रांची: झारखंड में संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा सी गई है. जमीनी हकीकत यह है कि रोजाना मरीजों की मौत हो रही है. इसके बावजूद संक्रमित मरीजों को कोई साधन नहीं मिल पा रहा है. राज्य सरकार प्रत्येक जिलों में बेडों की संख्या बढ़ा रही है. इसके बावजूद संक्रमित मरीजों की बढ़ती तादाद के सामने बेड कम पड़ते जा रहे हैं.
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कर्मचारियों की कमी है बड़ी समस्या
झारखंड में रोजाना मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. उसके बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं हो रहा है. स्वास्थ विभाग बेडों की संख्या बढ़ाकर मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था में लगा है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ बेडों की संख्या बढ़ाने से मरीजों की जिंदगी बच जाएगी. मरीजों की सेवा के लिए कर्मचारी बढ़ाने की जरूरत नहीं है. यही सवाल जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने रिम्स प्रबंधन से किया तो रिम्स प्रबंधन की ओर से डॉ डीके सिन्हा ने बताया कि निश्चित रूप से कर्मचारियों की कमी एक बहुत बड़ी समस्या है. बेड बढ़ाये तो जा रहे हैं, लेकिन बेड पर मौजूद मरीजों को इलाज करने के लिए कर्मचारियों की कोई व्यवस्था नहीं है.
कर्मचारियों की कमी से मरीज परेशान
डॉ डीके सिन्हा बताते हैं कि कर्मचारियों की कमी एक बहुत बड़ी समस्या है और इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग और रिम्स प्रबंधन की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. फिलहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी से निपटने के लिए पारा मेडिकल स्टाफ और नर्सिंग छात्रों को काम में लाया जा रहा है. ओपीडी बंद होने के बाद जो चिकित्सक फ्री हुए हैं, उन्हें भी कोविड ड्यूटी में तैनात कर कोविड मरीजों के इलाज में लगाया जा रहा है. सिर्फ रिम्स में ही नहीं, बल्कि रांची के विभिन्न अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों की घोर कमी है. इस कारण इस विपदा की घड़ी में मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से नहीं हो पा रहा है.
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अब सवाल यह उठता है कि इस विपदा के समय में कर्मचारियों की कमी से मरीज परेशान हैं, लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. अब देखना होगा कि कर्मचारियों की कमी की संकट को इस विपदा की घड़ी में स्वास्थ्य विभाग कैसे निपटता है.