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फर्जी बीमा मामले पर हाई कोर्ट गंभीर, झारखंड स्टेट बार काउंसिल को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

रांची में वाहन दुर्घटना और फर्जी बीमा मामले पर हाई कोर्ट ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल और वकील अहमद से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को तय की गई है.

High Court
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Published : Apr 15, 2022, 11:58 AM IST

रांची: मौत के बाद फर्जी बीमा दावा करने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद झारखंड स्टेट बार काउंसिल और अधिवक्ता शकील अहमद को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को तय की गई है. इससे पहले झारखंड स्टेट बार काउंसिल को अपना जवाब पेश करना है. साथ ही अधिवक्ता को नोटिस मिले या नहीं काउंसिल को ही सुनिश्चित करने को कहा है.

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर वकील को नोटिस किया है. जिसमें कहा गया है कि फर्जी दावा करने के मामले में वकील की भी संलिप्तता है. बीमा कंपनी की ओर से कहा गया है कि इस मामले में बीमा के लिए जो दावा किया गया है वह फर्जी है.

क्या है पूरा मामला: दरअसल, 23 जून 2009 को दशरथ टुडू की मौत हुई थी. मामले में मृतक की पत्नी ने जो बयान पुलिस थाने में दिया है और बीमा के लिए जो दावा किया है, दोनों अलग-अलग हैं. पुलिस को दिए गए बयान में पत्नी अनिता मुर्मू ने पुलिस को बताया कि उनके पति दशरथ टुडू सरकारी कर्मचारी थे. उन्हें कुछ बीमारी थी जिसके कारण वे काम से लौटने के दौरान अपनी बाइक से गिर गए थे. इसके बाद पुलिस ने अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज किया. वहीं, बीमा कंपनी की ओर से अदालत को बताया गया कि मौत वर्ष 2009 को हुई. लेकिन बीमा के लिए दावा वर्ष 2013 में किया गया. इसमें पत्नी की ओर से जो बयान दिए गए हैं उसमें बताया गया कि उनके पति किसी नवीन कुमार गुप्ता की बाइक पर पीछे सवार थे. रास्ते में एक जानवर को बचाने के क्रम में बाइक का संतुलन बिगड़ गया और उनके पति बाइक से गिर गए. सिर में चोट लगी. इसके बाद अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई. इसमें किसी गवाह का नाम भी नहीं बताया गया है.

15 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने एक एसआइटी का गठन किया. इसकी जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. एसआइटी की ओर से अदालत में 15 पेज की रिपोर्ट पेश की गई. इसमें कहा गया है कि यह फर्जी क्लेम है और इसमें उक्त वकील की संलिप्तता भी है. बीमा कंपनी की ओर से बताया गया कि इस वकील का नाम इस तरह के कई फर्जी दावे में भी आ रहा है. इसके बाद अदालत ने वकील और बार काउंसिल को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

रांची: मौत के बाद फर्जी बीमा दावा करने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद झारखंड स्टेट बार काउंसिल और अधिवक्ता शकील अहमद को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को तय की गई है. इससे पहले झारखंड स्टेट बार काउंसिल को अपना जवाब पेश करना है. साथ ही अधिवक्ता को नोटिस मिले या नहीं काउंसिल को ही सुनिश्चित करने को कहा है.

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर वकील को नोटिस किया है. जिसमें कहा गया है कि फर्जी दावा करने के मामले में वकील की भी संलिप्तता है. बीमा कंपनी की ओर से कहा गया है कि इस मामले में बीमा के लिए जो दावा किया गया है वह फर्जी है.

क्या है पूरा मामला: दरअसल, 23 जून 2009 को दशरथ टुडू की मौत हुई थी. मामले में मृतक की पत्नी ने जो बयान पुलिस थाने में दिया है और बीमा के लिए जो दावा किया है, दोनों अलग-अलग हैं. पुलिस को दिए गए बयान में पत्नी अनिता मुर्मू ने पुलिस को बताया कि उनके पति दशरथ टुडू सरकारी कर्मचारी थे. उन्हें कुछ बीमारी थी जिसके कारण वे काम से लौटने के दौरान अपनी बाइक से गिर गए थे. इसके बाद पुलिस ने अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज किया. वहीं, बीमा कंपनी की ओर से अदालत को बताया गया कि मौत वर्ष 2009 को हुई. लेकिन बीमा के लिए दावा वर्ष 2013 में किया गया. इसमें पत्नी की ओर से जो बयान दिए गए हैं उसमें बताया गया कि उनके पति किसी नवीन कुमार गुप्ता की बाइक पर पीछे सवार थे. रास्ते में एक जानवर को बचाने के क्रम में बाइक का संतुलन बिगड़ गया और उनके पति बाइक से गिर गए. सिर में चोट लगी. इसके बाद अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई. इसमें किसी गवाह का नाम भी नहीं बताया गया है.

15 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने एक एसआइटी का गठन किया. इसकी जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. एसआइटी की ओर से अदालत में 15 पेज की रिपोर्ट पेश की गई. इसमें कहा गया है कि यह फर्जी क्लेम है और इसमें उक्त वकील की संलिप्तता भी है. बीमा कंपनी की ओर से बताया गया कि इस वकील का नाम इस तरह के कई फर्जी दावे में भी आ रहा है. इसके बाद अदालत ने वकील और बार काउंसिल को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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