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सहारा इंडिया में झारखंड के ढाई लाख लोगों के 3 हजार करोड़ रुपये फंसे, हेल्पलाइन नंबर जारी - jharkhand news

सहारा इंडिया में झारखंड के ढाई लाख लोगों के तीन हजार करोड़ रुपये फंसे हैं. नॉन बैंकिंग कंपनियों (Non Banking Company) की वादाखिलाफी और भुगतान संबंधी शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर 112 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. (How to withdraw money from Sahara India)

how to withdraw money from sahara india
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Published : Oct 13, 2022, 12:30 PM IST

रांची: सहारा इंडिया की विभिन्न योजनाओं में झारखंड के तकरीबन ढाई लाख से भी ज्यादा लोगों के लगभग 3 हजार करोड़ रुपये फंसे हैं. जमा योजनाओं की पॉलिसी मैच्योर्ड होने के बाद भी लगभग दो वर्ष से भुगतान पूरी तरह बंद है. राज्य के अलग-अलग इलाकों में स्थित सहारा के दफ्तरों में हर रोज बड़ी तादाद में पॉलिसी की राशि के भुगतान की मांग लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.

रांची, हजारीबाग, रामगढ़, बेरमो, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर सहित कई शहरों में निवेश करने वाले लोगों ने सहारा के दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन भी किया है, लेकिन इन शाखाओं के प्रबंधकों और कर्मियों के पास कोई जवाब नहीं है. कंपनी के लिए काम करने वाले 60 हजार से भी ज्यादा कर्मी हर रोज हो रहे हंगामों से परेशान हैं. निवेशकों का कहना है मैच्योरिटी की राशि का भुगतान न होने से किसी का इलाज के अभाव में निधन हो गया तो किसी के बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी तक रुक गई.

बेरमो के रामदास साव के मुताबिक, उन्होंने अपने जीवन की पूरी कमाई 20 लाख रुपये सहारा इंडिया में जमा किए, लेकिन उन्हें एमआईएस तक का भुगतान नहीं किया जा रहा है. हजारीबाग के शिवपुरी निवासी संतोष कुमार के एक लाख रुपये फंसे हैं और वह दो साल से परेशान हैं. बेरमो के बबलू गुप्ता और उनकी पत्नी राजकुमारी भारती का कहना है कि पैसे न मिलने की वजह से उन्हें अपनी बेटी का विवाह स्थगित करना पड़ा. इसी तरह प्रदीप कुमार भगत ने भी 21 लाख रुपये जमा किए हैं, लेकिन उन्हें ब्याज तक की रकम नहीं दी जा रही है. कुछ महीने पहले बोकारो जिले के गोमिया में सहारा इडिया के एक एजेंट ने निवेशकों के दबाव से परेशान होकर खुदकुशी कर ली थी.

झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में विधायक नवीन जायसवाल ने नॉन बैंकिंग कंपनियों (Non Banking Company)में झारखंड के लोगों के लगभग 2500 करोड़ फंसे होने का मामला उठाया था. उन्होंने कहा था कि तीन लाख लोग अपने पैसों को लेकर चिंता में हैं. इस पर जवाब देते हुए सरकार ने कहा था कि नॉन बैंकिंग कंपनियों की वादाखिलाफी और भुगतान संबंधी शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया जा रहा है. कहा गया कि लोग हेल्पलाइन नंबर 112 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं (How to withdraw money from Sahara India). वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के मुताबिक वित्त विभाग इन शिकायतों के आधार पर सीआइडी (आर्थिक अपराध शाखा, झारखंड) के साथ मिलकर इसकी जांच और निदान में मदद करेगा.

बता दें कि बीते अगस्त महीने में सरकार ने लोकसभा में यह जानकारी दी थी कि सहारा इंडिया में पैसा लगाने वालों की संख्या करोड़ों में है. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि सहारा समूह की विभिन्न इकाइयों में करीब 13 करोड़ निवेशकों के 1.12 लाख करोड़ रुपये के फंसे हुए हैं.

रांची: सहारा इंडिया की विभिन्न योजनाओं में झारखंड के तकरीबन ढाई लाख से भी ज्यादा लोगों के लगभग 3 हजार करोड़ रुपये फंसे हैं. जमा योजनाओं की पॉलिसी मैच्योर्ड होने के बाद भी लगभग दो वर्ष से भुगतान पूरी तरह बंद है. राज्य के अलग-अलग इलाकों में स्थित सहारा के दफ्तरों में हर रोज बड़ी तादाद में पॉलिसी की राशि के भुगतान की मांग लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.

रांची, हजारीबाग, रामगढ़, बेरमो, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर सहित कई शहरों में निवेश करने वाले लोगों ने सहारा के दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन भी किया है, लेकिन इन शाखाओं के प्रबंधकों और कर्मियों के पास कोई जवाब नहीं है. कंपनी के लिए काम करने वाले 60 हजार से भी ज्यादा कर्मी हर रोज हो रहे हंगामों से परेशान हैं. निवेशकों का कहना है मैच्योरिटी की राशि का भुगतान न होने से किसी का इलाज के अभाव में निधन हो गया तो किसी के बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी तक रुक गई.

बेरमो के रामदास साव के मुताबिक, उन्होंने अपने जीवन की पूरी कमाई 20 लाख रुपये सहारा इंडिया में जमा किए, लेकिन उन्हें एमआईएस तक का भुगतान नहीं किया जा रहा है. हजारीबाग के शिवपुरी निवासी संतोष कुमार के एक लाख रुपये फंसे हैं और वह दो साल से परेशान हैं. बेरमो के बबलू गुप्ता और उनकी पत्नी राजकुमारी भारती का कहना है कि पैसे न मिलने की वजह से उन्हें अपनी बेटी का विवाह स्थगित करना पड़ा. इसी तरह प्रदीप कुमार भगत ने भी 21 लाख रुपये जमा किए हैं, लेकिन उन्हें ब्याज तक की रकम नहीं दी जा रही है. कुछ महीने पहले बोकारो जिले के गोमिया में सहारा इडिया के एक एजेंट ने निवेशकों के दबाव से परेशान होकर खुदकुशी कर ली थी.

झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में विधायक नवीन जायसवाल ने नॉन बैंकिंग कंपनियों (Non Banking Company)में झारखंड के लोगों के लगभग 2500 करोड़ फंसे होने का मामला उठाया था. उन्होंने कहा था कि तीन लाख लोग अपने पैसों को लेकर चिंता में हैं. इस पर जवाब देते हुए सरकार ने कहा था कि नॉन बैंकिंग कंपनियों की वादाखिलाफी और भुगतान संबंधी शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया जा रहा है. कहा गया कि लोग हेल्पलाइन नंबर 112 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं (How to withdraw money from Sahara India). वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के मुताबिक वित्त विभाग इन शिकायतों के आधार पर सीआइडी (आर्थिक अपराध शाखा, झारखंड) के साथ मिलकर इसकी जांच और निदान में मदद करेगा.

बता दें कि बीते अगस्त महीने में सरकार ने लोकसभा में यह जानकारी दी थी कि सहारा इंडिया में पैसा लगाने वालों की संख्या करोड़ों में है. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि सहारा समूह की विभिन्न इकाइयों में करीब 13 करोड़ निवेशकों के 1.12 लाख करोड़ रुपये के फंसे हुए हैं.

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