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रांची के सदर अस्पताल मामले में झारखंड हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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Published : Apr 6, 2021, 2:09 PM IST

Updated : Apr 6, 2021, 2:22 PM IST

रांची के सदर अस्पताल में 300 बेड के अस्पताल को ऑपरेशनल करने के मामले में हाई कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान हाई कोर्ट ने अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी की. इस दौरान झारखंड सरकार के मुख्य सचिव हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए.

High court's comment in Sadar Hospital case of Ranchi
रांची के सदर अस्पताल मामले में झारखंड हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी,

रांची: राजधानी के सदर अस्पताल में व्यवस्था और कोरोना के हालात पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. इसको लेकर झारखंड उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी की है. हाई कोर्ट रांची के सदर अस्पताल में 300 बेड को ऑपरेशनल बनाने के मामले में दायर अवमाननावाद याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस दौरान अदालत ने कहा कि, 'राज्य सरकार के अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं है, अधिकारी के भरोसे गरीबों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है, अधिकारी काम करना नहीं चाहते हैं'. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने 1 मुहावरा भी बताया. कहा कि, ' मुकरने के 100 बहाने हो सकते हैं'. उन्होंने कहा कि, 'अधिकारी अगर काम नहीं करना चाहते हैं तो वह बहाना बनाते हैं'. उन्हें बहाना न बना कर काम करना चाहिए ताकि गरीबों का भला हो सके.

देखें पूरी खबर
ये भी पढ़ें-दलबदल मामला में बाबूलाल मरांडी की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई, 4 मई को मिली अगली तारीख

झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता कुमार हर्ष ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के मुख्य सचिव हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि कार्य में प्रगति हो रही है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि, काम में उम्मीद के मुताबिक तेजी नहीं लाई जा सकी है. इस पर अदालत ने कहा कि, 'मुकरने के 100 बहाने हो सकते हैं जो काम सरकार चाहती है वह तो हो जाता है लेकिन जो काम गरीब के हित में है वह काम समय से नहीं हो पाता है'. हाईकोर्ट ने कई बार आदेश दिए लेकिन अभी तक सदर अस्पताल को ऑपरेशनल नहीं किया जा सका. जबकि इसके पहले सरकार ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया था कि, अंतिम मौका दें. 31 दिसंबर तक सदर अस्पताल को ऑपरेशनल करने का वादा किया था. 'लेकिन दिसंबर तो क्या अप्रैल 2021 आ गया अभी तक काम पूरा नहीं हो सका'. कोरोना के इस वैश्विक महामारी के दौरान जब अस्पताल की नितांत आवश्यकता थी, तब भी गंभीरता नहीं दिखाई गई. कांट्रेक्टर का बहाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि, सरकार के पास कांट्रेक्टर नहीं है तो इतने काम कैसे होते हैं?

एक हफ्ते का दिया समय
इधर कोर्ट की ओर से सरकार को बताया गया कि कोरोना संक्रमण की वजह से काम में देरी हुई. काफी काम हो चुका है, शीघ्र अस्पताल शुरू कर दिया जाएगा. इस पर अदालत ने उन्हें 1 सप्ताह का समय देते हुए मामले में शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी.

ये था पूरा मामला

बता दें कि ज्योति शर्मा की ओर से रांची सदर अस्पताल में 500 बेड का हॉस्पिटल ऑपरेशनल करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें 200 बेड का अस्पताल ऑपरेशनल पहले कर लिया गया है, लेकिन 300 बेड का अस्पताल ऑपरेशनल नहीं किया जा सका है. इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि, वह 31 दिसंबर तक इसे शुरू कर ले. लेकिन सरकार अस्पताल को नहीं शुरू करा पाई. उसके बाद अवमाननावाद याचिका दायर की गई. उसी अवमाननावाद याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कई गंभीर टिप्पणी की है.

रांची: राजधानी के सदर अस्पताल में व्यवस्था और कोरोना के हालात पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. इसको लेकर झारखंड उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी की है. हाई कोर्ट रांची के सदर अस्पताल में 300 बेड को ऑपरेशनल बनाने के मामले में दायर अवमाननावाद याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस दौरान अदालत ने कहा कि, 'राज्य सरकार के अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं है, अधिकारी के भरोसे गरीबों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है, अधिकारी काम करना नहीं चाहते हैं'. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने 1 मुहावरा भी बताया. कहा कि, ' मुकरने के 100 बहाने हो सकते हैं'. उन्होंने कहा कि, 'अधिकारी अगर काम नहीं करना चाहते हैं तो वह बहाना बनाते हैं'. उन्हें बहाना न बना कर काम करना चाहिए ताकि गरीबों का भला हो सके.

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झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता कुमार हर्ष ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के मुख्य सचिव हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि कार्य में प्रगति हो रही है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि, काम में उम्मीद के मुताबिक तेजी नहीं लाई जा सकी है. इस पर अदालत ने कहा कि, 'मुकरने के 100 बहाने हो सकते हैं जो काम सरकार चाहती है वह तो हो जाता है लेकिन जो काम गरीब के हित में है वह काम समय से नहीं हो पाता है'. हाईकोर्ट ने कई बार आदेश दिए लेकिन अभी तक सदर अस्पताल को ऑपरेशनल नहीं किया जा सका. जबकि इसके पहले सरकार ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया था कि, अंतिम मौका दें. 31 दिसंबर तक सदर अस्पताल को ऑपरेशनल करने का वादा किया था. 'लेकिन दिसंबर तो क्या अप्रैल 2021 आ गया अभी तक काम पूरा नहीं हो सका'. कोरोना के इस वैश्विक महामारी के दौरान जब अस्पताल की नितांत आवश्यकता थी, तब भी गंभीरता नहीं दिखाई गई. कांट्रेक्टर का बहाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि, सरकार के पास कांट्रेक्टर नहीं है तो इतने काम कैसे होते हैं?

एक हफ्ते का दिया समय
इधर कोर्ट की ओर से सरकार को बताया गया कि कोरोना संक्रमण की वजह से काम में देरी हुई. काफी काम हो चुका है, शीघ्र अस्पताल शुरू कर दिया जाएगा. इस पर अदालत ने उन्हें 1 सप्ताह का समय देते हुए मामले में शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी.

ये था पूरा मामला

बता दें कि ज्योति शर्मा की ओर से रांची सदर अस्पताल में 500 बेड का हॉस्पिटल ऑपरेशनल करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें 200 बेड का अस्पताल ऑपरेशनल पहले कर लिया गया है, लेकिन 300 बेड का अस्पताल ऑपरेशनल नहीं किया जा सका है. इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि, वह 31 दिसंबर तक इसे शुरू कर ले. लेकिन सरकार अस्पताल को नहीं शुरू करा पाई. उसके बाद अवमाननावाद याचिका दायर की गई. उसी अवमाननावाद याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कई गंभीर टिप्पणी की है.

Last Updated : Apr 6, 2021, 2:22 PM IST
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