रांची: राष्ट्रीय सबजूनियर महिला हॉकी प्रतियोगिता और जूनियर पुरुष हॉकी प्रतियोगिता के लिए झारखंड महिला और पुरुष टीम का विशेष प्रशिक्षण शिविर राजधानी रांची के बरियातू स्थित हॉकी प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित की गई है. जिसमें राज्य के कई जिलों के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. जिनमें से 18 खिलाड़ियों का चयन झारखंड टीम में होगा. जो आने वाले प्रतियोगिता में राज्य का नेतृत्व करेंगे.
रांची के एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम बरियातू में विशेष कैंप में प्रशिक्षण लेने के लिए राज्य के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. जिन्होंने इससे पहले कभी एस्ट्रोटर्फ और इस तरह के अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम में खेला ही नहीं. ये वह खिलाड़ी हैं जो बांस के हॉकी स्टिक और शरीफा फल को बॉल बनाकर खेलते आए हैं. इस विशेष प्रशिक्षण शिविर में उन्हें एक नया अनुभव मिल रहा है. काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा है. इनकी मानें तो आर्थिक परेशानियों के कारण वह बेहतर ट्रेनिंग नहीं ले पा रहे थे. लेकिन इस ट्रेनिंग कैम्प के जरिए वह हॉकी के कई ट्रिक सीख रहे हैं और उनका अनुभव भी नया हो रहा है. सपाट (चट) मैदान में खेलने की वजह से वह हॉकी से जुड़े टेक्निक नहीं सिख पाते हैं और भी कई परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ता है.
कभी बांस के स्टिक और सरीफा फल से खेलते थे हॉकी, आज मिल रहा है अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण - रांची न्यूज
रांची के एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम बरियातू में विशेष कैंप में प्रशिक्षण लेने के लिए राज्य के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ी पहुंचे हैं. इस कैंप में राज्य के कई जिलों के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. जिनमें से 18 खिलाड़ियों का चयन झारखंड टीम में होगा.
रांची: राष्ट्रीय सबजूनियर महिला हॉकी प्रतियोगिता और जूनियर पुरुष हॉकी प्रतियोगिता के लिए झारखंड महिला और पुरुष टीम का विशेष प्रशिक्षण शिविर राजधानी रांची के बरियातू स्थित हॉकी प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित की गई है. जिसमें राज्य के कई जिलों के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. जिनमें से 18 खिलाड़ियों का चयन झारखंड टीम में होगा. जो आने वाले प्रतियोगिता में राज्य का नेतृत्व करेंगे.
रांची के एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम बरियातू में विशेष कैंप में प्रशिक्षण लेने के लिए राज्य के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. जिन्होंने इससे पहले कभी एस्ट्रोटर्फ और इस तरह के अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम में खेला ही नहीं. ये वह खिलाड़ी हैं जो बांस के हॉकी स्टिक और शरीफा फल को बॉल बनाकर खेलते आए हैं. इस विशेष प्रशिक्षण शिविर में उन्हें एक नया अनुभव मिल रहा है. काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा है. इनकी मानें तो आर्थिक परेशानियों के कारण वह बेहतर ट्रेनिंग नहीं ले पा रहे थे. लेकिन इस ट्रेनिंग कैम्प के जरिए वह हॉकी के कई ट्रिक सीख रहे हैं और उनका अनुभव भी नया हो रहा है. सपाट (चट) मैदान में खेलने की वजह से वह हॉकी से जुड़े टेक्निक नहीं सिख पाते हैं और भी कई परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ता है.