रांची: झारखंड हाई कोर्ट में कार्यरत सरकारी अधिवक्ताओं के मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है. इससे सरकारी अधिवक्ता वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि झारखंड हाई कोर्ट में कार्यरत सरकारी अधिवक्ताओं के मानदेय का भुगतान इतनी लंबी अवधि के लिए रुका हो.
झारखंड हाई कोर्ट में कार्यरत 96 सरकारी कनीय अधिवक्ता और 11 अपर लोक अभियोजक के मानदेय का भुगतान अब तक नहीं किया गया है. सभी सरकारी अधिवक्ता अपने बिल विपत्र महाधिवक्ता के कार्यालय में फरवरी 2020 में जमा करा दिया है.
सरकारी अधिवक्ताओं में आक्रोश
अपर लोक अभियोजक और सरकारी कनीय अधिवक्ता से संबंधित बिल नवंबर 2019 से फरवरी 2020 की अवधि में हाई कोर्ट के समक्ष लंबित विभिन्न मामलों की सुनवाई से संबंधित है. सरकारी अधिवक्ता के मानदेय का भुगतान करने के लिए अप्रैल 2020 में ही महाधिवक्ता कार्यालय में सरकार की ओर से 4 करोड़ की राशि का आवंटन कर दिया गया है. इसके बावजूद सभी सरकारी कनीय अधिवक्ता और अपर लोक अभियोजक के बिल का भुगतान अभी तक नहीं किया जा सका है. इस वजह से सभी सरकारी अधिवक्ताओं में काफी आक्रोश है.
इसे भी पढे़ं-रांची: मुकेश कुमार ने नए नगर आयुक्त का संभाला पदभार, कहा- बेहतर कार्य के लिए टेक्नोलॉजी का होगा इस्तेमाल
सरकारी अधिवक्ताओं का बिल वित्त विभाग में स्वीकृति
सूत्रों की मानें तो सभी सरकारी अधिवक्ताओं का बिल वित्त विभाग में स्वीकृति के लिए 15 मई 2020 से ही लंबित है. इतनी लंबी अवधि तक मानदेय का भुगतान नहीं किए जाने से सरकारी कनीय अधिवक्ता और अपर लोक अभियोजक के समक्ष वित्तीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. क्योंकि कोरोना महामारी को लेकर हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई भी बाधित चल रही है. इस संदर्भ में जूनियर सरकारी अधिवक्ता का कहना है कि इससे पूर्व बिल का भुगतान समय से हो जाता था, लेकिन कोरोना महामारी जैसे आपदा के दौरान ही कनीय सरकारी अधिवक्ताओं का बिल का भुगतान नहीं किया जा रहा है. इस वजह से सरकारी कनीय अधिवक्ताओं को परिवार का भरण-पोषण करने में वित्तीय संकट से जूझना पड़ रहा है.