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गृह सचिव सशरीर हाजिर हों, ढेंगा गोलीकांड मामले में झारखंड हाईकोर्ट का आदेश - Jharkhand News

हजारीबाग के ढेंगा गोलीकांड मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने गृह सचिव को सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया है. उन्हें 8 जुलाई को कोर्ट में पेश होना है.

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Published : Jun 17, 2022, 4:02 PM IST

रांची: झारखड हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजय द्विवेदी की अदालत ने सूबे के गृह सचिव को कोर्ट में सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया है. उन्हें 8 जुलाई को कोर्ट में हाजिर होना है. मामला हजारीबाग के बहुचर्चित ढेंगा गोलीकांड से जुड़ा है.

प्रार्थी मंजू सोनी के अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने उनके क्लाइंट को गोली मारी थी. जब उन्होंने पुलिसकर्मियों के खिलाफ बड़कागांव थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया तो पुलिसवालों ने उन्हीं पर प्राथमिकी दर्ज कर दी थी. यही नहीं गोलीबारी की वजह से घायल होने के बावजूद सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. उन्हें बड़कागांव थाना में दर्ज कार्ड संख्या 167/15 में अभियुक्त बना दिया गया था. इसके खिलाफ प्रार्थी ने रिट संख्या 127/2021 दाखिल किया था. लेकिन सरकार की ओर से बार-बार इस मामले में समय मांगा जा रहा है. कोर्ट को यह भी बताया गया कि पुलिस के चार्जशीट में मंटू सोनी के घायल होने का जिक्र है ही नहीं. इसपर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने सूबे के गृह सचिव को तलब किया है.

आपको बता दें कि जेल में रहते हुए मंटू सोनी द्वारा लिखे गये पत्र के आधार पर निचली अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया था. इसी आधार पर बड़कागांव में कांड संख्या 214/16 दर्ज हुआ था लेकिन एक साल बाद भी पुलिस ने इस मसले पर कोई जवाब नहीं दिया. यही नहीं मिस्टेक ऑफ फैक्ट्स बताकर अभियुक्तों को रिहा करने की कोर्ट में अनुशंसा भी कर दी गई थी. यह मामला झारखंड विधानसभा में भी उठा था. शुरू में पुलिस ने मंटू सोनी के घायल होने की खबर से इनकार किया था लेकिन बाद में एक दूसरे सवाल के जवाब में पुलिस ने मान लिया था कि मंटू सोनी घायल हुए थे. इसी जवाब के बाद से पुलिस अपने पक्ष को कोर्ट में रखने से कतरा रही है.

रांची: झारखड हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजय द्विवेदी की अदालत ने सूबे के गृह सचिव को कोर्ट में सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया है. उन्हें 8 जुलाई को कोर्ट में हाजिर होना है. मामला हजारीबाग के बहुचर्चित ढेंगा गोलीकांड से जुड़ा है.

प्रार्थी मंजू सोनी के अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने उनके क्लाइंट को गोली मारी थी. जब उन्होंने पुलिसकर्मियों के खिलाफ बड़कागांव थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया तो पुलिसवालों ने उन्हीं पर प्राथमिकी दर्ज कर दी थी. यही नहीं गोलीबारी की वजह से घायल होने के बावजूद सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. उन्हें बड़कागांव थाना में दर्ज कार्ड संख्या 167/15 में अभियुक्त बना दिया गया था. इसके खिलाफ प्रार्थी ने रिट संख्या 127/2021 दाखिल किया था. लेकिन सरकार की ओर से बार-बार इस मामले में समय मांगा जा रहा है. कोर्ट को यह भी बताया गया कि पुलिस के चार्जशीट में मंटू सोनी के घायल होने का जिक्र है ही नहीं. इसपर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने सूबे के गृह सचिव को तलब किया है.

आपको बता दें कि जेल में रहते हुए मंटू सोनी द्वारा लिखे गये पत्र के आधार पर निचली अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया था. इसी आधार पर बड़कागांव में कांड संख्या 214/16 दर्ज हुआ था लेकिन एक साल बाद भी पुलिस ने इस मसले पर कोई जवाब नहीं दिया. यही नहीं मिस्टेक ऑफ फैक्ट्स बताकर अभियुक्तों को रिहा करने की कोर्ट में अनुशंसा भी कर दी गई थी. यह मामला झारखंड विधानसभा में भी उठा था. शुरू में पुलिस ने मंटू सोनी के घायल होने की खबर से इनकार किया था लेकिन बाद में एक दूसरे सवाल के जवाब में पुलिस ने मान लिया था कि मंटू सोनी घायल हुए थे. इसी जवाब के बाद से पुलिस अपने पक्ष को कोर्ट में रखने से कतरा रही है.

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