रांचीः फिल्म शोले में गब्बर सिंह का छह शब्दों का एक डायलॉग खूब मशहूर हुआ था..होली कब है, कब है होली. यह सवाल आज झारखंड की राजधानी रांची में सुबह से ही उछल रहा है. लोग एक दूसरे से पूछते रहे कि आखिर होली कब खेलना है. इसको लेकर ऊहोपोह की स्थिति इसलिए बनी क्योंकि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि झारखंड के मुख्यमंत्री भी शुक्रवार को ही राज्यवासियों को होली की शुभकामनाएं दे चुके हैं. इसके पीछे एक और बड़ी वजह यह रही है कि पूर्व में राज्य सरकार ने होली के लिए 18 मार्च को ही अवकाश घोषित कर रखा था.
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इक्का-दुक्का बच्चों के रंग-गुलाल खेलने से एक वक्त ऐसा लगा कि सुबह 11 बजे तक लोग होरियाना मूड में सड़कों पर उतर आएंगे, लेकिन 12 बजते-बजते साफ हो गया कि रांचीवासी कल यानी शनिवार को ही होली खेलने की तैयारी कर रहे हैं. हालाकि रांची के चौक चौराहों पर होली के गाने जरूर गूंज रहे हैं. कहीं कहीं इक्के दुक्के बच्चे होली खेलते दिख रहे हैं. लेकिन राहगीरों पर रंग नहीं फेंकने की उनकी मंशा बता रही है कि असली होली कल ही खेली जानी है. ऊपर ज्योतिषीय गणना ने भी मुहर लगा दी कि कायदे से शनिवार को ही होली मनानी चाहिए.
इस कंफ्यूजन को रांची में आज खुली शराब की दुकानों ने भी दूर कर दिया. दरअसल, होली के दिन ड्राई डे होता है. यानी इस दिन शराब की थोक,खुदरा बिक्री पर रोक लगी होती है. बार के संचालन पर भी रोक होती है. लेकिन शुक्रवार को शराब की खुदरा दुकानें आम दिनों की तरह खुली रहीं. हालाकि पूर्व में उत्पाद विभाग की तरफ से 18 मार्च को ही होली का हवाला देते हुए शराब की दुकानों को बंद रखने का निर्देश जारी किया गया था, जिसे बाद में बदल दिया गया. लिहाजा, रांचीवासी कल होली खेलने वाले हैं. आज लोग अपने घरों में होली-डे इंज्वॉय कर रहे हैं.
इसलिए आज नहीं मना रहे होलीः बता दें कि 17 मार्च की रात एक बजकर 15 मिनट के बाद होलिका दहन अनुष्ठान हुआ. इसके चलते राजधानी रांची सहित राज्यभर में रंगोत्सव कल यानी शनिवार को मनाया जाएगा. हालांकि आज भी होली का उत्साह कम नहीं दिख रहा है. राजधानी का अंदाज होलियाना नजर आ रहा है, कई इलाकों में जहां बच्चे रंग गुलाल खेलते देखे गए तो रांची के महात्मा गांधी मार्ग में महावीर मंदिर के पास बड़ी संख्या में युवकों की टोली होली के परंपरागत गीतों पर थिरकती नजर आई और युवा एक दूसरे को गेरुआ मिट्टी लगाकर और पानी से होली खेलते दिखे. मेन रोड गुरुद्वारा के पास वर्षों से युवा पीढ़ी मिट्टी से ही होली खेला करते हैं और यहां रंग का इस्तेमाल नहीं होता है.
महिला कांग्रेस की सदस्यों ने भी खेली होलीः पर्व-त्योहार, जीवन में निराशा और दुःख के भाव को मिटाकर नई ऊर्जा का संचार करते हैं, यही वजह है कि होली के उत्सव में झारखंड महिला कांग्रेस की सदस्यों ने पांच राज्यों के चुनावी नतीजों से आई निराशा के भाव को होली मनाकर और एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर, शुभकामनाएं देकर दूर किया. पुंदाग, दीपाटोली, चापू टोली सहित कई इलाकों में होली कल मनाएगी जाएगी पर आज से ही बच्चे पिचकारी में रंग भरकर एक दूसरे को सराबोर कर रहे हैं.