रांची: झारखंड विधानसभा में नियुक्ति में हुई गड़बड़ी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने नियुक्ति गड़बड़ी की जांच करने वाले जस्टिस विक्रमादित्य कमीशन की रिपोर्ट अब तक कोर्ट में पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि तीन बार आदेश के बाद भी रिपोर्ट पेश नहीं की गई. याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा.
सात दिन के भीतर कमीशन की रिपोर्ट पेश करने का आदेशः अधिवक्ता राजीव कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की अदालत ने अगले गुरुवार को सुनवाई की तारीख तय करते हुए सात दिन के भीतर विधानसभा सचिव को जस्टिस विक्रमादित्य कमीशन की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. ऐसा नहीं होने पर कोर्ट सख्त कदम उठा सकता है. सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश और अधिवक्ता अनिल कुमार ने कोर्ट को बताया कि कैबिनेट सचिवालय ने जस्टिस विक्रमादित्य कमीशन की रिपोर्ट को जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय कमीशन को भेज दी है. कैबिनेट सचिवालय से रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है, इसलिए पेश नहीं किया जा सका.
आपको बता दें विधानसभा में हुई नियुक्ति में गड़बड़ी की जांच के लिए जस्टिस विक्रमादित्य के नेतृत्व में एक सदस्यीय कमीशन बनाई गई थी. कमीशन ने वर्ष 2018 में ही जांच रिपोर्ट राज्यपाल को दे दी थी. राज्यपाल ने भी विधानसभा अध्यक्ष को एक्शन लेने को कहा था, लेकिन वर्ष 2021 से अब तक यह मामला दबा रहा. पूर्व में विधानसभा की ओर से दलील दी गई थी कि जस्टिस विक्रमादित्य की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में कमीशन बनी थी, लेकिन हाईकोर्ट के रूख से स्पष्ट हो गया है कि अगले गुरुवार को इस मामले में कुछ बड़ा फैसला सामने आ सकता है.