिया के नाम पर पति करते हैं काम, आधी आबादी को चाहिए पूरी आजादी

झारखंड में पंचायत चुनाव 2022 की डुगडुगी बज चुकी है. इस बार भी कानून के मुताबिक मुखिया के लिए पचास फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं. लेकिन पिछले पंचायत के अनुभव ठीक नहीं रहे. इस अवधि में अधिकतर महिला मुखिया के नाम पर उनके पति ने काम किया.

mukhiya in jharkhand
झारखंड में पंचायत चुनाव 2022
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Published : Apr 15, 2022, 5:59 PM IST

रांची: झारखंड में पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है. इस बार भी कानून के मुताबिक मुखिया के लिए पचास फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं. कानून में यह प्रावधान इस सोच के साथ किया गया है कि महिलाएं सशक्त होंगी तो समाज सशक्त होगा. लेकिन पिछले कार्यकाल की हकीकत इस पर सवाल उठा रही हैं. इस अवधि में आरक्षित ज्यादातर पंचायतों में महिला मुखिया चुनीं तो गईं, लेकिन वे रबर स्टांप बनकर ही रह गईं. उनके नाम पर गैर कानूनी रूप से पति और घर के लोग ही काम करते रहे. यानी सशक्तिकरण का आधा लक्ष्य ही पूरा हो पाया. हाल यह है कि मुखिया पति को एमपी कहा जाने लगा.

ये भी पढ़ें-पिंक ऑटो चलाने वाली महिलाओं ने थामी सैकड़ों टन भारी गाड़ियों की स्टीयरिंग, ईटीवी भारत की खबर को जयंत सिन्हा ने सराहा

झारखंड सरकार की पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव का कहना है कि जिस उद्देश्य के साथ महिलाओं को पंचायतों में भागीदारी दी गई, वह पूरा नहीं हो पा रहा है. इस वजह से उनके पति या घर के लोग गैरकानूनी काम को भी अंजाम देते हैं. रातू प्रखंड के सिमलिया के मुखिया मुकेश भगत का कहना है कि इस बार उनकी पंचायत में मुखिया का पद महिला के लिए आरक्षित हो गया है.

देखें स्पेशल खबर

इधर इससे पहले जिन स्थानों पर महिला मुखिया जीत कर आईं, अधिकांश के या तो पति ने काम किया या घर के किसी अन्य पुरुष ने, क्योंकि ये मुखिया पढ़ी लिखी नहीं थीं. प्रशासनिक कार्यों की जानकारी न होने के कारण भी दिक्कतें आईं. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता कुदरसी मुंडा बताती हैं कि ऐसी मुखिया महिलाओं को सरकार की ओर से सख्त निर्देश भी पहले दिया जा चका है कि वे बैठक या अन्य सरकारी कार्यों में पति या किसी पुरुष को बेवजह न लाएं. लेकिन कोई बहुत असर नहीं हुआ.


इस बार भी बड़ी संख्या में निर्वाचित होंगी महिलाएंः पंचायतों में महिलाओं का दबदबा इस बार भी दिखेगा. पंचायतों में महिलाओं को हर पद पर आरक्षण के आधार पर कम से क म आधी जगह मिलेंगी. ग्राम पंचायत की सदस्यों के 53,479 पदों में से 30,631 पदों पर महिला उम्मीदवार निर्वाचित होकर आएंगी. इनमें आरक्षित और गैर आरक्षित श्रेणी की महिला उम्मीदवार शामिल होंगी. इसके अलावा इस बार एकल पदों पर महिलाओं के आरक्षण की जो व्यवस्था की गई है, वह 2010 में हुए चुनाव के पैटर्न पर है. 2010 में तकरीबन 57 प्रतिशत सीटों पर महिलाएं काबिज हुई थीं. इस बार भी यह माना जा रहा है कि उनकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से ऊपर रहेगी.

panchayat election 2022
झारखंड में पंचायत चुनाव 2022
पंचायत चुनाव में महिला आरक्षणजिला परिषद - कुल पद - 536अनुसूचित जाति: आरक्षित - 64, महिलाएं-39अनुसूचित जनजाति: आरक्षित कुल पद -178, महिलाएं-96,अन्य पिछड़ा वर्ग : आरक्षित कुल पद - 92, महिलाएं - 52,अनारक्षित: कुल पदों की संख्या - 202 , महिलाएं - 107पंचायत समिति सदस्य, कुल पद - 5341अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित : कुल पद - 639, महिलाएं 380अनुसूचित जनजाति : कुल पद -1773, महिलाएं 945अन्य पिछड़ा वर्ग : कुल पद - 847, महिलाएं - 497अनारक्षित: कुल पद - 2055, महिलाएं - 1090पंचायत के मुखिया, पदों की कुल संख्या - 4345अनुसूचित जाति : कुल पद 412, महिला - 296अनुसूचित जनजाति : कुल 2272, महिलाएं -1200अन्य पिछड़ा वर्ग : कुल पद - 480, महिलाएं - 252अनारक्षित : कुल पद 1213, महिलाएं - 642ग्राम पंचायत सदस्य, कुल पदों की संख्या 53479अनुसूचित जाति : कुल पद 6101, महिलाएं- 3952अनुसूचित जनजाति : कुल पद - 17060, महिलाएं - 9385अन्य पिछड़ा वर्ग : कुल पद 8063, महिलाएं- 4870अनारक्षित : कुल पद- 22255, महिलाएं 12419झारखंड बनने के बाद 2010 में पहली बार पंचायत चुनाव कराए गए थे. इसके पहले संयुक्त बिहार मेंं 32 साल पहले पंचायत चुनाव हुए थे. 2010 में पंचायती राज एक्ट के तहत 50 फीसदी सीट को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया. इसके अलावा अन्य सीटों पर भी वे जीतकर आईं. इस तरह से करीब 57 फीसदी सीट पर उनका जलवा रहा. इसके बाद 2015 में चुनाव हुए. इस वर्ष आरक्षण रोस्टर बदल दिए जाने के कारण पंचायतों में महिलाओं की हिस्सेदारी का ग्राफ गिरा. जिला परिषद सदस्य की सीट पर 51.56 फीसदी, पंचायत समिति में 52.06, मुखिया में 51.89 और वार्ड सदस्यों की 52.7 फीसदी सीट पर महिलाएं जीतकर आईं.

रांची: झारखंड में पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है. इस बार भी कानून के मुताबिक मुखिया के लिए पचास फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं. कानून में यह प्रावधान इस सोच के साथ किया गया है कि महिलाएं सशक्त होंगी तो समाज सशक्त होगा. लेकिन पिछले कार्यकाल की हकीकत इस पर सवाल उठा रही हैं. इस अवधि में आरक्षित ज्यादातर पंचायतों में महिला मुखिया चुनीं तो गईं, लेकिन वे रबर स्टांप बनकर ही रह गईं. उनके नाम पर गैर कानूनी रूप से पति और घर के लोग ही काम करते रहे. यानी सशक्तिकरण का आधा लक्ष्य ही पूरा हो पाया. हाल यह है कि मुखिया पति को एमपी कहा जाने लगा.

ये भी पढ़ें-पिंक ऑटो चलाने वाली महिलाओं ने थामी सैकड़ों टन भारी गाड़ियों की स्टीयरिंग, ईटीवी भारत की खबर को जयंत सिन्हा ने सराहा

झारखंड सरकार की पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव का कहना है कि जिस उद्देश्य के साथ महिलाओं को पंचायतों में भागीदारी दी गई, वह पूरा नहीं हो पा रहा है. इस वजह से उनके पति या घर के लोग गैरकानूनी काम को भी अंजाम देते हैं. रातू प्रखंड के सिमलिया के मुखिया मुकेश भगत का कहना है कि इस बार उनकी पंचायत में मुखिया का पद महिला के लिए आरक्षित हो गया है.

देखें स्पेशल खबर

इधर इससे पहले जिन स्थानों पर महिला मुखिया जीत कर आईं, अधिकांश के या तो पति ने काम किया या घर के किसी अन्य पुरुष ने, क्योंकि ये मुखिया पढ़ी लिखी नहीं थीं. प्रशासनिक कार्यों की जानकारी न होने के कारण भी दिक्कतें आईं. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता कुदरसी मुंडा बताती हैं कि ऐसी मुखिया महिलाओं को सरकार की ओर से सख्त निर्देश भी पहले दिया जा चका है कि वे बैठक या अन्य सरकारी कार्यों में पति या किसी पुरुष को बेवजह न लाएं. लेकिन कोई बहुत असर नहीं हुआ.


इस बार भी बड़ी संख्या में निर्वाचित होंगी महिलाएंः पंचायतों में महिलाओं का दबदबा इस बार भी दिखेगा. पंचायतों में महिलाओं को हर पद पर आरक्षण के आधार पर कम से क म आधी जगह मिलेंगी. ग्राम पंचायत की सदस्यों के 53,479 पदों में से 30,631 पदों पर महिला उम्मीदवार निर्वाचित होकर आएंगी. इनमें आरक्षित और गैर आरक्षित श्रेणी की महिला उम्मीदवार शामिल होंगी. इसके अलावा इस बार एकल पदों पर महिलाओं के आरक्षण की जो व्यवस्था की गई है, वह 2010 में हुए चुनाव के पैटर्न पर है. 2010 में तकरीबन 57 प्रतिशत सीटों पर महिलाएं काबिज हुई थीं. इस बार भी यह माना जा रहा है कि उनकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से ऊपर रहेगी.

panchayat election 2022
झारखंड में पंचायत चुनाव 2022
पंचायत चुनाव में महिला आरक्षणजिला परिषद - कुल पद - 536अनुसूचित जाति: आरक्षित - 64, महिलाएं-39अनुसूचित जनजाति: आरक्षित कुल पद -178, महिलाएं-96,अन्य पिछड़ा वर्ग : आरक्षित कुल पद - 92, महिलाएं - 52,अनारक्षित: कुल पदों की संख्या - 202 , महिलाएं - 107पंचायत समिति सदस्य, कुल पद - 5341अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित : कुल पद - 639, महिलाएं 380अनुसूचित जनजाति : कुल पद -1773, महिलाएं 945अन्य पिछड़ा वर्ग : कुल पद - 847, महिलाएं - 497अनारक्षित: कुल पद - 2055, महिलाएं - 1090पंचायत के मुखिया, पदों की कुल संख्या - 4345अनुसूचित जाति : कुल पद 412, महिला - 296अनुसूचित जनजाति : कुल 2272, महिलाएं -1200अन्य पिछड़ा वर्ग : कुल पद - 480, महिलाएं - 252अनारक्षित : कुल पद 1213, महिलाएं - 642ग्राम पंचायत सदस्य, कुल पदों की संख्या 53479अनुसूचित जाति : कुल पद 6101, महिलाएं- 3952अनुसूचित जनजाति : कुल पद - 17060, महिलाएं - 9385अन्य पिछड़ा वर्ग : कुल पद 8063, महिलाएं- 4870अनारक्षित : कुल पद- 22255, महिलाएं 12419झारखंड बनने के बाद 2010 में पहली बार पंचायत चुनाव कराए गए थे. इसके पहले संयुक्त बिहार मेंं 32 साल पहले पंचायत चुनाव हुए थे. 2010 में पंचायती राज एक्ट के तहत 50 फीसदी सीट को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया. इसके अलावा अन्य सीटों पर भी वे जीतकर आईं. इस तरह से करीब 57 फीसदी सीट पर उनका जलवा रहा. इसके बाद 2015 में चुनाव हुए. इस वर्ष आरक्षण रोस्टर बदल दिए जाने के कारण पंचायतों में महिलाओं की हिस्सेदारी का ग्राफ गिरा. जिला परिषद सदस्य की सीट पर 51.56 फीसदी, पंचायत समिति में 52.06, मुखिया में 51.89 और वार्ड सदस्यों की 52.7 फीसदी सीट पर महिलाएं जीतकर आईं.
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