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नियुक्ति मामले में गलत जानकारी देने पर हाई कोर्ट ने जतायी नाराजगी, राज्य सरकार पर लगाया 50 हजार का जुर्माना, फिर किया माफ - झारखंड न्यूज

एफएसएल में चतुर्थवर्गीय और लिपिक नियुक्ति मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें अदालत ने सरकार की ओर से गलत जानकारी देने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए 50 हजार का जुर्माना (High Court Angry On Wrong Information) लगाया. हालांकि बाद में माफ कर दिया.

High Court Angry On Wrong Information
High Court Angry On Wrong Information
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Published : Dec 9, 2022, 4:24 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य नयायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में झारखंड फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (एफएसएल) में चतुर्थवर्गीय और लिपिक के रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. जिसमें अदालत ने सरकार की ओर से गलत जानकारी देने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए 50 हजार का (50 Thousand Fine Imposed On State Government) जुर्माना लगाया. हालांकि फिर बाद में माफ कर दिया. अदालत ने राज्य सरकार को फिर से अद्यतन बिंदुवार जवाब शपथ पत्र के माध्यम से दायर करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी. सरकार की ओर से अदालत से माफी मांगी गई. अदालत ने जुर्माना माफ कर दिया है.


ये भी पढे़ं-झारखंड हाई कोर्ट ने लगाया रांची डीसी पर जुर्माना, कार्यशैली पर व्यक्त की नाराजगी

एसएससी को अधिसूचना नहीं भेजे जाने की बात पर भड़के जजः कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता से अदालत ने पूछा कि एफएसएल में रिक्त चतुर्थवर्गीय पद पर नियुक्ति के लिए कर्मचारी चयन आयोग को अधिसूचना भेजी गई है या नहीं इसकी स्पष्ट जानकारी क्यों नहीं दी गई है. जिस पर सरकार की ओर से बताया गया कि कर्मचारी चयन आयोग को सिर्फ तृतीय वर्ग के लिपिक की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना भेजी जाएगी. चतुर्थ वर्ग के कर्मी की नियुक्ति कर्मचारी चयन आयोग से नहीं होती है. यह नियुक्ति विभाग के द्वारा की जाती है. इसमें अमेंडमेंट किया जा रहा है. सरकार के इस जवाब पर अदालत ने कड़ी नाराजगी (High Court Angry On Wrong Information) व्यक्त की.

पूर्व में सरकार की ओर से अधिसूचना भेजे जाने की दी गई थी जानकारीः अदालत (Jharkhand High Court) ने कहा कि पूर्व में राज्य सरकार ने अदालत को बताया था कि कर्मचारी चयन आयोग को अधिसूचना भेज दी गई है. कर्मचारी चयन आयोग ने इस पर कहा था कि कुछ तथ्यों पर जानकारी देने के लिए पुनः सरकार को अधिसूचना भेजी गई है और दिशा निर्देश मांगा गया है. तो क्या यह सब कोर्ट को गुमराह करने के लिए किया जा रहा है. अदालत का समय बर्बाद किया जा रहा है.


पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने मांगा था कर्मचारियों का ब्योराः पूर्व की सुनवाई में अदालत ने सरकार से पूछा था कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कितने पद स्वीकृत हैं. साथ ही रिक्त पदों की संख्या और काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या कितनी है. सरकार से इस संबंध में जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से मांगी गई थी. सरकार की ओर से पूर्व में बताया गया था कि रिक्त पदों पर जेपीएससी और जेएसएससी की ओर से जो अनुशंसा की गई थी, उसकी नियुक्ति हो गई (Case Of Appointment In FSL)है. जिसके बाद कोर्ट ने अन्य पदों के बारे में जानकारी मांगी थी. जेएसएससी की ओर से संजय पिपरवाल, प्रिंस कुमार, राकेश रंजन ने पैरवी की.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य नयायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में झारखंड फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (एफएसएल) में चतुर्थवर्गीय और लिपिक के रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. जिसमें अदालत ने सरकार की ओर से गलत जानकारी देने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए 50 हजार का (50 Thousand Fine Imposed On State Government) जुर्माना लगाया. हालांकि फिर बाद में माफ कर दिया. अदालत ने राज्य सरकार को फिर से अद्यतन बिंदुवार जवाब शपथ पत्र के माध्यम से दायर करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी. सरकार की ओर से अदालत से माफी मांगी गई. अदालत ने जुर्माना माफ कर दिया है.


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एसएससी को अधिसूचना नहीं भेजे जाने की बात पर भड़के जजः कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता से अदालत ने पूछा कि एफएसएल में रिक्त चतुर्थवर्गीय पद पर नियुक्ति के लिए कर्मचारी चयन आयोग को अधिसूचना भेजी गई है या नहीं इसकी स्पष्ट जानकारी क्यों नहीं दी गई है. जिस पर सरकार की ओर से बताया गया कि कर्मचारी चयन आयोग को सिर्फ तृतीय वर्ग के लिपिक की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना भेजी जाएगी. चतुर्थ वर्ग के कर्मी की नियुक्ति कर्मचारी चयन आयोग से नहीं होती है. यह नियुक्ति विभाग के द्वारा की जाती है. इसमें अमेंडमेंट किया जा रहा है. सरकार के इस जवाब पर अदालत ने कड़ी नाराजगी (High Court Angry On Wrong Information) व्यक्त की.

पूर्व में सरकार की ओर से अधिसूचना भेजे जाने की दी गई थी जानकारीः अदालत (Jharkhand High Court) ने कहा कि पूर्व में राज्य सरकार ने अदालत को बताया था कि कर्मचारी चयन आयोग को अधिसूचना भेज दी गई है. कर्मचारी चयन आयोग ने इस पर कहा था कि कुछ तथ्यों पर जानकारी देने के लिए पुनः सरकार को अधिसूचना भेजी गई है और दिशा निर्देश मांगा गया है. तो क्या यह सब कोर्ट को गुमराह करने के लिए किया जा रहा है. अदालत का समय बर्बाद किया जा रहा है.


पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने मांगा था कर्मचारियों का ब्योराः पूर्व की सुनवाई में अदालत ने सरकार से पूछा था कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कितने पद स्वीकृत हैं. साथ ही रिक्त पदों की संख्या और काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या कितनी है. सरकार से इस संबंध में जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से मांगी गई थी. सरकार की ओर से पूर्व में बताया गया था कि रिक्त पदों पर जेपीएससी और जेएसएससी की ओर से जो अनुशंसा की गई थी, उसकी नियुक्ति हो गई (Case Of Appointment In FSL)है. जिसके बाद कोर्ट ने अन्य पदों के बारे में जानकारी मांगी थी. जेएसएससी की ओर से संजय पिपरवाल, प्रिंस कुमार, राकेश रंजन ने पैरवी की.

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