रांची: राज्य के गैर अनुसूचित जिलों के हाई स्कूल में संस्कृत एवं अन्य विषयों के शिक्षक नियुक्ति मामले में दायर अवमाननावाद याचिका पर न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के कार्मिक सचिव बंदना डाडेल और स्कूली शिक्षा सचिव राजेश शर्मा अदालत में हाजिर हुए.
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प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी अभी तक विभाग ने कोई निर्णय नहीं लिया है. नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की है. इस पर अदालत ने माना कि सचिव स्तर के अधिकारी ने अदालत के आदेश की अवहेलना की है. अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन न करने के कारण क्यों ना इन अधिकारियों पर कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए. जिस पर महाधिवक्ता ने अदालत से फिर से समय की मांग की. जिस पर अदालत ने अंतिम मौका देते हुए 2 सप्ताह में निर्णय लेकर अदालत के आदेश का अनुपालन करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी.
प्रार्थी की अधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि इतिहास और नागरिक शास्त्र विषय के शिक्षक की नियुक्ति अनुसूचित जिले में कर दी गई है. लेकिन अभी तक राज्य सरकार के द्वारा गैर अनुसूचित जिले में संस्कृत एवं अन्य विषय के शिक्षक की नियुक्ति प्रारंभ नहीं की गई है. उसे प्रारंभ करना चाहिए. अदालत के आदेश के बावजूद भी अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है. यह गलत है. उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि अदालत राज्य सरकार को आदेश दे कि वे शीघ्र इन विषयों के शिक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करे.
अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से यह जानना चाहा कि क्यों नहीं अभी तक नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ की गई है. इस पर किसी भी प्रकार की कोई निर्णय क्यों नहीं लिया गया. सरकार के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सरकार शीघ्र ही इस बिंदु पर निर्णय लेने जा रही है. इसलिए उन्होंने अदालत से समय की मांग की है. अदालत ने उन्हें 2 सप्ताह का समय देते हुए सरकार के निर्णय से अवगत कराने का निर्देश दिया है.
बता दें कि याचिकाकर्ता ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति की मांग की है. उनका कहना है कि हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में अंतिम रूप से चयन हो गया है. इसके बावजूद भी नियुक्ति नहीं की जा रही है. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को समय देते हुए निर्णय लेने का निर्देश दिया था. लेकिन राज्य सरकार ने उस पर कोई निर्णय नहीं लिया. उसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अवमाननावाद याचिका दायर की है. उसी याचिका पर सुनवाई हुई.