रांचीः स्थापना दिवस के नाम पर बच्चों के बीच टॉफी और टी-शर्ट बंटवारे में किए गए करोड़ों रुपए के गबन की जांच को लेकर दायर याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत में राज्य सरकार की ओर से दायर शपथ पत्र देखने के बाद सीनियर अकाउंटेंट के पत्र पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो मामले की जांच सीबीआई से भी करवाई जा सकती है. मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी.
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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में वर्ष 2016 में रघुवर सरकार के समय स्थापना दिवस के नाम पर करोड़ों रुपए के टॉफी और टी-शर्ट बंटवारे में किए गए गड़बड़ी की जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो मामले की जांच सीबीआई से कराई जाएगी.
पूर्व में सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को यह बताने को कहा था कि महालेखाकार कार्यालय से जो ऑडिट में आपत्ति जताई गई थी, उसका कंप्लायंस किया गया या नहीं इसको लेकर जवाब पेश करने को कहा था. सरकार ने जवाब अदालत में पेश किया, जिसमें महालेखाकार कार्यालय के एक वरीय अकाउंटेंट का एक पत्र लगा हुआ था. जिसमें कहा गया था कि ऑडिट का जो ऑब्जेक्शन था, उसका कंप्लायंस हो गया है.
जिस पर अदालत ने पूछा कि पूर्व में जब जिस ऑडिट पर ऑब्जेक्शन किया गया था 2017 में उसमें कैसे बाद में यह पत्र लिखा गया. अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो महालेखाकार झारखंड को भी अदालत में उपस्थित करवा कर इस पर जवाब मांगा जाएगा. अदालत ने यह बताने को कहा कि किस परिस्थिति में पहले ऑडिट ऑब्जेक्शन हुआ था और बाद में कंप्लायंस रिपोर्ट दे दिया गया. इस पर स्पष्ट जवाब देने को कहा है.
इस संबंध में पंकज कुमार यादव ने जनहित याचिका दायर की है. मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि कोर्ट के आदेश के बाद महालेखाकार की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया है कि टी-शर्ट और टॉफी वितरण में गड़बड़ी हुई है.