रांची: मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना हेमंत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में इस योजना से दो लाख युवाओं को जोड़ने का लक्ष्य तय किया है. मगर इस योजना की धीमी प्रगति ने सरकार की चिंता बढा दी है. लक्ष्य को हर हाल में पूरा करने के निर्देश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिछले समीक्षा बैठक के दौरान भी दे चुके हैं. मगर जटिल प्रशासनिक प्रक्रिया की वजह से इस योजना का लाभ लाभुकों तक पहुंचने में परेशानी है.
योजना के मुताबिक 25 लाख तक का ऋण सरकार द्वारा रोजगार के लिए उपलब्ध कराया जाना है, जिसमें 40 फीसदी सब्सिडी या अधिकतम पांच लाख का अनुदान लाभुकों को मिलेगा, जिससे वो कारोबार कर सकें. स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाई गई योजना से सरकार को उम्मीद है कि इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग को काफी लाभ मिलेगा. स्वरोजगार के जरिए खुद मालिक बनकर अन्य को भी रोजगार देने में यह वर्ग सफल होगा. मंत्री चंपाई सोरेन से जब यह पूछा गया कि मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना की धीमी प्रगति के पीछे की क्या वजह है तो उन्होंने जागरूकता की कमी बताई. हालांकि उनका कहना है कि लक्ष्य भले ही अधिक रखा गया हो मगर लोगों तक इसे पहुंचाने में सरकार जरूर सफल होगी.
अब तक 6272 युवा जुड़े मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना से: मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत पिछले दो वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में राज्य भर के 6272 युवाओं को स्वरोजगार हेतु सरकार ने 104.97 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया है. वहीं वित्तीय वर्ष 2023-24 के करीब दो लाख युवाओं को इस योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया है. आंकड़ों के मुताबिक योजना के तहत सबसे अधिक लाभुक पूर्वी सिंहभूम के हैं, जहां के 940 युवाओं को योजना का लाभ मिला और उनके बीच स्वरोजगार हेतु 6.26 करोड़ की राशि निर्गत हुई है. दुमका के 657 युवाओं को योजना का लाभ मिला और स्वरोजगार के लिए इन्हें 11.66 करोड़ रूपये ऋण दिया गया है. इसी तरह हजारीबाग में 567 युवाओं को 7.31 करोड़ की राशि बतौर ऋण मिली है.
योजना की धीमी प्रगति पर सामाजिक कार्यकर्ता एस अली कहते हैं कि सबसे ज्यादा लाभुकों को विभाग और बैंक के बीच समन्वय नहीं होने का खामियाजा उठाना पड़ता है. बैक ऋण देने में तरह तरह के कागजात की मांग कर बहाना बनाते रहते हैं. जिस वजह से लोग परेशान होकर इस योजना के तहत आवेदन ही नहीं करते. बहरहाल, इस योजना को लेकर मुख्यमंत्री की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने पहल करना शुरू कर दी है जिसके तहत सभी जिलों को चिठ्ठी लिखकर प्राथमिकता के आधार पर लाभुकों तक ऋण मुहैया करानै के निर्देश दिए गए हैं.