रांचीः मानव तस्करी की शिकार झारखंड की दो युवतियों और 8 बच्चों को दिल्ली में मुक्त कराया गया है. आरोप है कि इन सभी को दलालों ने दिल्ली में बेच दिया था. सभी को नई दिल्ली गरीब रथ से रांची लाया गया है. सभी पीड़ितों का पुनर्वास कराया जाएगा.
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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास से मानव तस्करी के शिकार झारखंड के बालक बालिकाओं को मुक्त करा कर पुनर्वास कराया जा रहा है. इस कड़ी में दिल्ली में बेची गई दो युवतियों और बच्चों को मुक्त कराया गया. इन्हें दलाल दिल्ली ले गए थे. उसके बाद उन्हें दलालों ने मोटी रकम लेकर बेच दिया. कुछ बच्चे जिस घर में काम करते थे, वहां का व्यवहार अच्छा नहीं था. वे वहां से भाग कर घर जाने के लिए भटक रहे थे. इसी दौरान दिल्ली पुलिस ने बच्चों को बालगृह भेज दिया.
मां-बाप ने तस्करों को सौंपा था
नई दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र की नोडल पदाधिकारी नचिकेता का कहना है कि एक बालक पिछले दो वर्ष से दिल्ली के बालगृह में रह रहा था. उन्होंने बताया कि बालक के पिता नहीं हैं और उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली है. इसी तरह एक बालिका की मां ने बालिका के पिता को छोड़ दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली है और अपने नए पति के साथ रहने लगी है. बालिका के सौतेले पिता और मां ने ही बालिका को दो बार मानव तस्करों के हवाले किया था. विभाग ने जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को पत्र भेजकर इन बच्चों पर विशेष ध्यान देने के लिए अवगत कराया है.
मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानी
अफसरों ने बताया कि स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC)) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी. इसके लिए विभाग की ओर से प्रधान सचिव महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग को पत्र लिखा जा चुका है, ताकि इन बच्चों को पुन: मानव तस्करों के चंगुल में फंसने से बचाया जा सके. मुक्त कराए गए सभी बालक बालिकाओं को गरीब रथ स्पेशल ट्रेन से नई दिल्ली से रांची लाया गया. एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र के परियोजना समन्वयक सुनील कुमार गुप्ता, परामर्शी निर्मला खालखो राज्य संसाधन केंद्र के परामर्शी प्रकाश रहे.