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नक्शा विचलन मामले पर हाई कोर्ट गंभीर, सरकार से पूछा- टाउन प्लानर के कितने पद हैं रिक्त, कितने स्वीकृत - Etv Bharat Jharkhand News

झारखंड हाई कोर्ट में नक्शा स्वीकृति संबंधी याचिका पर नक्शा विचलन मामले में (Map Deviation Case) सुनवाई हुई. जिसमें नगर विकास विभाग के टाउन प्लानर सकारात्मक जवाब नहीं दे सके. इस पर कोर्ट ने सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब देने का आदेश दिया है.

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Published : Nov 24, 2022, 6:38 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में डॉ राजेश कुमार के नक्शा विचलन मामले में दायर नक्शा स्वीकृति से संबंधित राधिका शाहदेव और लाल चिंतामणि नाथ शाहदेव की हस्तक्षेप याचिका (Map Approval Related Petition) पर गुरुवार को सुनवाई हुई.

ये भी पढ़ें- पूजा सिंघल को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, अदालत ने खारिज की जमानत याचिका

टाउन प्लानर गजानंद राम अदालत में उपस्थित थेः हाई कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई के दौरान नगर विकास विभाग के टाउन प्लानर गजानंद राम अदालत में उपस्थित हुए. कोर्ट ने उनसे राज्य में टाउन प्लानर की स्थिति के बारे में पूछा, लेकिन सकारात्मक जवाब नहीं मिल सका. जिसके बाद कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से अद्यतन जानकारी पेश करने को कहा है कि राज्य में टाउन प्लानर के कितने पद स्वीकृत हैं (Sanctioned Posts Of Town Planner) और पूरे राज्य में टाउन प्लानर की कितनी आवश्यकता है. साथ ही पदों को भरने के लिए क्या कार्यवाही की गयी है. अब मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.

रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार में स्वीकृत पद पर नियुक्ति नहीं हुई हैः पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने मामले में रांची नगर निगम और रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार में स्वीकृत पदों पर नियुक्ति के बारे में पूछा था. जिस पर गजानंद राम की ओर से कहा गया था कि रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार में स्वीकृत पद पर नियुक्ति नहीं हुई है. कांट्रेक्ट बेसिस पर काम चल रहा है. इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए रांची नगर निगम एवं आरआरडीए को कड़ी फटकार लगायी थी.

रांची नगर निगम में 20 वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई हैः कोर्ट ने कहा था कि रांची नगर निगम में 20 वर्षों से कोई नियुक्ति नहीं हुई है. राज्य सरकार के दूसरे विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर जैसे पदों पर नियुक्त किये गये अधिकारियों को रांची नगर निगम और आरआरडीए में प्रतिनियुक्ति पर रखा गया है. ये अधिकारी टाउन प्लानर की अहर्ता भी नहीं रखते हैं. हस्तक्षेपकर्ता की ओर से लाल ज्ञानरंजन नाथ शाहदेव ने पैरवी की.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में डॉ राजेश कुमार के नक्शा विचलन मामले में दायर नक्शा स्वीकृति से संबंधित राधिका शाहदेव और लाल चिंतामणि नाथ शाहदेव की हस्तक्षेप याचिका (Map Approval Related Petition) पर गुरुवार को सुनवाई हुई.

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टाउन प्लानर गजानंद राम अदालत में उपस्थित थेः हाई कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई के दौरान नगर विकास विभाग के टाउन प्लानर गजानंद राम अदालत में उपस्थित हुए. कोर्ट ने उनसे राज्य में टाउन प्लानर की स्थिति के बारे में पूछा, लेकिन सकारात्मक जवाब नहीं मिल सका. जिसके बाद कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से अद्यतन जानकारी पेश करने को कहा है कि राज्य में टाउन प्लानर के कितने पद स्वीकृत हैं (Sanctioned Posts Of Town Planner) और पूरे राज्य में टाउन प्लानर की कितनी आवश्यकता है. साथ ही पदों को भरने के लिए क्या कार्यवाही की गयी है. अब मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.

रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार में स्वीकृत पद पर नियुक्ति नहीं हुई हैः पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने मामले में रांची नगर निगम और रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार में स्वीकृत पदों पर नियुक्ति के बारे में पूछा था. जिस पर गजानंद राम की ओर से कहा गया था कि रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार में स्वीकृत पद पर नियुक्ति नहीं हुई है. कांट्रेक्ट बेसिस पर काम चल रहा है. इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए रांची नगर निगम एवं आरआरडीए को कड़ी फटकार लगायी थी.

रांची नगर निगम में 20 वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई हैः कोर्ट ने कहा था कि रांची नगर निगम में 20 वर्षों से कोई नियुक्ति नहीं हुई है. राज्य सरकार के दूसरे विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर जैसे पदों पर नियुक्त किये गये अधिकारियों को रांची नगर निगम और आरआरडीए में प्रतिनियुक्ति पर रखा गया है. ये अधिकारी टाउन प्लानर की अहर्ता भी नहीं रखते हैं. हस्तक्षेपकर्ता की ओर से लाल ज्ञानरंजन नाथ शाहदेव ने पैरवी की.

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