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BAU पर केस करने वाले संविदाकर्मी से भेदभाव पर हाईकोर्ट नाराज, विश्वविद्यालय से मांगा जवाब - बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में संविदाकर्मी की नियुक्ति

झारखंड के चर्चित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय पर केस करने वाले संविदाकर्मी को काम से वंचित किए जाने के मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.इसमें हाई कोर्ट ने BAU पर केस करने वाले संविदाकर्मी से भेदभाव पर नाराजगी जताई.

High Court
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Nov 29, 2021, 11:00 PM IST

Updated : Nov 30, 2021, 6:17 AM IST

रांची: BAU पर केस करने वाले संविदाकर्मी को काम से वंचित किए जाने के मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की. मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि इतने चर्चित विश्वविद्यालय के अधिकारी से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती है. अदालत ने विश्वविद्यालय को इस बिंदु पर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है. विश्वविद्यालय की ओर से जवाब पेश किए जाने के बाद मामले पर जनवरी माह में सुनवाई होगी.

ये भी पढ़ें-Ramgarh Police Controversy: रामगढ़ एसपी के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका, शीघ्र हो सकती है सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य रमन ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय पर केस करने वाले संविदाकर्मी को काम से वंचित किए जाने के मामले में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से उनके मुवक्किल को काम पर रखे जाने की गुहार लगाई. विश्वविद्यालय को काम पर रखे जाने का निर्देश देने की मांग की. अदालत को बताया कि उसके मुवक्किल संविदाकर्मी ने हाई कोर्ट में केस किया है. इसलिए उसे काम नहीं दिया जा रहा है. जिन्होंने विश्वविद्यालय पर केस नहीं किया है उन्हें काम पर विश्वविद्यालय ने रखा है. याचिकाकर्ता की गुहार पर अदालत ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की. साथ ही BAU पर केस करने वाले संविदाकर्मी से भेदभाव मामले में विश्वविद्यालय को जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

अदालत ने किया यह सवाल

हाई कोर्ट ने अपने जवाब में उन्हें यह बताने को कहा है कि किस परिस्थिति में अन्य पूर्व से कार्य कर रहे संविदाकर्मियों से कार्य लिया जा रहा है और केस करने वाले कर्मी को क्यों कार्य से वंचित किया जा रहा है.

यह है पूरा मामला

बता दें कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में वर्ष 2015 से नियुक्त संविदाकर्मी को हटाकर फिर से संविदा के आधार पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. पूर्व से काम कर रहे संविदाकर्मी ने विश्वविद्यालय के इस विज्ञापन को हाईकोर्ट में चुनौती दी. अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद पूर्व में नियुक्ति पर रोक लगा दी और सरकार, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से जवाब मांगा. मामले की सुनवाई अभी हाई कोर्ट में लंबित है.

इस बीच पूर्व से कार्य कर रहे अन्य संविदाकर्मियों से विश्वविद्यालय ने काम लेना शुरू कर दिया लेकिन केस करने वाले संविदाकर्मी को कार्य से वंचित कर दिया गया. इसी को लेकर उन्होंने अदालत से गुहार लगाई है.

रांची: BAU पर केस करने वाले संविदाकर्मी को काम से वंचित किए जाने के मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की. मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि इतने चर्चित विश्वविद्यालय के अधिकारी से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती है. अदालत ने विश्वविद्यालय को इस बिंदु पर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है. विश्वविद्यालय की ओर से जवाब पेश किए जाने के बाद मामले पर जनवरी माह में सुनवाई होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य रमन ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय पर केस करने वाले संविदाकर्मी को काम से वंचित किए जाने के मामले में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से उनके मुवक्किल को काम पर रखे जाने की गुहार लगाई. विश्वविद्यालय को काम पर रखे जाने का निर्देश देने की मांग की. अदालत को बताया कि उसके मुवक्किल संविदाकर्मी ने हाई कोर्ट में केस किया है. इसलिए उसे काम नहीं दिया जा रहा है. जिन्होंने विश्वविद्यालय पर केस नहीं किया है उन्हें काम पर विश्वविद्यालय ने रखा है. याचिकाकर्ता की गुहार पर अदालत ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की. साथ ही BAU पर केस करने वाले संविदाकर्मी से भेदभाव मामले में विश्वविद्यालय को जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

अदालत ने किया यह सवाल

हाई कोर्ट ने अपने जवाब में उन्हें यह बताने को कहा है कि किस परिस्थिति में अन्य पूर्व से कार्य कर रहे संविदाकर्मियों से कार्य लिया जा रहा है और केस करने वाले कर्मी को क्यों कार्य से वंचित किया जा रहा है.

यह है पूरा मामला

बता दें कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में वर्ष 2015 से नियुक्त संविदाकर्मी को हटाकर फिर से संविदा के आधार पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. पूर्व से काम कर रहे संविदाकर्मी ने विश्वविद्यालय के इस विज्ञापन को हाईकोर्ट में चुनौती दी. अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद पूर्व में नियुक्ति पर रोक लगा दी और सरकार, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से जवाब मांगा. मामले की सुनवाई अभी हाई कोर्ट में लंबित है.

इस बीच पूर्व से कार्य कर रहे अन्य संविदाकर्मियों से विश्वविद्यालय ने काम लेना शुरू कर दिया लेकिन केस करने वाले संविदाकर्मी को कार्य से वंचित कर दिया गया. इसी को लेकर उन्होंने अदालत से गुहार लगाई है.

Last Updated : Nov 30, 2021, 6:17 AM IST
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