रांचीः झारखंड में पुलिसिंग का हाल बुरा हो चला है. आईपीएस अधिकारियों की कमी की वजह से झारखंड पुलिस के हर विंग की हालत खराब है. सीआईडी हो या एसीबी या फिर झारखंड जगुआर आईपीएस अधिकारियों की कमी की वजह हर विंग का काम प्रभावित हो रहा है.
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प्रमोशन से भरे जाने वाले 22 पद रिक्त
झारखंड में प्रमोशन पर रोक लगी हुई है, जिसकी वजह से झारखंड पुलिस में प्रमोशन से भरे जाने वाले आईपीएस अधिकारियों के 22 पद खाली हैं. स्थानीय होने के बावजूद डीएसपी स्तर के अधिकारियों को प्रमोशन नहीं दिया जाना सरकार के कामकाज पर सवालिया निशान लगा रहा है. सबसे अहम बात यह है कि राज्य गठन के बाद जेपीएससी के जरिए बहाल हुए एक भी डीएसपी स्तर के अधिकारी सीनियर डीएसपी, एएसपी या एसपी रैंक में प्रोन्नत नहीं हो सके हैं, जबकि झारखंड में पोन्नति के लिए भरे जाने वाले आईपीएस अधिकारियों के कुल 45 पद हैं. साल 2017 के बाद हुए रिक्तियों के आलोक में अधिकारियों की आईपीएस में प्रोन्नति नहीं हुई है.
पुलिसिंग पर पड़ रहा प्रभाव
झारखंड में आईपीएस अधिकारियों की कमी की वजह से कई स्थानों पर पोस्टिंग नहीं हो पा रही है. राज्य में जोनल आईजी का पद दोबारा बहाल किया गया है. आईजी का पद प्रभार में ही चल रहा है. कई प्रमुख पद प्रभार में चल रहे हैं तो कई पदों पर प्रोन्नति के लिए अफसरों की संख्या कैडर पोस्ट के लिहाज से भी कम है. हाल के समय में देखा गया है कि सीआईडी के काम का बोझ बढ़ा है. सीआईडी में एसपी रैंक के चार पद हैं, यहां एकमात्र एसपी अंजनी झा तैनात हैं.
जबकि एटीएस एसपी अंजनी अंजन को सिर्फ साइबर मामलों के अनुसंधान के लिए यहां लगाया गया हैं. सीआईडी में आईजी आर्गेनाइज क्राइम और आईजी सीआईडी का पद लंबे अरसे से खाली है. भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए एसीबी के प्रमंडलीय कार्यालय खोले गए थे. प्रत्येक प्रमंडल में एसपी रैंक के अधिकारी के पद हैं. वर्तमान में एसीबी में किसी भी प्रमंडल में अधिकारी तैनात नहीं हैं. एसीबी की ओर से पूर्व में इन पदों को भरने की गुजारिश भी सरकार के स्तर से की गई थी. सीएम सुरक्षा, एसपी एसआईबी जैसे अहम पद भी स्पेशल ब्रांच में खाली हैं.
आईजी स्तर पर अधिकारियों की घोर कमी
आईजी स्तर पर सरकार ने जोनल आईजी के पद को फिर से बनाया है. लेकिन आईजी स्तर के अधिकारियों की कमी के कारण पुलिस मुख्यालय में ही आईजी अभियान का पद खाली है. आईजी मुख्यालय का पद प्रभार में चलाया जा रहा है. दूसरी तरफ सबसे बड़े हैरानी की बात तो यह है कि झारखंड के दो प्रमुख शहर जमशेदपुर और धनबाद में ग्रामीण एसपी का पद छह महीने से खाली है.
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झारखंड जगुआर हुआ नेतृवविहीन
झारखंड में नक्सलियों के खात्मे के लिए आंध्र प्रदेश के ग्रे-हाउंड की तर्ज पर बना झारखंड जगुआर नेतृत्वविहीन हो गया है. जगुआर में आईजी साकेत कुमार सिंह और डीआईजी कुलदीप द्विवेदी के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद किसी अधिकारी को जगुआर में पोस्टिंग नहीं दी गई है. जगुआर की ओर से चलाए जाने वाले अभियान की जिम्मेदारी भी बीएसएफ से प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी को दी गई है. जगुआर में अभियान की मॉनिटरिंग का काम डीआईजी और आईजी स्तर के अधिकारी ही करते हैं. लेकिन दोनों कैडर पोस्ट खाली होने के कारण यहां पुलिसकर्मियों को परेशानी हो रही है.